Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 67"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} {{इतिहास सामान्य ज्ञान...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(8 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 8: Line 8:
 
|
 
|
 
<quiz display=simple>
 
<quiz display=simple>
{'[[गायत्री मंत्र]]' किस [[वेद]] से लिया गया है?
 
|type="()"}
 
+[[ऋग्वेद]]
 
-[[सामवेद]]
 
-[[यजुर्वेद]]
 
-[[अथर्ववेद]]
 
||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद का आवरण पृष्ठ]]'ऋग्वेद' सबसे प्राचीनतम [[वेद]] है। 'ॠक' का अर्थ होता है- 'छन्दोबद्ध रचना या [[श्लोक]]'। [[ऋग्वेद]] में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं। साथ ही इसमें कुल 10,580 ऋचाएँ हैं। ये स्तुति [[मन्त्र]] हैं। ऋग्वेद के दस मण्डलों में कुछ मण्डल छोटे हैं और कुछ मण्डल बड़े हैं। प्रथम और अन्तिम मण्डल दोनों ही समान रूप से बड़े हैं। उनमें सूक्तों की संख्या भी 191 है। लोकप्रिय '[[गायत्री मंत्र]]' ([[सावित्री]]) का उल्लेख भी ऋग्वेद के 7वें मण्डल में किया गया है। इस मण्डल के रचयिता [[वसिष्ठ]] थे। यह मण्डल वरुण देवता को समर्पित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]]
 
 
{[[वेद|वेदों]] को 'अपौरुषेय' क्यों कहा जाता है?
 
|type="()"}
 
+क्योंकि [[वेद|वेदों]] की रचना [[देवता|देवताओं]] द्वारा की गई है।
 
-क्योंकि [[वेद|वेदों]] की रचना पुरुषों द्वारा की गई है।
 
-क्योंकि [[वेद|वेदों]] की रचना [[ऋषि|ऋषियों]] द्वारा की गई है।
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
 
||[[चित्र:Ved-merge.jpg|right|100px|वेद]][[वेद]] 'पौरुषेय' (मानवनिर्मित) है या 'अपौरुषेय' (ईश्वरप्रणीत)। वेद का स्वरूप क्या है? इस महत्त्वपूर्ण प्रश्न का स्पष्ट उत्तर [[ऋग्वेद]] में इस प्रकार है- 'वेद' परमेश्वर के मुख से निकला हुआ 'परावाक' है, वह 'अनादि' एवं 'नित्य' कहा गया है। वह अपौरुषेय ही है।' सारांश यह कि वेद परमेश्वर का नि:श्वास है, अत: परमेश्वर द्वारा ही निर्मित है। [[वेद]] से ही समस्त जगत का निर्माण हुआ है। इसीलिये वेद को अपौरुषेय कहा गया है। [[सायणाचार्य]] के इन विचारों का समर्थन पाश्चात्य वेद विद्वान प्रो. विल्सन, प्रो. मैक्समूलर आदि ने अपने पुस्तकों में किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वेद]]
 
 
{राष्ट्र एवं राजा शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम कब हुआ?
 
|type="()"}
 
-सैन्धव काल में
 
-ऋग्वैदिक काल में
 
+उत्तरवैदिक काल में
 
-[[महाकाव्य]] में
 
 
{[[जैन धर्म|जैन मत]] का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार किस समुदाय में हुआ?
 
|type="()"}
 
-शासक वर्ग
 
-किसान वर्ग
 
+व्यापारी वर्ग
 
-शिल्पी वर्ग
 
 
{[[जैन धर्म]] 'श्वेताम्बर' एवं 'दिगम्बर' सम्प्रदायों में कब विभाजित हुआ?
 
|type="()"}
 
+[[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के समय में
 
-[[अशोक]] के समय में
 
-[[कनिष्क]] के समय में
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
 
||[[चित्र:Chandragupt-Maurya-Stamp.jpg|right|100px|चन्द्रगुप्त मौर्य]][[मेगस्थनीज़]] ने लिखा है कि चन्द्रगुप्त वन में रहने वाले तपस्वियों से परामर्श करता था और उन्हें [[देवता|देवताओं]] की [[पूजा]] के लिए नियुक्त करता था। वर्ष में एक बार विद्वानों की सभा बुलाई जाती थी, ताकि वे जनहित के लिए उचित परामर्श दे सकें। दार्शनिकों से सम्पर्क रखना [[चन्द्रगुप्त मौर्य|चन्द्रगुप्त]] की जिज्ञासु प्रवृत्ति का सूचक है। [[जैन]] अनुयायियों के अनुसार जीवन के अन्तिम चरण में चन्द्रगुप्त ने [[जैन धर्म]] स्वीकार कर लिया। कहा जाता है कि जब [[मगध]] में 12 वर्ष का अकाल पड़ा तो चन्द्रगुप्त राज्य त्यागकर [[जैन]] आचार्य भद्रबाहु के साथ श्रवण बेल्गोला, [[मैसूर]] के निकट, चला गया और एक सच्चे जैन भिक्षु की भाँति उसने निराहार समाधिस्थ होकर प्राणत्याग किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रगुप्त मौर्य]]
 
  
{[[तमिलनाडु|तमिल]] राष्ट्र में [[दुर्गा]] का तादात्म्य तमिल देवी 'कोरवई' से किया गया है। वे किस तत्त्व की तमिल देवी थीं?
+
{[[तमिल नाडु|तमिल राष्ट्र]] में [[दुर्गा]] का तादात्म्य तमिल देवी 'कोरवई' से किया गया है। वे किस तत्त्व की तमिल देवी थीं?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-मातृत्व
 
-मातृत्व
Line 59: Line 22:
 
-[[गुप्त वंश|गुप्त वंशीय]]
 
-[[गुप्त वंश|गुप्त वंशीय]]
 
+[[कुषाण]]
 
+[[कुषाण]]
||[[चित्र:Kanishk.jpg|right|100px|कनिष्क की मूर्ति, राजकीय संग्रहालय, मथुरा]][[कुषाण वंश]] के शासकों में [[विम कडफ़ाइसिस]] ([[शैव]] अनुयायी), [[कनिष्क]] ([[बौद्ध]] अनुयायी), [[हुविष्क]] और [[वासुदेव कुषाण]] [[वैष्णव धर्म]] के अनुयायी थे। [[मथुरा]] से कनिष्क की एक ऐसी मूर्ति मिली है, जिसमें उसे सैनिक वेषभूषा में दिखाया गया है। कनिष्क के अब तक प्राप्त सिक्के [[यूनानी]] एवं ईरानी भाषा में मिले हैं। कनिष्क के [[तांबा|तांबे]] के सिक्कों पर उसे 'बलिवेदी' पर बलिदान करते हुए दर्शाया गया है। कनिष्क के [[सोना|सोने]] के सिक्के [[रोम]] के सिक्कों से काफ़ी कुछ मिलते-जुलते थे। [[बुद्ध]] के [[अवशेष|अवशेषों]] पर कनिष्क ने [[पेशावर]] के निकट एक [[स्तूप]] एवं मठ का निर्माण करावाया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुषाण]]
+
||[[चित्र:Kanishk.jpg|right|100px|कनिष्क की मूर्ति, राजकीय संग्रहालय, मथुरा]][[कुषाण वंश]] के शासकों में [[विम कडफ़ाइसिस]] ([[शैव]] अनुयायी), [[कनिष्क]] ([[बौद्ध]] अनुयायी), [[हुविष्क]] और [[वासुदेव कुषाण]] [[वैष्णव धर्म]] के अनुयायी थे। [[मथुरा]] से कनिष्क की एक ऐसी मूर्ति मिली है, जिसमें उसे सैनिक वेषभूषा में दिखाया गया है। कनिष्क के अब तक प्राप्त सिक्के [[यूनानी]] एवं ईरानी भाषा में मिले हैं। कनिष्क के [[तांबा|तांबे]] के सिक्कों पर उसे 'बलिवेदी' पर बलिदान करते हुए दर्शाया गया है। कनिष्क के [[सोना|सोने]] के सिक्के [[रोम]] के सिक्कों से काफ़ी कुछ मिलते-जुलते थे। [[बुद्ध]] के [[अवशेष|अवशेषों]] पर कनिष्क ने [[पेशावर]] के निकट एक [[स्तूप]] एवं मठ का निर्माण करवाया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुषाण]]
  
 
{[[बहमनी साम्राज्य]] में प्रान्तों को क्या कहा जाता था?
 
{[[बहमनी साम्राज्य]] में प्रान्तों को क्या कहा जाता था?
Line 70: Line 33:
 
{[[औरंगज़ेब]] के शासनकाल में [[जाट]] विद्रोह का नेता कौन था?
 
{[[औरंगज़ेब]] के शासनकाल में [[जाट]] विद्रोह का नेता कौन था?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
+ज़मींदार [[गोकुल सिंह]]
+
+[[गोकुल सिंह]]
 
-[[चम्पतराय]]
 
-[[चम्पतराय]]
 
-[[राजाराम]]
 
-[[राजाराम]]
-[[ठाकुर चूड़ामन सिंह|चूड़ामन]]
+
-[[ठाकुर चूड़ामन सिंह]]
||[[चित्र:Gokula-Singh.jpg|right|100px|गोकुल सिंह जाट]]वीरवर 'गोकुल सिंह', जिसे लोग 'गोकला' नाम से जानते हैं, उसके जीवन के बारे में बस यही पता चलता है कि सन 1660-1670 के दशक में वह तिलपत नामक इलाके का प्रभावशाली ज़मींदार था। तिलपत के ज़मींदार ने [[मुग़ल]] सत्ता को इस समय चुनौती दी। [[गोकुल सिंह]] में संगठन की बहुत क्षमता थी और वह बहुत साहसी और दृढ़प्रतिज्ञ था। उपेन्द्रनाथ शर्मा का कथन है कि 'उसका जन्म सिनसिनी में हुआ और वह [[सूरजमल]] का पूर्वज था। वह [[जाट]], [[गुर्जर|गूजर]] और अहीर किसानों का नेता बन गया और उनसे कहा कि वे मुग़लों को [[मालगुज़ारी]] देना बन्द कर दें।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोकुल सिंह]]
+
||[[चित्र:Gokula-Singh.jpg|right|100px|गोकुल सिंह जाट]]वीरवर 'गोकुल सिंह', जिसे लोग 'गोकला' नाम से जानते हैं, के जीवन के बारे में बस यही पता चलता है कि सन 1660-1670 के दशक में वह तिलपत नामक इलाक़े का प्रभावशाली ज़मींदार था। तिलपत के ज़मींदार ने [[मुग़ल]] सत्ता को इस समय चुनौती दी। [[गोकुल सिंह]] में संगठन की बहुत क्षमता थी और वह बहुत साहसी और दृढ़प्रतिज्ञ था। उपेन्द्रनाथ शर्मा का कथन है कि 'उसका जन्म सिनसिनी में हुआ और वह [[सूरजमल]] का पूर्वज था। वह [[जाट]], [[गुर्जर|गूजर]] और [[अहीर]] किसानों का नेता बन गया और उनसे कहा कि वे मुग़लों को [[मालगुज़ारी]] देना बन्द कर दें।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोकुल सिंह]]
  
 
{[[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] के विषय में निम्न में से क्या असत्य है?
 
{[[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] के विषय में निम्न में से क्या असत्य है?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-[[अनीश्वरवाद|अनीश्वरवादी]] थे।
+
-[[अनीश्वरवाद|अनीश्वरवादी]] थे
-अनात्मवादी थे।
+
-[[अनात्मवाद|अनात्मवादी]] थे
+[[पुनर्जन्म]] में विश्वास नहीं करते थे।
+
+[[पुनर्जन्म]] में विश्वास नहीं करते थे
-यज्ञीय कर्म काण्ड एवं पशुबलि के विरोधी थे।
+
-यज्ञीय कर्म काण्ड एवं पशुबलि के विरोधी थे
 
||[[चित्र:Changing-bodies2.jpg|right|100px|मानव जीवन चक्र]]'पुनर्जन्म' का अर्थ है- 'पुन: नवीन शरीर प्राप्त होना'। प्रत्येक मनुष्य का मूल स्वरूप [[आत्मा]] है न कि [[मानव शरीर|शरीर]]। हर बार मृत्यु होने पर मात्र शरीर का ही अंत होता है। इसीलिए मृत्यु को देहांत (देह का अंत) कहा जाता है। मनुष्य का असली स्वरूप आत्मा, पूर्व कर्मों का फल भोगने के लिए पुन: नया शरीर प्राप्त करता है। आत्मा तब तक जन्म-मृत्यु के चक्र में घूमता रहता है, जब तक कि उसे मोक्ष प्राप्त नहीं हो जाता। मोक्ष को ही [[निर्वाण]], आत्मज्ञान, पूर्णता एवं कैवल्य आदि नामों से भी जानते हैं। पुनर्जन्म का सिद्धांत मूलत: कर्मफल का ही सिद्धांत है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुनर्जन्म]]
 
||[[चित्र:Changing-bodies2.jpg|right|100px|मानव जीवन चक्र]]'पुनर्जन्म' का अर्थ है- 'पुन: नवीन शरीर प्राप्त होना'। प्रत्येक मनुष्य का मूल स्वरूप [[आत्मा]] है न कि [[मानव शरीर|शरीर]]। हर बार मृत्यु होने पर मात्र शरीर का ही अंत होता है। इसीलिए मृत्यु को देहांत (देह का अंत) कहा जाता है। मनुष्य का असली स्वरूप आत्मा, पूर्व कर्मों का फल भोगने के लिए पुन: नया शरीर प्राप्त करता है। आत्मा तब तक जन्म-मृत्यु के चक्र में घूमता रहता है, जब तक कि उसे मोक्ष प्राप्त नहीं हो जाता। मोक्ष को ही [[निर्वाण]], आत्मज्ञान, पूर्णता एवं कैवल्य आदि नामों से भी जानते हैं। पुनर्जन्म का सिद्धांत मूलत: कर्मफल का ही सिद्धांत है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुनर्जन्म]]
 
</quiz>
 
</quiz>
Line 94: Line 57:
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__
 +
{{Review-G}}

Latest revision as of 12:48, 27 November 2016

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

panne par jaean
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213| 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237| 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346 | 347 | 348 | 349 | 350 | 351 | 352 | 353 | 354 | 355 | 356 | 357 | 358 | 359 | 360 | 361 | 362 | 363 | 364 | 365 | 366 | 367 | 368 | 369 | 370 | 371 | 372 | 373 | 374 | 375 | 376 | 377 | 378 | 379 | 380 | 381 | 382 | 383 | 384 | 385 | 386 | 387 | 388 | 389 | 390 | 391 | 392 | 393 | 394 | 395 | 396 | 397 | 398 | 399 | 400 | 401 | 402 | 403 | 404 | 405 | 406 | 407 | 408 | 409 | 410 | 411 | 412 | 413 | 414 | 415 | 416 | 417 | 418 | 419 | 420 | 421 | 422 | 423 | 424 | 425 | 426 | 427 | 428 | 429 | 430 | 431 | 432 | 433 | 434 | 435 | 436 | 437 | 438 | 439 | 440 | 441 | 442 | 443 | 444 | 445 | 446 | 447 | 448 | 449 | 450 | 451 | 452 | 453 | 454 | 455 | 456 | 457 | 458 | 459 | 460 | 461 | 462 | 463 | 464 | 465 | 466 | 467 | 468 | 469 | 470 | 471 | 472 | 473 | 474 | 475 | 476 | 477 | 478 | 479 | 480 | 481 | 482 | 483 | 484 | 485 | 486 | 487 | 488 | 489 | 490 | 491 | 492 | 493 | 494 | 495 | 496 | 497 | 498 | 499 | 500 | 501 | 502 | 503 | 504 | 505 | 506 | 507 | 508 | 509 | 510 | 511 | 512 | 513 | 514 | 515 | 516 | 517 | 518 | 519 | 520 | 521 | 522 | 523 | 524 | 525 | 526 | 527 | 528 | 529 | 530 | 531 | 532 | 533 | 534 | 535 | 536 | 537 | 538 | 539 | 540 | 541 | 542 | 543 | 544 | 545 | 546 | 547 | 548 | 549 | 550 | 551 | 552 | 553 | 554 | 555 | 556 | 557 | 558 | 559 | 560 | 561 | 562 | 563 | 564 | 565 | 566

1 tamil rashtr mean durga ka tadatmy tamil devi 'koravee' se kiya gaya hai. ve kis tattv ki tamil devi thian?

matritv
prakriti aur urvarakata
prithvi
yuddh aur vijay

2 vah pratham bharatiy shasak, jisane roman mudra pranali ke anuroop apane sikkoan ka prasaran kiya, usaka sambandh kis samrajy se tha?

shuang
hind-yoonani
gupt vanshiy
kushan

3 bahamani samrajy mean prantoan ko kya kaha jata tha?

taraf ya ataraf
sooba
sooba-e-lashkar
mahamandal

4 aurangazeb ke shasanakal mean jat vidroh ka neta kaun tha?

gokul sianh
champataray
rajaram
thakur choo daman sianh

5 mahatma buddh ke vishay mean nimn mean se kya asaty hai?

anishvaravadi the
anatmavadi the
punarjanm mean vishvas nahian karate the
yajniy karm kand evan pashubali ke virodhi the

panne par jaean
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213| 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237| 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346 | 347 | 348 | 349 | 350 | 351 | 352 | 353 | 354 | 355 | 356 | 357 | 358 | 359 | 360 | 361 | 362 | 363 | 364 | 365 | 366 | 367 | 368 | 369 | 370 | 371 | 372 | 373 | 374 | 375 | 376 | 377 | 378 | 379 | 380 | 381 | 382 | 383 | 384 | 385 | 386 | 387 | 388 | 389 | 390 | 391 | 392 | 393 | 394 | 395 | 396 | 397 | 398 | 399 | 400 | 401 | 402 | 403 | 404 | 405 | 406 | 407 | 408 | 409 | 410 | 411 | 412 | 413 | 414 | 415 | 416 | 417 | 418 | 419 | 420 | 421 | 422 | 423 | 424 | 425 | 426 | 427 | 428 | 429 | 430 | 431 | 432 | 433 | 434 | 435 | 436 | 437 | 438 | 439 | 440 | 441 | 442 | 443 | 444 | 445 | 446 | 447 | 448 | 449 | 450 | 451 | 452 | 453 | 454 | 455 | 456 | 457 | 458 | 459 | 460 | 461 | 462 | 463 | 464 | 465 | 466 | 467 | 468 | 469 | 470 | 471 | 472 | 473 | 474 | 475 | 476 | 477 | 478 | 479 | 480 | 481 | 482 | 483 | 484 | 485 | 486 | 487 | 488 | 489 | 490 | 491 | 492 | 493 | 494 | 495 | 496 | 497 | 498 | 499 | 500 | 501 | 502 | 503 | 504 | 505 | 506 | 507 | 508 | 509 | 510 | 511 | 512 | 513 | 514 | 515 | 516 | 517 | 518 | 519 | 520 | 521 | 522 | 523 | 524 | 525 | 526 | 527 | 528 | 529 | 530 | 531 | 532 | 533 | 534 | 535 | 536 | 537 | 538 | 539 | 540 | 541 | 542 | 543 | 544 | 545 | 546 | 547 | 548 | 549 | 550 | 551 | 552 | 553 | 554 | 555 | 556 | 557 | 558 | 559 | 560 | 561 | 562 | 563 | 564 | 565 | 566

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan