Difference between revisions of "पद्मदुर्ग"
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− | + | पद्मदुर्ग, [[महाराष्ट्र]] राज्य के [[रायगढ़ ज़िला|रायगढ़ ज़िले]] में स्थित है। इस क़िले का निर्माण 1663 ई. [[शिवाजी]] के उत्तराधिकारी और पुत्र [[सम्भाजी]] ने सिद्दिकियों के जंजीरा क़िले के जबाव के रुप में करवाया था। | |
− | *दुर्ग का निर्माण एक कासा बेट पर किया गया है,जिसके किनारों पर प्राचीर बनी हुई है। | + | *दुर्ग का निर्माण एक कासा बेट पर किया गया है, जिसके किनारों पर प्राचीर बनी हुई है। |
*दुर्ग का द्वार अत्यंत सुरक्षित है। पत्थर और चूने-गारे से निर्मित यह दुर्ग 300 वर्षों से भी अधिक समय के बाद आज भी उसी अवस्था में है। | *दुर्ग का द्वार अत्यंत सुरक्षित है। पत्थर और चूने-गारे से निर्मित यह दुर्ग 300 वर्षों से भी अधिक समय के बाद आज भी उसी अवस्था में है। | ||
*इसे विकसित [[कमल]] के आकार में बनाया गया है, जिसके 22 बुर्जों पर तोप रखने की व्यवस्था है, इसकी दीवारों पर [[पाषाण काल|पाषाण]] कलाकृतियाँ भी बनी हुई हैं। | *इसे विकसित [[कमल]] के आकार में बनाया गया है, जिसके 22 बुर्जों पर तोप रखने की व्यवस्था है, इसकी दीवारों पर [[पाषाण काल|पाषाण]] कलाकृतियाँ भी बनी हुई हैं। | ||
− | *शिवाजी महाराज ने इसे काफ़ी मुश्किलों से निर्मित करवाया था, | + | *शिवाजी महाराज ने इसे काफ़ी मुश्किलों से निर्मित करवाया था, इसका मुख्य उद्देश्य था, समुंदर मार्ग से होने वाले आक्रमण से गड़ क़िले की रक्षा करना और जंजीरा क़िले पर कब्ज़ा करना। |
− | *इस जलदुर्ग से एक | + | *इस जलदुर्ग से एक उद्देश्य सफल रहा परंतु जंजीरा को काबिज़ करने में सफलता हासिल नहीं हो पाई। |
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Revision as of 11:28, 20 March 2012
padmadurg, maharashtr rajy ke rayagadh zile mean sthit hai. is qile ka nirman 1663 ee. shivaji ke uttaradhikari aur putr sambhaji ne siddikiyoan ke janjira qile ke jabav ke rup mean karavaya tha.
- durg ka nirman ek kasa bet par kiya gaya hai, jisake kinaroan par prachir bani huee hai.
- durg ka dvar atyant surakshit hai. patthar aur choone-gare se nirmit yah durg 300 varshoan se bhi adhik samay ke bad aj bhi usi avastha mean hai.
- ise vikasit kamal ke akar mean banaya gaya hai, jisake 22 burjoan par top rakhane ki vyavastha hai, isaki divaroan par pashan kalakritiyaan bhi bani huee haian.
- shivaji maharaj ne ise kafi mushkiloan se nirmit karavaya tha, isaka mukhy uddeshy tha, samuandar marg se hone vale akraman se g d qile ki raksha karana aur janjira qile par kabza karana.
- is jaladurg se ek uddeshy saphal raha parantu janjira ko kabiz karane mean saphalata hasil nahian ho paee.
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