Difference between revisions of "फूलों का कुर्ता"

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फूलों का कुर्ता यशपाल का कहानी संग्रह है। यशपाल के लेखकीय सरोकारी का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज्यादा तरल रूप में, ज्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं।  
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'फूलों का कुर्ता' [[यशपाल]] का कहानी संग्रह है। यशपाल के लेखकीय सरोकारी का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज्यादा तरल रूप में, ज्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं।  
  
उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। [[प्रेमचन्द]] के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, वह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ।  
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उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस [[वर्ष|वर्षों]] में फैला हुआ है। [[प्रेमचन्द]] के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, वह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ।  
कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई जो आज तक चली आती है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन–ये कुछ ऐसे मूल्य है जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है। {{cite web |url=http://pustak.org/bs/home.php?bookid=7870 |title=फूलों का कुर्ता |accessmonthday=23 दिसम्बर|accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी }}
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कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई जो आज तक चली आती है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन–ये कुछ ऐसे मूल्य है जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है।<ref> {{cite web |url=http://pustak.org/bs/home.php?bookid=7870 |title=फूलों का कुर्ता |accessmonthday=23 दिसम्बर|accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी }}</ref>
  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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*[http://pustak.org/bs/home.php?bookid=7870  फूलों का कुर्ता]
 
 
==संबंधित लेख==
 
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[[Category:कहानी]]
 

Latest revision as of 13:50, 23 December 2012

phooloan ka kurta
lekhak yashapal
mool shirshak phooloan ka kurta
prakashak lokabharati prakashan
prakashan tithi 24 janavari, 2010
ISBN 978-81-8031-439
desh bharat
prishth: 127
bhasha hiandi
vidha kahani sangrah
mukhaprishth rachana sajild

'phooloan ka kurta' yashapal ka kahani sangrah hai. yashapal ke lekhakiy sarokari ka uts samajik parivartan ki unaki akaanksha, vaicharik pratibaddhata aur parishkrit nyay-buddhi hai. yah adharabhoot prasthan bindu unake upanyasoan mean jitani spashtata ke sath vyakt hue haian, unaki kahaniyoan mean vah jyada taral roop mean, jyada gaharaee ke sath kathanak ki shilp aur shaili mean nyast hokar ate haian.

unaki kahaniyoan ka rachanakal chalis varshoan mean phaila hua hai. premachand ke jivanakal mean hi ve katha-yatra arambh kar chuke the, vah alag bat hai ki unaki kahaniyoan ka prakashan kianchith vilamb se arambh hua. kahanikar ke roop mean unaki vishishtata yah hai ki unhoanne premachand ke prabhav se mukt aur achhoote rahate hue apani kahani-kala ka vikas kiya. unaki kahaniyoan mean sanskaragat j data aur ne vicharoan ka dvandv jitani prakharata ke sath ubharakar ata hai usane bhavishy ke kathakaroan ke lie ek nee lik banaee jo aj tak chali ati hai. vaicharik nishtha, nishedhoan aur varjanaoan se mukt nyay tatha tark ki kasautiyoan par khara jivan–ye kuchh aise mooly hai jinake lie hindi kahani yashapal ki rrini hai.[1]

‘phooloan ka kurta’ kahani sangrah mean unaki ye kahaniyaan shamil hai :

  • atithy
  • bhavani mata ki jay
  • shiv-parvati
  • khuda ki madad
  • pratishtha ka bojh
  • darapok kashmiri
  • dharmaraksha
  • jimmedari.




panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

  1. phooloan ka kurta (hiandi). . abhigaman tithi: 23 disambar, 2012.

bahari k diyaan

sanbandhit lekh