Difference between revisions of "सती बुर्ज मथुरा"

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[[मथुरा]] नगर में जहाँ इस समय [[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]] है, वहाँ मुसलमानी शासन काल में श्मशान था। उस घाट पर हिन्दुओं के शवों का दाहसंस्कार किया जाता था। तीर्थ स्थल होने के कारण अन्य स्थानों के धर्मप्राण हिन्दू भी अपने मृतकों का वहाँ दाहकर्म करने में पुण्य मानते थे। सम्राट [[अकबर]] के श्वसुर राजा [[बिहारी लाल]] की मृत्यु सं 1570 ई में हुई थी, जिनकी अन्त्येष्ठी मथुरा के विश्राम घाट पर की गई थी। उस समय उनकी रानी भी वहाँ सती हुई थी। उनकी स्मृति में उनके पुत्र राजा भगवान दास ने वहाँ एक स्तंभ निर्माण कराया था, जो 'सती का बुर्ज' कहलाता है। मथुरा की वर्तमान इमारतों में यह सबसे प्रचीन है। यह बुर्ज 55 फीट ऊँचा है, और चौमंज़िला बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है, पहले यह और भी अधिक ऊँचा था; किन्तु इसका ऊपरी भाग [[औरंगज़ेब|ओरंगजेब]] के काल में गिरा दिया गया था। कालांतर में टूटे भाग की मरम्मत ईंट-चूने से कर दी गई थी। इसके नीचे की मंजिलों में जो खिड़कियाँ, छ्ज्जे तथा महराबें आदि हैं, उन पर बेल-बूँटे, पुष्पावली और विविध पशुओं की आकृतियाँ उत्कीर्ण है। इनसे उस काल के हिन्दू स्थापत्य की एक झांकी मिलती है। इस बुर्ज के समीपवर्ती घाटों पर और भी कई गुम्मजदार पुरानी इमारतें हैं। वे भी कुछ विशिष्ट व्यक्तियों की स्मृति में बनाई गयी होंगी।
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[[मथुरा]] नगर में जहाँ इस समय [[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]] है, वहाँ मुसलमानी शासन काल में श्मशान था। उस घाट पर हिन्दुओं के शवों का दाहसंस्कार किया जाता था। तीर्थ स्थल होने के कारण अन्य स्थानों के धर्मप्राण हिन्दू भी अपने मृतकों का वहाँ दाहकर्म करने में पुण्य मानते थे। सम्राट [[अकबर]] के श्वसुर [[राजा बिहारीलाल]] की मृत्यु सं 1570 ई में हुई थी, जिनकी अन्त्येष्ठी मथुरा के विश्राम घाट पर की गई थी। उस समय उनकी रानी भी वहाँ सती हुई थी। उनकी स्मृति में उनके पुत्र राजा भगवान दास ने वहाँ एक स्तंभ निर्माण कराया था, जो 'सती का बुर्ज' कहलाता है। मथुरा की वर्तमान इमारतों में यह सबसे प्रचीन है। यह बुर्ज 55 फीट ऊँचा है, और चौमंज़िला बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है, पहले यह और भी अधिक ऊँचा था; किन्तु इसका ऊपरी भाग [[औरंगज़ेब|ओरंगजेब]] के काल में गिरा दिया गया था। कालांतर में टूटे भाग की मरम्मत ईंट-चूने से कर दी गई थी। इसके नीचे की मंजिलों में जो खिड़कियाँ, छ्ज्जे तथा महराबें आदि हैं, उन पर बेल-बूँटे, पुष्पावली और विविध पशुओं की आकृतियाँ उत्कीर्ण है। इनसे उस काल के हिन्दू स्थापत्य की एक झांकी मिलती है। इस बुर्ज के समीपवर्ती घाटों पर और भी कई गुम्मजदार पुरानी इमारतें हैं। वे भी कुछ विशिष्ट व्यक्तियों की स्मृति में बनाई गयी होंगी।
 
==वास्तु==
 
==वास्तु==
 
यह 55 फ़ीट ऊँची, चारमंज़िला, छरहरी चतुर्भुज इमारत है जिसके ऊपर छोटी गुम्बदनुमा छत है। इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । इसे गुणोत्तर प्रतिरूप की अलंकारिक उत्कीर्ण दीवारों पर बने जानवरों के मूलभाव की नक्कशी द्वारा सुसज्जित किया है । कहा जाता है कि यह उस समय की सबसे ऊँची इमारतों में से एक है । बाद में इसका अनुपयुक्त्त पलस्तर का गुम्बद पूर्व उन्नीसवीं शताब्दी में बनवाया गया ।
 
यह 55 फ़ीट ऊँची, चारमंज़िला, छरहरी चतुर्भुज इमारत है जिसके ऊपर छोटी गुम्बदनुमा छत है। इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । इसे गुणोत्तर प्रतिरूप की अलंकारिक उत्कीर्ण दीवारों पर बने जानवरों के मूलभाव की नक्कशी द्वारा सुसज्जित किया है । कहा जाता है कि यह उस समय की सबसे ऊँची इमारतों में से एक है । बाद में इसका अनुपयुक्त्त पलस्तर का गुम्बद पूर्व उन्नीसवीं शताब्दी में बनवाया गया ।
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==वीथिका==
 
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चित्र:Ghats-of-Yamuna-4.jpg|[[यमुना के घाट, मथुरा|यमुना के घाट]], [[मथुरा]]<br /> Ghats of Yamuna, Mathura
 
चित्र:Ghats-of-Yamuna-4.jpg|[[यमुना के घाट, मथुरा|यमुना के घाट]], [[मथुरा]]<br /> Ghats of Yamuna, Mathura
 
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==सम्बंधित लिंक==
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==संबंधित लेख==
{{मथुरा के स्थान और मन्दिर}}
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{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
 
[[Category:ब्रज]]
 
[[Category:ब्रज]]
 
[[Category:ब्रज के दर्शनीय स्थल]]
 
[[Category:ब्रज के दर्शनीय स्थल]]

Latest revision as of 13:47, 10 January 2011

[[chitr:Sati-Burj-1.jpg|sati burj, mathura
Sati Burj, Mathura|thumb]] mathura nagar mean jahaan is samay vishram ghat hai, vahaan musalamani shasan kal mean shmashan tha. us ghat par hinduoan ke shavoan ka dahasanskar kiya jata tha. tirth sthal hone ke karan any sthanoan ke dharmapran hindoo bhi apane mritakoan ka vahaan dahakarm karane mean puny manate the. samrat akabar ke shvasur raja biharilal ki mrityu san 1570 ee mean huee thi, jinaki antyeshthi mathura ke vishram ghat par ki gee thi. us samay unaki rani bhi vahaan sati huee thi. unaki smriti mean unake putr raja bhagavan das ne vahaan ek stanbh nirman karaya tha, jo 'sati ka burj' kahalata hai. mathura ki vartaman imaratoan mean yah sabase prachin hai. yah burj 55 phit ooancha hai, aur chaumanzila bana hua hai. aisa kaha jata hai, pahale yah aur bhi adhik ooancha tha; kintu isaka oopari bhag orangajeb ke kal mean gira diya gaya tha. kalaantar mean toote bhag ki marammat eeant-choone se kar di gee thi. isake niche ki manjiloan mean jo khi dakiyaan, chhjje tatha maharabean adi haian, un par bel-booante, pushpavali aur vividh pashuoan ki akritiyaan utkirn hai. inase us kal ke hindoo sthapaty ki ek jhaanki milati hai. is burj ke samipavarti ghatoan par aur bhi kee gummajadar purani imaratean haian. ve bhi kuchh vishisht vyaktiyoan ki smriti mean banaee gayi hoangi.

vastu

yah 55 fit ooanchi, charamanzila, chharahari chaturbhuj imarat hai jisake oopar chhoti gumbadanuma chhat hai. ise banane mean lakhori eeant v choone, lal evan balua patthar ka istemal kiya gaya hai . ise gunottar pratiroop ki alankarik utkirn divaroan par bane janavaroan ke moolabhav ki nakkashi dvara susajjit kiya hai . kaha jata hai ki yah us samay ki sabase ooanchi imaratoan mean se ek hai . bad mean isaka anupayuktt palastar ka gumbad poorv unnisavian shatabdi mean banavaya gaya .


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

vithika

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