जाइत देखलि पथ नागरि सजनि गे, आगरि सुबुधि सेगानि। कनकलता सनि सुनदरि सजनि में, विहि निरमाओलि आनि।। हस्ति-गमन जकां चलइत सजनिगे, देखइत राजकुमारि। जनिकर एहनि सोहागिनि सजनि में, पाओल पदरथ वारि।। नील वसन तन घरेल सजनिगे, सिरलेल चिकुर सम्हारि। तापर भमरा पिबय रस सजनिगे, बइसल आंखि पसारि।। केहरि सम कटि गुन अछि सजनि में, लोचन अम्बुज धारि।। विद्यापति कवि गाओलसजनि में, गुन पाओल अवधारि।।