संविधान संशोधन- 46वाँ
संविधान संशोधन- 46वाँ
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विवरण | 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। |
संविधान लागू होने की तिथि | 26 जनवरी, 1950 |
46वाँ संशोधन | 1982 |
संबंधित लेख | संविधान सभा |
अन्य जानकारी | 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। |
भारत का संविधान (46वाँ संशोधन) अधिनियम, 1982
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- इसके द्वारा अनुच्छेद 269 का संशोधन किया गया, ताकि अंतर्राज्यीय व्यापार और वाणिज्य के दौरान भेजे जाने वाले सामान पर लगाया गया कर राज्यों को सौंप दिया जाए।
- इस अनुच्छेद का संशोधन इस दृष्टि से भी किया गया, ताकि संसद क़ानून द्वारा यह निर्धारित कर सके कि किस स्थिति में भेजा जाने वाला माल अंतर्राज्यीय व्यापार या वाणिज्य के दौरान भेजा हुआ माना जाएगा।
- संघ सूची में एक नई प्रविष्ट 92 ख भी शामिल की गई, ताकि ऐसी स्थिति में जब माल अंतर्राज्यीय व्यापार या वाणिज्य के दौरान भेजा जाए तो उस माल पर कर लगाया जा सके।
- अनुच्छेद 286 के खंड 3 का संशोधन किया गया, ताकि संसद क़ानून द्वारा कार्य-संविदा के निष्पादन के दौरान वस्तुओं के हस्तांतरण में, किराया-ख़रीद अथवा किस्तों में अदायगी के आधार पर माल की सुपुर्दगी पर कर लगाने की प्रणाली, दरों और अन्य बातों के संबंध में प्रतिबंध और शर्तें विनिर्दिष्ट कर सकें।
- 'माल के क्रय और विक्रय पर कर' की परिभाषा में यह जोड़ने के लिए अनुच्छेद 366 का यथोचित संशोधन किया गया कि उसमें नियंत्रित वस्तुओं के प्रतिफलार्थ अंतरण, कार्य-संविदा के निष्पादन से संबंधित वस्तुओं के रूप में संपत्ति का अंतरण, किराया-ख़रीद अथवा किस्तों में अदायगी आदि की प्रणाली में माल की सुपुर्दगी को भी शामिल किया जा सकें।
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