पत्तनम: Difference between revisions
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*वर्ष [[2003]]-[[2004]] में केरल [[इतिहास]] व अनुसंधान परिषद् और इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेरिटेज के नेतृत्व की यह पुरातात्विक खोज भारत के पश्चिमी तट के नगरों का सबूत उपलब्ध कराती है। | *वर्ष [[2003]]-[[2004]] में केरल [[इतिहास]] व अनुसंधान परिषद् और इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेरिटेज के नेतृत्व की यह पुरातात्विक खोज भारत के पश्चिमी तट के नगरों का सबूत उपलब्ध कराती है। | ||
*इस खोज से [[मालाबार तट]] के पास पहली सदी के विख्यात नदी बंदरगाह मुजरिस के [[पेरियार नदी]] के किनारे कोडुंगालुर में स्थित होने की अवधारणा को चुनौती मिलती है। | *इस खोज से [[मालाबार तट]] के पास पहली [[सदी]] के विख्यात नदी बंदरगाह [[मुजरिस]] के [[पेरियार नदी]] के किनारे कोडुंगालुर में स्थित होने की अवधारणा को चुनौती मिलती है। | ||
*मुजरिस से यूनानी रोमन व्यापारियों के [[काली मिर्च]] और दालचीनी के व्यापार का ज़िक्र रोमन नौ सैनिक अधिकारी प्लिनी द एल्डर, अलेक्जेंड्रिया के भूगोलविद् टॉलेमी के दस्तावेजों के साथ-साथ तमिल संगम साहित्य में भी मिलता है। | *मुजरिस से यूनानी रोमन व्यापारियों के [[काली मिर्च]] और दालचीनी के व्यापार का ज़िक्र रोमन नौ सैनिक अधिकारी प्लिनी द एल्डर, अलेक्जेंड्रिया के भूगोलविद् टॉलेमी के दस्तावेजों के साथ-साथ तमिल संगम साहित्य में भी मिलता है। | ||
*इस स्थल की खुदाई के दौरान बहुमूल्य नग इत्यादि मिले हैं। | *इस स्थल की खुदाई के दौरान बहुमूल्य नग इत्यादि मिले हैं। | ||
*रोमन जार लाल-काली मिट्टी से ई.पू. पहली सदी से 78 ई.तक बनते थे। | *रोमन जार लाल-काली मिट्टी से ई.पू. पहली [[सदी]] से 78 ई.तक बनते थे। | ||
*विसुवियत पर्वत से लावा निकलने के बाद ये कभी नहीं बने। | *विसुवियत पर्वत से लावा निकलने के बाद ये कभी नहीं बने। | ||
*ऐसा माना जाता है कि ये बर्तन खाड़ी देशों से भारत पहुँचे होंगे,जो पहली बार भारत में पत्तनम में पाये गए हैं। | *ऐसा माना जाता है कि ये बर्तन खाड़ी देशों से भारत पहुँचे होंगे,जो पहली बार भारत में पत्तनम में पाये गए हैं। | ||
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Latest revision as of 07:14, 8 October 2011
- दक्षिण भारत में स्थित केरल के एर्नाकुलम ज़िले में पत्तनम नामक गाँव स्थित है।
- उत्खनन में यहाँ से मिट्टी के जार के टुकड़े मिले हैं, जिनके बारे में अनुमान है कि ये प्रसिद्ध इतालवी सुराही शिल्पकला के नमूने हैं।
- क़रीब 2000 साल पहले ऐसी सुराहियों में रोमन लोग शराब और जैतून का तेल रखा करते थे।
- वर्ष 2003-2004 में केरल इतिहास व अनुसंधान परिषद् और इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेरिटेज के नेतृत्व की यह पुरातात्विक खोज भारत के पश्चिमी तट के नगरों का सबूत उपलब्ध कराती है।
- इस खोज से मालाबार तट के पास पहली सदी के विख्यात नदी बंदरगाह मुजरिस के पेरियार नदी के किनारे कोडुंगालुर में स्थित होने की अवधारणा को चुनौती मिलती है।
- मुजरिस से यूनानी रोमन व्यापारियों के काली मिर्च और दालचीनी के व्यापार का ज़िक्र रोमन नौ सैनिक अधिकारी प्लिनी द एल्डर, अलेक्जेंड्रिया के भूगोलविद् टॉलेमी के दस्तावेजों के साथ-साथ तमिल संगम साहित्य में भी मिलता है।
- इस स्थल की खुदाई के दौरान बहुमूल्य नग इत्यादि मिले हैं।
- रोमन जार लाल-काली मिट्टी से ई.पू. पहली सदी से 78 ई.तक बनते थे।
- विसुवियत पर्वत से लावा निकलने के बाद ये कभी नहीं बने।
- ऐसा माना जाता है कि ये बर्तन खाड़ी देशों से भारत पहुँचे होंगे,जो पहली बार भारत में पत्तनम में पाये गए हैं।
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