तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली अनुवाक-5: Difference between revisions
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- तैत्तिरीयोपनिषद के शिक्षावल्ली का यह पांचवाँ अनुवाक है।
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- इस अनुवाक में 'भू:, भुव:, ' 'स्व:' और 'मह:' की व्याख्या की गयी है। 'मह:' ही ब्रह्म का स्वरूप है। वही सभी वेदांत का ज्ञान देता है।
- एक व्याहृति के चार-चार भेद हैं।
- ये कुल सोलह हैं जो इन्हें ठीक प्रकार से जान लेता है, वह 'ब्रह्म' को जान लेता है।
- सभी देवगण उसके अनुकूल हो जाते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली |
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