अमिट स्याही: Difference between revisions

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==निर्माण==
==निर्माण==
यह स्याही देशभर में केवल मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड नामक कंपनी में बनती है। यह कंपनी कर्नाटक सरकार के अधीन है। यह कंपनी [[मैसूर]] के महाराजा द्वारा 1937 में स्थापित की गई थी। उस वक्त इसका नाम था 'Mysore Lac and Paints Limited'। आजादी के बाद इस कंपनी को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम का दर्जा मिला।
यह स्याही देशभर में केवल मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड नामक कंपनी में बनती है। यह कंपनी कर्नाटक सरकार के अधीन है। यह कंपनी [[मैसूर]] के महाराजा द्वारा 1937 में स्थापित की गई थी। उस वक्त इसका नाम था 'Mysore Lac and Paints Limited'। आजादी के बाद इस कंपनी को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम का दर्जा मिला।
==चुनावों में इसका प्रयोग==
==चुनावों में इसका प्रयोग==
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1962 में इस कंपनी को अमिट स्याही बनाने का मिला। इस स्याही का इस्तेमाल पहली बार तीसरे लोकसभा चुनाव में हुआ जो 1962 में हुए थे। इस कंपनी द्वारा तैयार स्याही केवल [[भारत]] में ही नहीं, विदेशों में भी काम आती है। थाइलैंड, सिंगापुर, नाइजीरिया, मलेशिया और [[दक्षिण अफ्रीका]] में इस स्याही का निर्यात किया जाता है। कंपनी ने 2012 में कंबोडिया में हुए आम चुनावों के लिए भी स्याही बनाई है। अमिट स्याही बनाने का काम बेहद सुरक्ष‍ित और गोपनीय तरीके से होता है। इस स्याही को बनाने का फॉर्मूला नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किया गया है। इस स्याही का निशान उंगली पर करीब 20 दिनों तक रहता है।
1962 में इस कंपनी को अमिट स्याही बनाने का मिला। इस स्याही का इस्तेमाल पहली बार तीसरे लोकसभा चुनाव में हुआ जो 1962 में हुए थे। इस कंपनी द्वारा तैयार स्याही केवल [[भारत]] में ही नहीं, विदेशों में भी काम आती है। थाइलैंड, सिंगापुर, नाइजीरिया, मलेशिया और [[दक्षिण अफ्रीका]] में इस स्याही का निर्यात किया जाता है। कंपनी ने 2012 में कंबोडिया में हुए आम चुनावों के लिए भी स्याही बनाई है। अमिट स्याही बनाने का काम बेहद सुरक्ष‍ित और गोपनीय तरीके से होता है। इस स्याही को बनाने का फॉर्मूला नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किया गया है। इस स्याही का निशान उंगली पर करीब 20 दिनों तक रहता है।



Latest revision as of 11:11, 23 November 2016

thumb|अमिट स्याही (इनडिलायबिल इंक) अमिट स्याही (अंग्रेज़ी:Indelible Ink) चुनाव में वोट देने के बाद उंगली पर लगाई जाने वाली स्याही को कहते हैं।

निर्माण

यह स्याही देशभर में केवल मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड नामक कंपनी में बनती है। यह कंपनी कर्नाटक सरकार के अधीन है। यह कंपनी मैसूर के महाराजा द्वारा 1937 में स्थापित की गई थी। उस वक्त इसका नाम था 'Mysore Lac and Paints Limited'। आजादी के बाद इस कंपनी को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम का दर्जा मिला।

चुनावों में इसका प्रयोग

right|100px 1962 में इस कंपनी को अमिट स्याही बनाने का मिला। इस स्याही का इस्तेमाल पहली बार तीसरे लोकसभा चुनाव में हुआ जो 1962 में हुए थे। इस कंपनी द्वारा तैयार स्याही केवल भारत में ही नहीं, विदेशों में भी काम आती है। थाइलैंड, सिंगापुर, नाइजीरिया, मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका में इस स्याही का निर्यात किया जाता है। कंपनी ने 2012 में कंबोडिया में हुए आम चुनावों के लिए भी स्याही बनाई है। अमिट स्याही बनाने का काम बेहद सुरक्ष‍ित और गोपनीय तरीके से होता है। इस स्याही को बनाने का फॉर्मूला नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किया गया है। इस स्याही का निशान उंगली पर करीब 20 दिनों तक रहता है।

बाहरी कड़ियाँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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