वैदेही वनवास सप्तम सर्ग: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
कात्या सिंह (talk | contribs) ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Ayodhya-Singh-Upad...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - " महान " to " महान् ") |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 186: | Line 186: | ||
उतर सुमित्र-कुमार रथ से। | उतर सुमित्र-कुमार रथ से। | ||
अपार-जनता समीप आये॥ | अपार-जनता समीप आये॥ | ||
कहा कृपा है | कहा कृपा है महान् जो यों। | ||
कृपाधिकारी गये बनाए॥33॥ | कृपाधिकारी गये बनाए॥33॥ | ||
Line 379: | Line 379: | ||
न त्याग पाये स्वाभाविकता॥71॥ | न त्याग पाये स्वाभाविकता॥71॥ | ||
छन्द : चौपदे | '''छन्द : चौपदे''' | ||
मैं अबला हूँ आत्मसुखों की। | मैं अबला हूँ आत्मसुखों की। | ||
Line 401: | Line 401: | ||
विश्व-प्रेम में परिणत करना॥75॥ | विश्व-प्रेम में परिणत करना॥75॥ | ||
दोहा | '''दोहा''' | ||
इतना सुन सौमित्रा की दूर हुई दुख-दाह। | इतना सुन सौमित्रा की दूर हुई दुख-दाह। |
Latest revision as of 11:26, 1 August 2017
| ||||||||||||||||||||||||
अवध पुरी आज सज्जिता है। |
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख