इन्द्रवज्रा छन्द: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''इन्द्रवज्रा छन्द''' एक सम वर्ण वृत्त छन्द है। इसके प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - "स्वरुप" to "स्वरूप")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
'''इन्द्रवज्रा छन्द''' एक सम वर्ण वृत्त छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 11-11 वर्ण होते हैं। इसका लक्षण इस प्रकार से है-
'''इन्द्रवज्रा छन्द''' एक सम वर्ण वृत्त [[छन्द]] है। इसके प्रत्येक चरण में 11-11 [[वर्णमाला (व्याकरण)|वर्ण]] होते हैं। इसका लक्षण इस प्रकार से है-


<blockquote>स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः।</blockquote>  
<blockquote>स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः।</blockquote>  


इसका अर्थ है कि इन्द्रवज्रा के प्रत्येक चरण में दो तगण, एक जगण और दो गुरु के क्रम से वर्ण रखे जाते हैं। इसका स्वरुप इस प्रकार है-
इसका अर्थ है कि इन्द्रवज्रा के प्रत्येक चरण में दो तगण, एक जगण और दो गुरु के क्रम से वर्ण रखे जाते हैं। इसका स्वरूप इस प्रकार है-


ऽऽ । &nbsp;  &nbsp;  &nbsp; &nbsp;ऽऽ ।  &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp;।ऽ । &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp;ऽऽ<br />
ऽऽ । &nbsp;  &nbsp;  &nbsp; &nbsp;ऽऽ ।  &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp;।ऽ । &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp;ऽऽ<br />
Line 15: Line 15:
सम्भूषणं तस्य नृपस्य सैव॥</poem>
सम्भूषणं तस्य नृपस्य सैव॥</poem>


यहाँ प्रत्येक पंक्ति में प्रथम पंक्ति वाले ही [[वर्णमाला (व्याकरण)|वर्णों]] का क्रम है। अतः यहाँ 'इन्द्रवज्रा छन्द' है।
यहाँ प्रत्येक पंक्ति में प्रथम पंक्ति वाले ही [[वर्णमाला (व्याकरण)|वर्णों]] का क्रम है। अतः यहाँ 'इन्द्रवज्रा छन्द' है।<ref>{{cite web |url=http://susanskrit.org/metres-composition/2010-07-17-06-17-48/1502-2010-07-17-05-42-38.html |title=इन्द्रवज्रा |accessmonthday= 5 जनवरी|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}

Latest revision as of 13:19, 29 October 2017

इन्द्रवज्रा छन्द एक सम वर्ण वृत्त छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 11-11 वर्ण होते हैं। इसका लक्षण इस प्रकार से है-

स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः।

इसका अर्थ है कि इन्द्रवज्रा के प्रत्येक चरण में दो तगण, एक जगण और दो गुरु के क्रम से वर्ण रखे जाते हैं। इसका स्वरूप इस प्रकार है-

ऽऽ ।        ऽऽ ।        ।ऽ ।        ऽऽ
तगण    तगण    जगण    दो गुरु

उदाहरण-

ऽ ऽ ।     ऽऽ     । । ऽ ।     ऽ ऽ

विद्येव पुंसो महिमेव राज्ञः
प्रज्ञेव वैद्यस्य दयेव साधोः।
लज्जेव शूरस्य मुजेव यूनो,
सम्भूषणं तस्य नृपस्य सैव॥

यहाँ प्रत्येक पंक्ति में प्रथम पंक्ति वाले ही वर्णों का क्रम है। अतः यहाँ 'इन्द्रवज्रा छन्द' है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इन्द्रवज्रा (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 5 जनवरी, 2014।

संबंधित लेख

  1. REDIRECT साँचा:साहित्यिक शब्दावली