संकट हरणी मंगल करणी शक्तिपीठ दिल्ली: Difference between revisions

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संकट हरणी मंगल करणी शक्तिपीठ [[दिल्ली]] शहर का एक मन्दिर है। भक्तों द्वारा [[नवरात्र|नवरात्रों]] में शक्तिपीठों व मंदिर में जाकर जो फ़रियाद की जाती है, वह माँ भगवती शीघ्र पूरा कराती है, इसी विश्वास का प्रतीक है शाहदरा गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मन्दिर। ब्रह्मलीन संत शिरोमणि श्री राजमाता जी महाराज के पश्चात संत राजेश्वरानंद राज गुरु जी महाराज स्वयं को श्री राजमाता जी का नुमाइंदा मानकर शब्दों द्वारा, स्पर्श द्वारा, उचित मार्गदर्शन द्वारा दुखियों के दुखों का नाश करने हेतु मानव सेवा में तत्पर रहते हैं।  
संकट हरणी मंगल करणी शक्तिपीठ [[दिल्ली]] शहर का एक मन्दिर है। भक्तों द्वारा [[नवरात्र|नवरात्रों]] में शक्तिपीठों व मंदिर में जाकर जो फ़रियाद की जाती है, वह माँ भगवती शीघ्र पूरा कराती है, इसी विश्वास का प्रतीक है शाहदरा गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मन्दिर। ब्रह्मलीन संत शिरोमणि श्री राजमाता जी महाराज के पश्चात् संत राजेश्वरानंद राज गुरु जी महाराज स्वयं को श्री राजमाता जी का नुमाइंदा मानकर शब्दों द्वारा, स्पर्श द्वारा, उचित मार्गदर्शन द्वारा दुखियों के दुखों का नाश करने हेतु मानव सेवा में तत्पर रहते हैं।  


श्री अष्टभुजी मां की विशाल प्रतिज्ञा के ठीक नीचे मन्दिर गर्भगृह स्थित पवित्र गुफा में श्री राजमाता जी को समाधि पर भक्त, [[भारत के पुष्प|फूल]], वस्त्र, नारियल चुन्नी चढ़ाते हुए बताते हैं कि किसी को विवाह के वर्षों बाद मां की कृपा से संतान प्राप्ति हुई, तो किसी को भीषण रोग के बाद जीवनदान मिला है। किसी को कोर्ट केस से मुक्ति, तो किसी को दरिद्रता के बाद धन-धान्य एवं किसी को अविरल भक्ति प्राप्त हुई। पूर्ण नवरात्रे जनकल्याण व विश्व शांति हेतु संत श्री राज गुरु जी महाराज गुफा में मौन साधना करते हैं। पूर्ण नवरात्रे विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान के साथ फलाहारी भंडारा चलता रहता है एवं दुर्गाष्टमी के अवसर पर शोभा यात्रा निकाली जाती है, जो शुक्र बाज़ार चौक पवित्र राज राजेश्वरी जागरण में जाकर संपन्न होती है, जहाँ महाराज जी द्वारा जयकारों की गूंज के साथ मौन व्रत संपन्न होता है। ऐसा मानना है कि जो भी नि:संतान दंपत्ति इस दिन गोद भरवा कर ले जाते हैं, मां की कृपा से उनकी झोली शीघ्र भरती है।  
श्री अष्टभुजी माँ की विशाल प्रतिज्ञा के ठीक नीचे मन्दिर गर्भगृह स्थित पवित्र गुफा में श्री राजमाता जी को समाधि पर भक्त, [[भारत के पुष्प|फूल]], वस्त्र, नारियल चुन्नी चढ़ाते हुए बताते हैं कि किसी को विवाह के वर्षों बाद माँ की कृपा से संतान प्राप्ति हुई, तो किसी को भीषण रोग के बाद जीवनदान मिला है। किसी को कोर्ट केस से मुक्ति, तो किसी को दरिद्रता के बाद धन-धान्य एवं किसी को अविरल भक्ति प्राप्त हुई। पूर्ण नवरात्रे जनकल्याण व विश्व शांति हेतु संत श्री राज गुरु जी महाराज गुफा में मौन साधना करते हैं। पूर्ण नवरात्रे विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान के साथ फलाहारी भंडारा चलता रहता है एवं दुर्गाष्टमी के अवसर पर शोभा यात्रा निकाली जाती है, जो शुक्र बाज़ार चौक पवित्र राज राजेश्वरी जागरण में जाकर संपन्न होती है, जहाँ महाराज जी द्वारा जयकारों की गूंज के साथ मौन व्रत संपन्न होता है। ऐसा मानना है कि जो भी नि:संतान दंपत्ति इस दिन गोद भरवा कर ले जाते हैं, माँ की कृपा से उनकी झोली शीघ्र भरती है।  


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संकट हरणी मंगल करणी शक्तिपीठ दिल्ली शहर का एक मन्दिर है। भक्तों द्वारा नवरात्रों में शक्तिपीठों व मंदिर में जाकर जो फ़रियाद की जाती है, वह माँ भगवती शीघ्र पूरा कराती है, इसी विश्वास का प्रतीक है शाहदरा गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मन्दिर। ब्रह्मलीन संत शिरोमणि श्री राजमाता जी महाराज के पश्चात् संत राजेश्वरानंद राज गुरु जी महाराज स्वयं को श्री राजमाता जी का नुमाइंदा मानकर शब्दों द्वारा, स्पर्श द्वारा, उचित मार्गदर्शन द्वारा दुखियों के दुखों का नाश करने हेतु मानव सेवा में तत्पर रहते हैं।

श्री अष्टभुजी माँ की विशाल प्रतिज्ञा के ठीक नीचे मन्दिर गर्भगृह स्थित पवित्र गुफा में श्री राजमाता जी को समाधि पर भक्त, फूल, वस्त्र, नारियल चुन्नी चढ़ाते हुए बताते हैं कि किसी को विवाह के वर्षों बाद माँ की कृपा से संतान प्राप्ति हुई, तो किसी को भीषण रोग के बाद जीवनदान मिला है। किसी को कोर्ट केस से मुक्ति, तो किसी को दरिद्रता के बाद धन-धान्य एवं किसी को अविरल भक्ति प्राप्त हुई। पूर्ण नवरात्रे जनकल्याण व विश्व शांति हेतु संत श्री राज गुरु जी महाराज गुफा में मौन साधना करते हैं। पूर्ण नवरात्रे विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान के साथ फलाहारी भंडारा चलता रहता है एवं दुर्गाष्टमी के अवसर पर शोभा यात्रा निकाली जाती है, जो शुक्र बाज़ार चौक पवित्र राज राजेश्वरी जागरण में जाकर संपन्न होती है, जहाँ महाराज जी द्वारा जयकारों की गूंज के साथ मौन व्रत संपन्न होता है। ऐसा मानना है कि जो भी नि:संतान दंपत्ति इस दिन गोद भरवा कर ले जाते हैं, माँ की कृपा से उनकी झोली शीघ्र भरती है।


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