कुंडल: Difference between revisions
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'''कुंडल''' कान में पहना जाने वाला एक [[आभूषण]], जिसे स्त्री तथा पुरुष दोनों ही पहनते हैं। [[हिन्दू धर्म]] में कुंडल धारण करने का प्रचलन प्राचीन समय से ही रहा है। पहले स्त्री तथा पुरुष दोनों के लिए ही कुंडल पहनना अनिवार्य था, किंतु अब पुरुषों में इसका चलन कम है। लेकिन एक स्त्री के लिए कुंडल उसकी सौंदर्य सामग्री का अब भी अभिन्न हिस्सा है। | '''कुंडल''' कान में पहना जाने वाला एक [[आभूषण]], जिसे स्त्री तथा पुरुष दोनों ही पहनते हैं। [[हिन्दू धर्म]] में कुंडल धारण करने का प्रचलन प्राचीन समय से ही रहा है। पहले स्त्री तथा पुरुष दोनों के लिए ही कुंडल पहनना अनिवार्य था, किंतु अब पुरुषों में इसका चलन कम है। लेकिन एक स्त्री के लिए कुंडल उसकी सौंदर्य सामग्री का अब भी अभिन्न हिस्सा है। | ||
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चित्र:Disamb2.jpg कुण्डल | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- कुण्डल (बहुविकल्पी) |
कुंडल कान में पहना जाने वाला एक आभूषण, जिसे स्त्री तथा पुरुष दोनों ही पहनते हैं। हिन्दू धर्म में कुंडल धारण करने का प्रचलन प्राचीन समय से ही रहा है। पहले स्त्री तथा पुरुष दोनों के लिए ही कुंडल पहनना अनिवार्य था, किंतु अब पुरुषों में इसका चलन कम है। लेकिन एक स्त्री के लिए कुंडल उसकी सौंदर्य सामग्री का अब भी अभिन्न हिस्सा है।
- प्राचीन काल में कान को छेदकर जितना लंबा किया जा सके, उतना ही अधिक वह सौंदर्य का प्रतीक माना जाता था। इसी कारण भगवान बुद्ध की मूर्तियों में उनके कान काफ़ी लंबे और छेदे हुए दिखाई पड़ते हैं।
- कान लंबा करने के लिये लकड़ी, हाथी के दाँत अथवा धातु के बने लंबे गोल बेलनाकार आभूषण प्रयोग में आते थे[1], उसे ही मूलत: कुंडल कहते थे, और उसके दो रूप थे-
- प्राकार कुंडल
- वप्र कुंडल
- बाद के समय में नाना रूपों में विभिन्न प्रकार से कुंडलों का विकास होता गया।
- साहित्य में प्राय: पत्र कुंडल[2], मकर कुंडल[3], शंख कुंडल[4], रत्न कुंडल, सर्प कुंडल, मृष्ट कुंडल आदि के उल्लेख प्राप्त होते हैं।
- देवताओं के मूर्तन के प्रसंग में 'बृहत्संहिता' में सूर्य, बलराम और विष्णु को कुंडलधारी कहा गया है।
- प्राचीन मूर्तियों में प्राय: शिव और गणेश के कान में 'सर्प कुंडल', उमा तथा अन्य देवियों के कान में 'शंख' अथवा 'पत्र कुंडल' और विष्णु के कान में 'मकर कुंडल' देखने में आता है।
- 'नाथपंथ' के योगियों के बीच कुंडल का विशेष महत्व है। वे धातु अथवा हिरण की सींग के कुंडल धारण करते हैं।
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