अतियथार्थवाद: Difference between revisions
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'''अतियथार्थवाद''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Surrealism'') [[कला]] और [[साहित्य]] के क्षेत्र में प्रथम महायुद्ध के लगभग प्रचलित होने वाली चित्रकला शैली | [[चित्र:Surrealism-Painting.jpg|thumb|200px|अतियथार्थवादी चित्रकला]] | ||
'''अतियथार्थवाद''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Surrealism'') [[कला]] और [[साहित्य]] के क्षेत्र में प्रथम महायुद्ध के लगभग प्रचलित होने वाली चित्रकला शैली थी। चित्रण और मूर्तिकला में तो यह आधुनिकतम शैली और तकनीक है। इसके प्रचारकों और कलाकारों में चिरिको, दालों, मोरो, आर्प, ब्रेतों, मासं आदि प्रधान हैं। | |||
*[[कला]] में इस सृष्टि का दार्शनिक निरूपण [[1924]] में आंद्रे ब्रेतों ने अपनी अतियथार्थवादी घोषणा में किया। अतियथार्थवाद कला की, सामाजिक यथार्थवाद के अतिरिक्त, नवीनतम शैली है। | *[[कला]] में इस सृष्टि का दार्शनिक निरूपण [[1924]] में आंद्रे ब्रेतों ने अपनी अतियथार्थवादी घोषणा में किया। अतियथार्थवाद कला की, सामाजिक यथार्थवाद के अतिरिक्त, नवीनतम शैली है। |
Latest revision as of 12:33, 16 November 2017
thumb|200px|अतियथार्थवादी चित्रकला अतियथार्थवाद (अंग्रेज़ी: Surrealism) कला और साहित्य के क्षेत्र में प्रथम महायुद्ध के लगभग प्रचलित होने वाली चित्रकला शैली थी। चित्रण और मूर्तिकला में तो यह आधुनिकतम शैली और तकनीक है। इसके प्रचारकों और कलाकारों में चिरिको, दालों, मोरो, आर्प, ब्रेतों, मासं आदि प्रधान हैं।
- कला में इस सृष्टि का दार्शनिक निरूपण 1924 में आंद्रे ब्रेतों ने अपनी अतियथार्थवादी घोषणा में किया। अतियथार्थवाद कला की, सामाजिक यथार्थवाद के अतिरिक्त, नवीनतम शैली है।
- अतियथार्थवाद के प्रतीक और मान दैनंदिन जीवन के परिमाणों, प्रतिबोधों से सर्वथा भिन्न होते हैं।
- अतियथार्थवादियों की अभिरुचि अलौकिक, अद्भुत, अकल्पित और असंगत स्थितियों की अभिव्यक्ति में है। ऐसा नहीं कि उस अवचेतन का साहित्य अथवा कला में अस्तित्व पहले न रहा हो। परियों की कहानियाँ, असाधारण की कल्पना, जैसे- 'एलिस इन द वंडरलैंड' अथवा 'सिंदबाद की कहानियाँ', बच्चों अथवा अर्धविक्षिप्त व्यक्तियों के चित्रांकन साहित्य और कला दोनों क्षेत्रों में अतियथार्थवाद की इकाइयाँ प्रस्तुत करते हैं।
- चित्रण की प्रगति में अतियथार्थवाद ने परंपरागत कलाशैली को तिलांजलि दे दी। उसके आकलन और अभिप्रायों ने, चित्रादर्शों ने सर्वथा नया मोड़ लिया, परवर्ती से अंतरवर्ती की ओर। अवचेतन की स्वप्निल स्थितियों, विक्षिप्तावस्था तक को उसने शुद्ध प्रज्ञा का स्वच्छंद रूप माना।
- साधारणतः अतियथार्थवाद के दो भेद किए जाते हैं-
- स्वप्नाभिव्यक्ति
- आवेगांकन
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