अफ़वाह और किंवदंती: Difference between revisions
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'''अफ़वाह''' और ''' | '''अफ़वाह''' और '''किंवदंती''' दो अलग-अलग अर्थों वाले [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] हैं। ‘अफ़वाह’ [[हिंदी]] और [[उर्दू]] में एकवचन है, [[अरबी भाषा|अरबी]] में बहुवचन। हिंदी में इस का अर्थ है ‘उड़ती ख़बर’, जब कि अरबी में इस का मूल अर्थ है ‘बहुत से मुँह’। यह शब्द ‘फ़ूह’ का बहुवचन है। ‘फूह’ का धातुगत अर्थ है ‘बोलना’ और शब्दगत अर्थ है ‘मुँह’ (अर्थात्, ‘जिस से बोला जाए’)। ‘उड़ती खबर’ बहुत से मुँहों के माध्यम से फैलती है, इसीलिए ‘अफ़वाह’ शब्द उसी अर्थ का वाचक बन गया। हिंदी में इस के बहुवचन-रुप ‘अफ़वाहें’ और ‘अफ़वाहों’ बनते हैं (क्योंकि वहाँ न तो ‘फ़ूह’ का अता-पता है और न ‘अफ़वाह’ के भीतर की बहुवचनात्मकता का)। | ||
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‘उड़ती खबर’ यानी ‘अफ़वाह’ सच्ची भी हो सकती है और झूठी भी, लेकिन कुछ लोग ‘अफ़वाह’ का अर्थ सीधे मिथ्या समाचार’ लगाते हैं। वस्तुतः ‘ख़बर’ जब तक अप्रामाणिक रहती है, तब तक ‘अफ़वाह’ रहती है, जब उस के सही या ग़लत होने की पुष्टि हो जाती है, तब वह लुप्त हो कर क्रमशः ‘तथ्य’ या ‘गप्प’ बन जाती है। ‘श्रुति’ का एक अर्थ ‘ख़बर’ भी है, इसलिए स्थूल रूप से ‘[[जनश्रुति]]’ जनता में फैली हुई ख़बर हुई-सच्ची या झूठी। इसलिए इसे ‘अफ़वाह’ का पर्याय कहा जा सकता है। ‘जनश्रुति’ के समान | ‘उड़ती खबर’ यानी ‘अफ़वाह’ सच्ची भी हो सकती है और झूठी भी, लेकिन कुछ लोग ‘अफ़वाह’ का अर्थ सीधे मिथ्या समाचार’ लगाते हैं। वस्तुतः ‘ख़बर’ जब तक अप्रामाणिक रहती है, तब तक ‘अफ़वाह’ रहती है, जब उस के सही या ग़लत होने की पुष्टि हो जाती है, तब वह लुप्त हो कर क्रमशः ‘तथ्य’ या ‘गप्प’ बन जाती है। ‘श्रुति’ का एक अर्थ ‘ख़बर’ भी है, इसलिए स्थूल रूप से ‘[[जनश्रुति]]’ जनता में फैली हुई ख़बर हुई-सच्ची या झूठी। इसलिए इसे ‘अफ़वाह’ का पर्याय कहा जा सकता है। ‘जनश्रुति’ के समान ‘किंवदंती’ का भी स्थूल अर्थ तो ‘अफ़वाह’ ही है, पर सूक्ष्म अर्थ में वह भी ‘जनश्रुति’ है, अर्थात, ऐसी बात, जिसे लोग परंपरा से सुनते चले आए हों और जिस के बारे में यह पता न चले कि वह वस्तुतः किस के द्वारा चलाई गई होगी।’ इसीलिए इसका एक अर्थ ‘लोकोक्ति’ तक बता दिया जाता है। | ||
‘किंवदंती’ के अर्थ से मिलते-जुलते अन्य शब्द ‘जनरव’ और ‘प्रवाद’ मिलते हैं। ‘किंवदंती में प्रयुक्त ‘वदंती’ का [[संस्कृत]] में अर्थ ‘भाषण’ या ‘प्रवचन’ है और ‘किंवदंती’ के ‘किम,’ (कौन), ‘वद’ (बोलना), और ‘अंत’ इस शब्द का रहस्य स्वयं खोल रहे हैं।<ref>{{cite web |url=http://pustak.org:5200/home.php?bookid=6997 |title=मानक हिन्दी के शुद्ध प्रयोग भाग 1 |accessmonthday=31 दिसम्बर |accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतीय साहित्य संग्रह |language=हिंदी }}</ref> | ‘किंवदंती’ के अर्थ से मिलते-जुलते अन्य शब्द ‘जनरव’ और ‘प्रवाद’ मिलते हैं। ‘किंवदंती में प्रयुक्त ‘वदंती’ का [[संस्कृत]] में अर्थ ‘भाषण’ या ‘प्रवचन’ है और ‘किंवदंती’ के ‘किम,’ (कौन), ‘वद’ (बोलना), और ‘अंत’ इस शब्द का रहस्य स्वयं खोल रहे हैं।<ref>{{cite web |url=http://pustak.org:5200/home.php?bookid=6997 |title=मानक हिन्दी के शुद्ध प्रयोग भाग 1 |accessmonthday=31 दिसम्बर |accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतीय साहित्य संग्रह |language=हिंदी }}</ref> |
Latest revision as of 12:08, 30 January 2018
अफ़वाह और किंवदंती दो अलग-अलग अर्थों वाले शब्द हैं। ‘अफ़वाह’ हिंदी और उर्दू में एकवचन है, अरबी में बहुवचन। हिंदी में इस का अर्थ है ‘उड़ती ख़बर’, जब कि अरबी में इस का मूल अर्थ है ‘बहुत से मुँह’। यह शब्द ‘फ़ूह’ का बहुवचन है। ‘फूह’ का धातुगत अर्थ है ‘बोलना’ और शब्दगत अर्थ है ‘मुँह’ (अर्थात्, ‘जिस से बोला जाए’)। ‘उड़ती खबर’ बहुत से मुँहों के माध्यम से फैलती है, इसीलिए ‘अफ़वाह’ शब्द उसी अर्थ का वाचक बन गया। हिंदी में इस के बहुवचन-रुप ‘अफ़वाहें’ और ‘अफ़वाहों’ बनते हैं (क्योंकि वहाँ न तो ‘फ़ूह’ का अता-पता है और न ‘अफ़वाह’ के भीतर की बहुवचनात्मकता का)।
अर्थ
‘उड़ती खबर’ यानी ‘अफ़वाह’ सच्ची भी हो सकती है और झूठी भी, लेकिन कुछ लोग ‘अफ़वाह’ का अर्थ सीधे मिथ्या समाचार’ लगाते हैं। वस्तुतः ‘ख़बर’ जब तक अप्रामाणिक रहती है, तब तक ‘अफ़वाह’ रहती है, जब उस के सही या ग़लत होने की पुष्टि हो जाती है, तब वह लुप्त हो कर क्रमशः ‘तथ्य’ या ‘गप्प’ बन जाती है। ‘श्रुति’ का एक अर्थ ‘ख़बर’ भी है, इसलिए स्थूल रूप से ‘जनश्रुति’ जनता में फैली हुई ख़बर हुई-सच्ची या झूठी। इसलिए इसे ‘अफ़वाह’ का पर्याय कहा जा सकता है। ‘जनश्रुति’ के समान ‘किंवदंती’ का भी स्थूल अर्थ तो ‘अफ़वाह’ ही है, पर सूक्ष्म अर्थ में वह भी ‘जनश्रुति’ है, अर्थात, ऐसी बात, जिसे लोग परंपरा से सुनते चले आए हों और जिस के बारे में यह पता न चले कि वह वस्तुतः किस के द्वारा चलाई गई होगी।’ इसीलिए इसका एक अर्थ ‘लोकोक्ति’ तक बता दिया जाता है।
‘किंवदंती’ के अर्थ से मिलते-जुलते अन्य शब्द ‘जनरव’ और ‘प्रवाद’ मिलते हैं। ‘किंवदंती में प्रयुक्त ‘वदंती’ का संस्कृत में अर्थ ‘भाषण’ या ‘प्रवचन’ है और ‘किंवदंती’ के ‘किम,’ (कौन), ‘वद’ (बोलना), और ‘अंत’ इस शब्द का रहस्य स्वयं खोल रहे हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मानक हिन्दी के शुद्ध प्रयोग भाग 1 (हिंदी) भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 31 दिसम्बर, 2013।
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