कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 423: Difference between revisions
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-जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति के लिए | -जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति के लिए | ||
+भौतिक सुख एवं विजय के लिए | +भौतिक सुख एवं विजय के लिए | ||
||[[चित्र:Indra.jpg|right|border|80px|इन्द्र]]'इन्द्र' को देवताओं के राजा (देवराज) के रूप में स्मरण किया गया है। [[ऋग्वेद]] के लगभग एक चौथाई मंत्रों में [[इन्द्र]] का उल्लेख है। इससे उसके महत्व और व्यापक प्रभाव का पता चलता है। उसे कहीं पर संज्ञावत का देवता बताया गया है जो बादलों में गर्जन और बिजली पैदा करता है। कहीं पर उसे [[सूर्य देवता]] माना गया है। परंतु उसका मुख्य महत्व देवताओं को विजयी बनाने के कारण है। यह विजय वह प्राकृतिक शक्तियों को अनुकूल बनाकर दिलाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इन्द्र]] | |||
{[[अंटार्कटिका महाद्वीप|अंटार्कटिका]] के [[दक्षिणी ध्रुव]] पर अपनी प्रस्तुति देने वाले भारतीय शास्त्रीय गायक कौन हैं? | {[[अंटार्कटिका महाद्वीप|अंटार्कटिका]] के [[दक्षिणी ध्रुव]] पर अपनी प्रस्तुति देने वाले भारतीय शास्त्रीय गायक कौन हैं? | ||
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-[[पंडित रविशंकर]] | -[[पंडित रविशंकर]] | ||
-[[कुमार गंधर्व]] | -[[कुमार गंधर्व]] | ||
||[[चित्र:Pt.jasraj.jpg|right|border|80px|पंडित जसराज]]'पंडित जसराज' [[भारतीय शास्त्रीय संगीत]] के विश्वविख्यात गायक है। दिग्गज शास्त्रीय गायक [[पंडित जसराज]] ने अनूठी उपलब्धि हासिल की है। पंडित जसराज ने [[अंटार्कटिका महाद्वीप|अंटार्कटिका]] के [[दक्षिणी ध्रुव]] पर अपनी प्रस्तुति दी थी। इसके साथ ही वह सातों महाद्वीपों में कार्यक्रम पेश करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित पंडित जसराज ने अंटार्कटिका तट पर 'सी स्प्रिट' नामक क्रूज पर गायन कार्यक्रम पेश किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पंडित जसराज]] | |||
{'क्वाँग' तथा 'शब्बू' [[नृत्य]] शैलियाँ किस प्रदेश से सम्बन्धित हैं? | {'क्वाँग' तथा 'शब्बू' [[नृत्य]] शैलियाँ किस प्रदेश से सम्बन्धित हैं? | ||
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+[[राजस्थान]] | +[[राजस्थान]] | ||
-[[केरल]] | -[[केरल]] | ||
||[[चित्र:Rajasthan Map.jpg|right|border|80px|राजस्थान का नक्शा]]'राजस्थान' में मुश्किल से कोई महीना ऐसा जाता होगा, जिसमें धार्मिक उत्सव न हो। सबसे उल्लेखनीय व विशिष्ट उत्सव [[गणगौर]] है, जिसमें [[शिव|महादेव]] व [[पार्वती]] की मिट्टी की मूर्तियों की पूजा 15 दिन तक सभी जातियों की स्त्रियों के द्वारा की जाती है, और बाद में उन्हें [[जल]] में विसर्जित कर दिया जाता है। विसर्जन की शोभायात्रा में [[पुरोहित]] व अधिकारी भी शामिल होते हैं व बाजे-गाजे के साथ शोभायात्रा निकलती है। [[हिन्दू]] और [[मुसलमान]], दोनों एक-दूसरे के त्योहारों में शामिल होते हैं। इन अवसरों पर उत्साह व उल्लास का बोलबाला रहता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजस्थान]] | |||
{महाभारतकालीन नगर [[हस्तिनापुर]] को वर्तमान में किस नाम से जाना जाता है? | {महाभारतकालीन नगर [[हस्तिनापुर]] को वर्तमान में किस नाम से जाना जाता है? | ||
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-[[मुरादाबाद]] | -[[मुरादाबाद]] | ||
-[[बागपत]] | -[[बागपत]] | ||
||'मेरठ' [[गंगा नदी|गंगा]] तथा [[यमुना नदी|यमुना]] [[दोआब]] के मध्यवर्ती भाग में बसा हुआ है। गंगा नहर और हिंडन नदी के तट पर बसा मेरठ 3911 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला [[उत्तर प्रदेश]] का प्रमुख ज़िला है। उत्तर में मुज़फ़्फ़रनगर, दक्षिण में [[ग़ाज़ियाबाद]] और [[बुलंदशहर]] तथा पश्चिम में बागपत ज़िले से घिरे मेरठ में अनेक दर्शनीय स्थल हैं। एक मान्यता के अनुसार, माया नामक एक वास्तुकार ने इसे [[युधिष्ठिर]] से प्राप्त किया था। माया के नाम पर ही इसे 'मैराष्ट्र' कहा गया था। [[मेरठ]] में [[1857]] के [[1857 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सूची|स्वतंत्रता संग्राम]] की प्रथम चिंगारी फूटी थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मेरठ]] | |||
{ | {स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म [[गुजरात]] के [[काठियावाड़|काठियावाड़ ज़िले]] के किस गाँव में हुआ था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[राजापुर उत्तर प्रदेश|राजापुर]] | -[[राजापुर उत्तर प्रदेश|राजापुर]] | ||
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-[[शंकरगढ़|शंकरगढ़]] | -[[शंकरगढ़|शंकरगढ़]] | ||
+[[टंकारा]] | +[[टंकारा]] | ||
||[[चित्र:Dayanand-Saraswati.jpg|right|border|80px|दयानंद सरस्वती]]'दयानंद सरस्वती' [[आर्य समाज]] के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी संन्यासी थे। [[दयानन्द सरस्वती]] का जन्म [[गुजरात]] की छोटी-सी रियासत मोरवी के [[टंकारा]] नामक गाँव में हुआ था। [[मूल नक्षत्र]] में पैदा होने के कारण [[पुत्र]] का नाम मूलशंकर रखा गया। मूलशंकर की बुद्धि बहुत ही तेज़ थी। 14 [[वर्ष]] की उम्र तक उन्हें रुद्री आदि के साथ-साथ [[यजुर्वेद]] तथा अन्य [[वेद|वेदों]] के भी कुछ अंश कंठस्थ हो गए थे। [[व्याकरण]] के भी वे अच्छे ज्ञाता थे। इनके [[पिता]] का नाम 'अम्बाशंकर' था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दयानंद सरस्वती]] | |||
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Latest revision as of 05:21, 17 February 2020
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