हंता विषाणु: Difference between revisions
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*इस वायरस से अन्य स्तनधारी जानवर भी पीड़ित हो सकते हैं लेकिन जानकारी के अनुसार वह वायरस की संक्रमण नहीं करते। [[1951]] में उत्तर और दक्षिण कोरिया में हंता वायरस होने का पता लगा था। [[1993]] में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] में हंता वायरस के प्रकोप से 24 पीड़ितों में 12 मारे गए थे। | *इस वायरस से अन्य स्तनधारी जानवर भी पीड़ित हो सकते हैं लेकिन जानकारी के अनुसार वह वायरस की संक्रमण नहीं करते। [[1951]] में उत्तर और दक्षिण कोरिया में हंता वायरस होने का पता लगा था। [[1993]] में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] में हंता वायरस के प्रकोप से 24 पीड़ितों में 12 मारे गए थे। | ||
*इस बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है कि कौन से कारक संक्रमण को ज्यादा खतरा पैदा करते हैं। हंता वायरस संक्रमण वाले इलाकों में जाना संक्रमण होने का कारण नहीं माना जाता। | *इस बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है कि कौन से कारक संक्रमण को ज्यादा खतरा पैदा करते हैं। हंता वायरस संक्रमण वाले इलाकों में जाना संक्रमण होने का कारण नहीं माना जाता। | ||
==लक्षण== | |||
हंता वायरस के लक्षण को बड़ी आसानी से पहचान सकते हैं। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल और प्रेवेंशन के अनुसार जब कोई इंसान हंता वायरस से संक्रमित होता है, तब उसे 101 डिग्री के ऊपर बुखार होता है, उसकी मांसपेशियों में दर्द रहता है और उसे सिर दर्द भी महसूस होता है। इसके साथ-साथ हंता वायरस से संक्रमित व्यक्ति को मतली, उल्टी और पेट दर्द की समस्या भी होती है। साथ ही साथ त्वचा पर लाल दाने भी उभरने लगते हैं। | |||
फिलहाल वैज्ञानिक इसके संक्रमण को रोकने के लिए लगातार अध्ययन कर रहे हैं। डॉक्टरों के द्वारा यह भी कहा गया है कि लोगों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह केवल चूहा और गिलहरियों के ही संपर्क में आने से फैलता है। हालांकि हंता वायरस से [[भारत]] भी अछूता नहीं रहा है। [[2008]] और [[2016]] में दो बार ऐसे मामले सामने आए थे। | |||
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हंता विषाणु मानव शरीर में पल्मोनेरी सिंड्रोम पैदा कर सकता है। इस वायरस के प्रभावी होने पर रक्त स्त्राव, बुखार और गुर्दे में तकलीफ हो सकती है। यह वायरस हवा से नहीं, बल्कि चूहे और गिलहरी जैसे जानवरों के काटने, मूत्र, चेहरे और लार के संपर्क में आने से मानव शरीर में फैलता है।
- हंता वायरस चूहों से फैलता है और यह एक समूह है जिसमें अनेक वायरस शामिल हैं। इससे मानवों को दो सिंड्रोम को सकते हैं-
- हेन्टावायरस पल्मोनरी सिंड्रोम
- रीनल सिंड्रोम के साथ रक्तस्रावी बुखार
- अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र के अनुसार- हंता वायरस लोगों में जंगली चूहों से फैलता है। यह वायरस चूहों के मूत्र, थूक, और मल में मौजूद होता है और सीमित या तंग जगहों में आसानी से हवा में चूहों द्वारा छिड़का जा सकता है या मानवों द्वारा झाड़ू लगाए जाने पर हवा में फैल जाता है।
- वायरस से भरी हवा में सांस लेना संक्रमण का सबसे आसान तरीका है।
- दूषित सामग्री को छूने के बाद हाथों को मुँह या नाक के छूने से संक्रमण हो जाता है।
- चूहे के काटने से संक्रमण हो जाता है।
- हंता वायरस एक व्यक्ति में नहीं फैलता। एचपीएस से पीड़ित व्यक्ति के नजदीक रहने से दुसरे व्यक्ति को संक्रमण नहीं होगा। यह वायरस वातावरण में कुछ घंटों या दिनों तक रह सकता है (जैसे छाया में गंदगी और धुल के रूप में या चूहों के घोंसलों में) और घरेलु कीटाणुनाशकों के मारा जा सकता है, जैसे, ब्लीच, डिटर्जेंट या अल्कोहल। सूर्य की यूवी किरणों में भी यह वायरस मर जाता है। हंता वायरस के अंतर्गत एंडीज वायरस इकलौता है जिसका एक से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण हो सकता है, जो अमेरिका में पाया जाता है।
- इस वायरस से अन्य स्तनधारी जानवर भी पीड़ित हो सकते हैं लेकिन जानकारी के अनुसार वह वायरस की संक्रमण नहीं करते। 1951 में उत्तर और दक्षिण कोरिया में हंता वायरस होने का पता लगा था। 1993 में संयुक्त राज्य अमेरिका में हंता वायरस के प्रकोप से 24 पीड़ितों में 12 मारे गए थे।
- इस बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है कि कौन से कारक संक्रमण को ज्यादा खतरा पैदा करते हैं। हंता वायरस संक्रमण वाले इलाकों में जाना संक्रमण होने का कारण नहीं माना जाता।
लक्षण
हंता वायरस के लक्षण को बड़ी आसानी से पहचान सकते हैं। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल और प्रेवेंशन के अनुसार जब कोई इंसान हंता वायरस से संक्रमित होता है, तब उसे 101 डिग्री के ऊपर बुखार होता है, उसकी मांसपेशियों में दर्द रहता है और उसे सिर दर्द भी महसूस होता है। इसके साथ-साथ हंता वायरस से संक्रमित व्यक्ति को मतली, उल्टी और पेट दर्द की समस्या भी होती है। साथ ही साथ त्वचा पर लाल दाने भी उभरने लगते हैं।
फिलहाल वैज्ञानिक इसके संक्रमण को रोकने के लिए लगातार अध्ययन कर रहे हैं। डॉक्टरों के द्वारा यह भी कहा गया है कि लोगों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह केवल चूहा और गिलहरियों के ही संपर्क में आने से फैलता है। हालांकि हंता वायरस से भारत भी अछूता नहीं रहा है। 2008 और 2016 में दो बार ऐसे मामले सामने आए थे।
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