राष्ट्रीय जाँच एजेंसी: Difference between revisions
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*यह ज़िम्मेदारी पकड़े गए व्यक्ति की होगी कि वह खुद को निर्दोष साबित करे। | *यह ज़िम्मेदारी पकड़े गए व्यक्ति की होगी कि वह खुद को निर्दोष साबित करे। | ||
*एनआईए के सब इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को जाँच के लिए विशेष शक्तियाँ दी जाएँगी। | *एनआईए के सब इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को जाँच के लिए विशेष शक्तियाँ दी जाएँगी। | ||
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राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (अंग्रेज़ी: National Investigation Agency - एनआईए) भारत की सर्वोच्च सतर्कता संस्था है। इसका गठन भारत में आतंकी घटनाओं की प्रभावी जाँच करने के लिए किया गया है। गृह मंत्रालय द्वारा इस एजेंसी के गठन की औपचारिक अधिसूचना 1 जनवरी, 2009 को जारी की गई थी। मुम्बई में 26 नवम्बर, 2008 को हुए आतंकी हमले के परिप्रेक्ष्य में एक राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के गठन के लिए राष्ट्रीय जाँच एजेंसी विधेयक, 2008[1] संसद के दोनों सदनों द्वारा दिसम्बर, 2008 में पारित किया गया था, जिसे राष्ट्रपति ने 31 दिसम्बर, 2008 को अनुमोदन प्रदान किया था।
अधिकार
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी को देश के किसी भी हिस्से में आतंकी हमले की जाँच का अधिकार प्राप्त है। देश की संप्रभुता व एकता से जुड़ी सभी तरह की चुनौतियाँ इस एजेंसी की जाँच के दायरे में निर्धारित हैं। एजेंसी ऐसी घटनाओं की जाँच करेगी जो पेचीदा अंतर्राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्पर्कों वाली होगी और जिनका सम्भावित जुड़ाव हथियारों और मादक द्रव्यों की तस्करी, नकली भारतीय रुपये और सीमा पार से घुसपैठ से होगा। एनआईए के क्षेत्राधिकार में जमानत के बिना 180 दिन की हिरासत लेने और आतंकी हमलों में शामिल लोगों की जेल की सजा बढ़ाने जैसे प्रावधान शामिल हैं।
- एनआईए के महानिदेशक पद पर पहली बार नियुक्त होने वाले व्यक्ति राधाविनोद राजू थे।
कार्य
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी देश की सर्वोच्च सतर्कता संस्था है। इसे किसी भी कार्यपालिका के प्राधिकार से मुक्त रखा गया है। इसका मुख्य कार्य केन्द्र सरकार के अधीन सभी सतर्कता क्रियाकलापों की मानिटरिंग करना तथा केन्द्र सरकार के संगठनों में विभिन्न प्राधिकारियों की योजना, कार्य, पुनर्विलोकन एवं सुधार के संबंध में परामर्श देने संबंधी है। एजेंसी के कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
- प्रशासन में सच्चरित्रता के संरक्षण हेतु प्रशासनिक कार्य पद्धति एवं कार्य प्रणाली का पुनरीक्षण करना।
- लोक सेवक के विरुद्ध सत्ता के दुरुपयोग संबंधी शिकायतों की जांच करना।
- ऐसी सभी लेनदारियों की जांच करना, जिसके विषय में किसी लोक सेवक पर अनुचित उद्देश्य का आरोप लगाया गया हो।
- भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों तथा अन्य संगठनों, जिन पर केंद्र सरकार की कार्यकारी शक्ति का विस्तार किया गया है, में सतर्कता एवं भ्रष्टाचार विरोधी कार्यों की सामान्य जांच व सुपरविजन करना।
- सीबीआई के निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक तथा डी एस पी ई में एस पी एवं इनसे वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी आफ सलेक्शन चुनाव समिति की अध्यक्षता करना।
अप्रैल, 2004 में 'जनहित प्रकटीकरण एवं अनौपचारिक के संरक्षण' पर एक संकल्प के माध्यम पर केंद्र सरकार ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को किसी भ्रष्टाचार के आरोप या पद के दुरुपयोग के लिए लिखित शिकायतों को स्वीकारने तथा सही प्रशंसनीय कार्य की संस्तुति करने के लिए 'नामित एजेंसी' के रूप में अधिकृत किया गया है।
शक्तियाँ
- राष्ट्रीय जाँच एजेंसी को विशेष अधिकार प्राप्त होंगे, जिससे आतंकवाद संबंधी मामलों की जाँच तेज़ीसे की जा सके।
- यह ज़िम्मेदारी पकड़े गए व्यक्ति की होगी कि वह खुद को निर्दोष साबित करे।
- एनआईए के सब इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को जाँच के लिए विशेष शक्तियाँ दी जाएँगी।
- राष्ट्रीय जाँच एजेंसी को 180 दिन तक आरोपियों की हिरासत मिल सकेगी। फिलहाल जाँच एजेंसी को गिरफ्तारी के 90 दिन के भीतर ही चार्जशीट दाखिल करनी होती है।
- विदेशी आतंकवादियों को जमानत नहीं मिल पायेगी।
- एनआईए के अपने स्पेशल वकील और अदालतें होंगी, जहाँ आतंकवाद से संबंधित मामलों की सुनवाई होगी।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ NIA Bill, 2008
- ↑ राष्ट्रीय जाँच एजेंसी, विधेयक (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 20 दिसम्बर, 2012।