कोमोडोर बबरूभान यादव: Difference between revisions

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Latest revision as of 09:55, 6 November 2022

कोमोडोर बबरूभान यादव
पूरा नाम कोमोडोर बबरूभान यादव
अन्य नाम किलर ऑफ़ कराची
जन्म 14 सितम्बर, 1928
जन्म भूमि भाड़ावास, रेवाड़ी, हरियाणा
मृत्यु 22 जनवरी, 2010
अभिभावक पिता- मेजर भगवान सिंह
सेना भारतीय नौसेना
युद्ध भारत-पाकिस्तान युद्ध, 1971
सम्मान महावीर चक्र
नागरिकता भारतीय
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कोमोडोर बबरूभान यादव (अंग्रेज़ी: Commodore Baburubhan Yadav, जन्म- 14 सितम्बर, 1928; मृत्यु- 22 जनवरी, 2010) भारतीय नौसेना में सैन्य अधिकारी थे, जिन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध, 1971 में अपने शौर्य का प्रदर्शन किया था। 1971 की जंग में असीम शौर्य दिखाने के कारण उन्हें 'महावीर चक्र' से विभूषित किया गया था।

परिचय

महावीर चक्र विजेता कोमोडोर बबरुभान यादव का जन्म 14 सितंबर, 1928 में मेजर भगवान सिंह के घर भाड़ावास, रेवाड़ी, हरियाणा में हुआ था। सन 1949 में उन्होंने भारतीय नौसेना में कमीशन प्राप्त किया। बबरूभान यादव ने अपने शौर्य से पाकिस्तान के कराची शहर को दहला दिया था। इसिलए उन्हें 'किलर ऑफ़ कराची' भी कहा गया।[1]

बबरूभान यादव के पिता मेजर चौधरी साहिब भगवान सिंह यादव एमबीई थे, जो दोनों विश्व-युद्धों में लड़े थे। इनके बड़े भाई साहब मेजर चौधरी साहिब महेंद्र सिंह यादव भारतीय सेना में मेजर रहे।

शौर्य

4 दिसंबर, 1971 की रात को भारत-पाक युद्ध के दौरान रूस द्वारा निर्मित मिसाइल बोट की कमांड संभालते हुए बबरूभान यादव ने कराची बंदरगाह के नजदीक पाकिस्तान के तीन युद्ध पोतों को बर्बाद कर डूबो दिया।

सम्मान

  • बहादुरी एवं कर्तव्य परायणता के लिए देश के दूसरे सर्वोच्चय पुरस्कार 'महावीर चक्र' से उन्हें नवाजा गया, जो भारतीय नौसेना के लिए पहला पदक था।
  • गुरुग्राम बस स्टैंड से दिल्ली बॉर्डर डुंडाहेड़ा तक के रोड (पुराना गुड़गांव-दिल्ली रोड) का नामकरण रेवाड़ी के जाबांज महावीर चक्र विजेता कोमोडोर बबरूभान यादव के नाम पर किया गया है।

मृत्यु

देश की इस बहादुर सपूत ने 82 साल कि उम्र में 22 जनवरी 2010 को देह त्याग किया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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