मंगलेश: Difference between revisions

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*उसके चाचा (कीर्तिवर्मा के भाई) मंगलेश ने बल प्रयोग करके वातापी की गद्दी पर अधिकार कर लिया, और कुछ समय तक अपने अग्रज द्वारा स्थापित राज्य का उपभोग किया।  
*उसके चाचा (कीर्तिवर्मा के भाई) '''मंगलेश''' (597-98 से 609 ई.) ने बल प्रयोग करके [[वातापी कर्नाटक|वातापी]] की गद्दी पर अधिकार कर लिया, और कुछ समय तक अपने अग्रज द्वारा स्थापित राज्य का उपभोग किया।
*इस बीच में पुलकेशी भी शान्त नहीं बैठा था। उसने राज्य प्राप्त करने का प्रयत्न जारी रखा था, और गृह युद्ध द्वारा मंगलेश को मारकर वह राजसिंहासन पर आरूढ़ हो गया।
*वल्लभी नरेश ने मंगलेश द्वारा आरम्भ किये गये विजय अभियान को रोकने का प्रयत्न किया, किंतु इस कार्य में वह अल्प सफलता ही प्राप्त कर सका।
 
*मंगलेश ने कदम्बों को समूल से नष्ट कर दिया था।
*ऐहोल अभिलेख के उल्लेख के आधार पर प्रतीत होता है कि, मंगलेश अपने पुत्र को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहता था।
*इस बीच में पुलकेशी द्वितीय भी शान्त नहीं बैठा था। उसने राज्य प्राप्त करने का प्रयत्न जारी रखा था।
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Latest revision as of 06:43, 14 April 2012

मंगलेश ने गद्दी पर बैठने के उपरान्त कलचुरियों को पराजित किया था। कीर्तिवर्मा प्रथम के बाद उसके पुत्र पुलकेशी द्वितीय को राजा बनना चाहिए था।

  • उसके चाचा (कीर्तिवर्मा के भाई) मंगलेश (597-98 से 609 ई.) ने बल प्रयोग करके वातापी की गद्दी पर अधिकार कर लिया, और कुछ समय तक अपने अग्रज द्वारा स्थापित राज्य का उपभोग किया।
  • वल्लभी नरेश ने मंगलेश द्वारा आरम्भ किये गये विजय अभियान को रोकने का प्रयत्न किया, किंतु इस कार्य में वह अल्प सफलता ही प्राप्त कर सका।
  • मंगलेश ने कदम्बों को समूल से नष्ट कर दिया था।
  • ऐहोल अभिलेख के उल्लेख के आधार पर प्रतीत होता है कि, मंगलेश अपने पुत्र को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहता था।
  • इस बीच में पुलकेशी द्वितीय भी शान्त नहीं बैठा था। उसने राज्य प्राप्त करने का प्रयत्न जारी रखा था।
  • अंत में गृह युद्ध द्वारा मंगलेश को मारकर पुलकेशी द्वितीय राजसिंहासन पर आरूढ़ हो गया।


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