कठ गणराज्य: Difference between revisions

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'''कठ गणराज्य''' प्राचीन [[पंजाब]] का प्रसिद्ध गणराज्य था। कठ लोग [[वैदिक]] [[आर्य|आर्यों]] के वंशज थे। कहा जाता है कि [[कठोपनिषद]] के रचयिता तत्वदर्शी विद्वान् इसी जाति के रत्न थे।  
कठ प्राचीन [[पंजाब]] का प्रसिद्ध गणराज्य था। कठ लोग वैदिक [[आर्य|आर्यों]] के वंशज थे। कहा जाता है कि [[कठोपनिषद]] के रचयिता तत्वदर्शी विद्वान् इसी जाति के रत्न थे। अलक्षेंद्र के [[भारत]] पर आक्रमण के समय (327 ई. पू.) कठ गणराज्य [[रावी नदी|रावी]] और [[व्यास नदी|व्यास नदियों]] के बीच के प्रदेश या माझा में बसा हुआ था। कठ लोगों के शारीरिक सौदंर्य और अलौकिक शौर्य की ग्रीक इतिहास लेखकों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। अलक्षेंद्र के सैनिकों के साथ ये बहुत ही वीरतापूर्वक लड़े थे और सहस्त्रों शत्रु योद्धाओं को इन्होंने धराशायी कर दिया था जिसके परिणाम स्वरूप ग्रीक सैनिकों ने घबरा कर अलक्षेंद्र के बहुत कहने-सुनने पर भी व्यास नदी के पार पूर्व की ओर बढ़ने से साफ इनकार कर दिया था। ग्रीक लेखकों के अनुसार कठों के यहाँ यह जाति प्रथा प्रचलित थी कि वे केवल स्वस्थ एवं बलिष्ठ संतान को ही जीवित रहने देते थे। ओने सीक्रीटोस लिखता है कि वे सुंदरतम एवं बलिष्ठतम व्यक्ति को ही अपना शासक चुनते थे। पाणिनि ने भी कठों का कंठ या कंथ नाम से उल्लेख किया है।<ref>2,4,20)(टीका कंथ शब्द कालांतर में [[संस्कृत]] में 'मूर्ख' के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा</ref> [[महाभारत]] में जिस क्राथ नरेश को [[कौरव|कौरवों]] की ओर से युद्ध में लड़ता हुआ बताया गया है वह शायद कठ जाति का ही राजा था-  
 
:'रथीद्विपस्थेन हतोऽपतच्छरै: क्राताधिप: पर्वतजेन दुर्जय:।'<ref>देखें राय चौधरी- 'पोलिटिकल हिस्ट्री आव एशेंट इंडिया'- पृ. 220) </ref>
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ग्रीक लेखकों के अनुसार कठों के यहाँ यह जाति प्रथा प्रचलित थी कि वे केवल स्वस्थ एवं बलिष्ठ संतान को ही जीवित रहने देते थे। '''ओने सीक्रीटोस''' लिखता है कि वे सुंदरतम एवं बलिष्ठतम व्यक्ति को ही अपना शासक चुनते थे।  
 
[[पाणिनि]] ने भी कठों का '''कंठ''' या '''कंथ''' नाम से उल्लेख किया है।<ref>2,4,20, टिप्पणी- कंथ शब्द कालांतर में [[संस्कृत]] में 'मूर्ख' के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा</ref> [[महाभारत]] में जिस [[क्राथ राजा|क्राथ नरेश]] को [[कौरव|कौरवों]] की ओर से युद्ध में लड़ता हुआ बताया गया है वह शायद '''कठ जाति''' का ही राजा था-  
:'रथीद्विपस्थेन हतोऽपतच्छरै: क्राताधिप: पर्वतजेन दुर्जय:।'<ref>राय चौधरी- 'पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ एशेंट इंडिया'- पृ. 220) </ref>
 


{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 127| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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Latest revision as of 13:05, 23 May 2018

कठ गणराज्य प्राचीन पंजाब का प्रसिद्ध गणराज्य था। कठ लोग वैदिक आर्यों के वंशज थे। कहा जाता है कि कठोपनिषद के रचयिता तत्वदर्शी विद्वान् इसी जाति के रत्न थे।

अलक्षेंद्र के भारत पर आक्रमण के समय[1] कठ गणराज्य रावी और व्यास नदियों के बीच के प्रदेश या माझा में बसा हुआ था। कठ लोगों के शारीरिक सौदंर्य और अलौकिक शौर्य की ग्रीक इतिहास लेखकों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। अलक्षेंद्र के सैनिकों के साथ ये बहुत ही वीरतापूर्वक लड़े थे और सहस्त्रों शत्रु योद्धाओं को इन्होंने धराशायी कर दिया था जिसके परिणाम स्वरूप ग्रीक सैनिकों ने घबरा कर अलक्षेंद्र के बहुत कहने-सुनने पर भी व्यास नदी के पार पूर्व की ओर बढ़ने से साफ़ इनकार कर दिया था।

ग्रीक लेखकों के अनुसार कठों के यहाँ यह जाति प्रथा प्रचलित थी कि वे केवल स्वस्थ एवं बलिष्ठ संतान को ही जीवित रहने देते थे। ओने सीक्रीटोस लिखता है कि वे सुंदरतम एवं बलिष्ठतम व्यक्ति को ही अपना शासक चुनते थे।

पाणिनि ने भी कठों का कंठ या कंथ नाम से उल्लेख किया है।[2] महाभारत में जिस क्राथ नरेश को कौरवों की ओर से युद्ध में लड़ता हुआ बताया गया है वह शायद कठ जाति का ही राजा था-

'रथीद्विपस्थेन हतोऽपतच्छरै: क्राताधिप: पर्वतजेन दुर्जय:।'[3]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 127| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


  1. 327 ई. पू.
  2. 2,4,20, टिप्पणी- कंथ शब्द कालांतर में संस्कृत में 'मूर्ख' के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा
  3. राय चौधरी- 'पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ एशेंट इंडिया'- पृ. 220)

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