संविधान संशोधन- 73वाँ: Difference between revisions

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'''भारत का संविधान (73वाँ संशोधन) अधिनियम,1993'''
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'''भारत का संविधान (73वाँ संशोधन) अधिनियम, 1993'''
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*संविधान के अनुच्छेद 40 में सुरक्षित किए गए राज्यों की नीति निर्देशक सिद्धांतों में से एक में यह कहा गया है कि राज्यों को ग्राम पंचायतों का गठन करने और उन्हें वे सभी अधिकार प्रदान करने के लिए क़दम उठाने चाहिए, जो उन्हें एक स्वायत्तशासी सरकार की इकाइयों के रूप में काम करने के लिए आवश्यक हैं।  
*इसका उद्देश्य अन्य चीजों के अलावा, एक गाँव में अथवा गाँवों के समूह में ग्रामसभा स्थापित करना, गाँव के स्तर पर तथा अन्य स्तरों पर पंचायतों का गठन करना, गाँव और उसके बीच के स्तर पर पंचायतों की सभी सीटों के लिए सीधे चुनाव करना, ऐसे स्तरों पर पंचायतों के यदि सरपंच हैं तो उनका चुनाव कराना, पंचायतों में सदस्यता के लिए और सभी स्तरों पर पंचायत के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए जनसंख्या के आधार पर अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण, महिलाओं के लिए कम-से-कम एक-तिहाई सीटों का आरक्षण, पंचायतों के लिए पाँच साल की कार्यवधि तय करना और यदि कोई पंचायत भंग हो जाती है तो छह महीने के भीतर उसका चुनाव कराने की व्यवस्था करना है।
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Latest revision as of 11:13, 5 July 2013

संविधान संशोधन- 73वाँ
विवरण 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है।
संविधान लागू होने की तिथि 26 जनवरी, 1950
73वाँ संशोधन 1993
संबंधित लेख संविधान सभा
अन्य जानकारी 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है।

भारत का संविधान (73वाँ संशोधन) अधिनियम, 1993

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • संविधान के अनुच्छेद 40 में सुरक्षित किए गए राज्यों की नीति निर्देशक सिद्धांतों में से एक में यह कहा गया है कि राज्यों को ग्राम पंचायतों का गठन करने और उन्हें वे सभी अधिकार प्रदान करने के लिए क़दम उठाने चाहिए, जो उन्हें एक स्वायत्तशासी सरकार की इकाइयों के रूप में काम करने के लिए आवश्यक हैं।
  • इसका उद्देश्य अन्य चीजों के अलावा, एक गाँव में अथवा गाँवों के समूह में ग्रामसभा स्थापित करना, गाँव के स्तर पर तथा अन्य स्तरों पर पंचायतों का गठन करना, गाँव और उसके बीच के स्तर पर पंचायतों की सभी सीटों के लिए सीधे चुनाव करना, ऐसे स्तरों पर पंचायतों के यदि सरपंच हैं तो उनका चुनाव कराना, पंचायतों में सदस्यता के लिए और सभी स्तरों पर पंचायत के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए जनसंख्या के आधार पर अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण, महिलाओं के लिए कम-से-कम एक-तिहाई सीटों का आरक्षण, पंचायतों के लिए पाँच साल की कार्यवधि तय करना और यदि कोई पंचायत भंग हो जाती है तो छह महीने के भीतर उसका चुनाव कराने की व्यवस्था करना है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख