नागपट्टिनम: Difference between revisions

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'''नागपट्टिनम''' भूतपूर्व नेगापत्तम, बंदरगाह नगर दक्षिण [[भारत]] के पूर्व-मध्य [[तमिलनाडु]] राज्य के [[बंगाल की खाड़ी]] के तट पर स्थित है। ग्रीक और [[यूनानी]] काल में [[यूरोप]] के साथ व्यापार के लिए विख्यात ये प्राचीन बंदरगाह पहले [[पुर्तग़ाली]] और बाद में [[डच]] उपनिवेश बना। इसके 400 किमी उत्तर में [[मद्रास]] (वर्तमान [[चेन्नई]]) के विकास के साथ ही इसका महत्त्व कम हो गया। नागपट्टिनम के उद्योगों में जहाज़ मरम्मत, [[मछली]] पकड़ना, इस्पात कर्म और [[धातु]] के सामान का निर्माण शामिल हैं।  
*ग्रीक और [[यूनानी]] काल में [[यूरोप]] के साथ व्यापार के लिए विख्यात ये प्राचीन बंदरगाह पहले [[पुर्तग़ाली]] और बाद में [[डच]] उपनिवेश बना।  
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नागपट्टिनम भूतपूर्व नेगापत्तम, बंदरगाह नगर दक्षिण भारत के पूर्व-मध्य तमिलनाडु राज्य के बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। ग्रीक और यूनानी काल में यूरोप के साथ व्यापार के लिए विख्यात ये प्राचीन बंदरगाह पहले पुर्तग़ाली और बाद में डच उपनिवेश बना। इसके 400 किमी उत्तर में मद्रास (वर्तमान चेन्नई) के विकास के साथ ही इसका महत्त्व कम हो गया। नागपट्टिनम के उद्योगों में जहाज़ मरम्मत, मछली पकड़ना, इस्पात कर्म और धातु के सामान का निर्माण शामिल हैं।

इतिहास

चोलकालीन एक अभिलेख से ज्ञात होता है कि राजराज चोल के शासनकाल के 21 वें वर्ष (1005 ई.) में सुवर्ण द्वीप (बर्मा) के शैलेन्द्रनरेश चूड़ावर्मन ने नागपट्टिनम में एक बौद्ध विहार बनवाना प्रारम्भ किया था। राजराज चोल ने इस विदेशी नरेश को अपने राज्य के अंतर्गत बौद्ध-विहार बनवाने की अनुमति दी थी और इस विहार के व्यय के लिए एक गाँव का दान भी किया था। चूड़ावर्मन की मृत्यु के पश्चात् उसके पुत्र तथा उत्तराधिकारी श्रीमारविजयोत्तुंगवर्मन ने इस विहार को पूरा करवाया था। 15 वीं शती तक दो बौद्ध मंदिर नेगापट्टम में थे। इनमें से एक को 1867 में जेसुइट पादरियों ने नष्ट-भष्ट कर दिया और उसके स्थान पर गिरजाघर बनवाया था। कुछ विद्वानों के मत में पांड्य़ देश की उरगपुर या उरग यही स्थान था। उरगपुर का उल्लेख कालिदास ने रघुवंश में किया है, जिसकी टीका करते हुए मल्लिनाथ ने इसे कान्यकुब्ज नदी के तट पर स्थित नागपुर बताया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख