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'''कराचल''' संभवत: 'कूर्माचल' ([[कुमाऊँ]]) जिस पर [[मुहम्मद बिन तुग़लक़]] ने 1335 ई. के लगभग आक्रमण किया था। यह नाम तत्कालीन [[मुस्लिम]] इतिहासकारों द्वारा लिखा गया है।
'''कराचल''' संभवत: 'कूर्माचल' ([[कुमाऊँ]]) जिस पर [[मुहम्मद बिन तुग़लक़]] ने 1335 ई. के लगभग आक्रमण किया था। यह नाम तत्कालीन [[मुस्लिम]] इतिहासकारों द्वारा लिखा गया है। <ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=141|url=}}</ref>


*सन 1223 ई. के बालेश्वर मन्दिर के ताम्रपत्र से ज्ञात होता है कि, समकालीन [[नेपाल]] नरेश 'कराचल्ल देव' ने कुमाऊँ की राजधानी चम्पावत के निकट अपने एक अलग राज्य का विस्तार कर लिया था।
*सन 1223 ई. के '''बालेश्वर मन्दिर''' के ताम्रपत्र से ज्ञात होता है कि, समकालीन [[नेपाल]] नरेश 'कराचल्ल देव' ने [[कुमाऊँ]] की राजधानी [[चम्पावत]] के निकट अपने एक अलग राज्य का विस्तार कर लिया था।
*परिणामस्वरूप कालि कुमाऊँ की अनेक ठकुराइयाँ कराचल्ल देव को कर देने लगी थीं।
*परिणामस्वरूप कालि कुमाऊँ की अनेक ठकुराइयाँ कराचल्ल देव को कर देने लगी थीं।
*अत: यह आभास होता है कि, [[कुमाऊँ]] के एक विस्तृत भू-भाग सहित वह समस्त पर्वतीय भू-क्षेत्र, जिस पर कराचल्ल देव का अधिकार स्थापित हो गया था, 'कराचल' राज्य कहा जाने लगा हो।
*अत: यह आभास होता है कि, [[कुमाऊँ]] के एक विस्तृत भू-भाग सहित वह समस्त पर्वतीय भू-क्षेत्र, जिस पर '''कराचल्ल देव''' का अधिकार स्थापित हो गया था, 'कराचल' राज्य कहा जाने लगा हो।
 


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Latest revision as of 11:54, 1 June 2018

कराचल संभवत: 'कूर्माचल' (कुमाऊँ) जिस पर मुहम्मद बिन तुग़लक़ ने 1335 ई. के लगभग आक्रमण किया था। यह नाम तत्कालीन मुस्लिम इतिहासकारों द्वारा लिखा गया है। [1]

  • सन 1223 ई. के बालेश्वर मन्दिर के ताम्रपत्र से ज्ञात होता है कि, समकालीन नेपाल नरेश 'कराचल्ल देव' ने कुमाऊँ की राजधानी चम्पावत के निकट अपने एक अलग राज्य का विस्तार कर लिया था।
  • परिणामस्वरूप कालि कुमाऊँ की अनेक ठकुराइयाँ कराचल्ल देव को कर देने लगी थीं।
  • अत: यह आभास होता है कि, कुमाऊँ के एक विस्तृत भू-भाग सहित वह समस्त पर्वतीय भू-क्षेत्र, जिस पर कराचल्ल देव का अधिकार स्थापित हो गया था, 'कराचल' राज्य कहा जाने लगा हो।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 141 |

बाहरी कड़ियाँ

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