दुर्ग छत्तीसगढ़: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
{{ | {{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=दुर्ग|लेख का नाम=दुर्ग (बहुविकल्पी)}} | ||
दुर्ग शहर, भुतपूर्व द्रुग, मध्य [[छत्तीसगढ़]] राज्य में स्थित है। [[शिवनाथ नदी]] के पूर्वी तट पर, [[दुर्ग छत्तीसगढ़|दुर्ग]]-[[भिलाई]] नगर शहरी संकेंद्रण का हिस्सा है। दुर्ग [[मुंबई]]-हावड़ा रेलमार्ग का एक महत्त्वपूर्ण स्टेशन है। ग्रेट ईस्टर्न सड़क दुर्ग से गुज़रती है। प्राचीन राज्य में यह [[कौशल महाजनपद|कौशल राज्य]] का हिस्सा था। यहाँ [[मिट्टी]] के प्राचीन दुर्ग के [[अवशेष]] हैं, जिसका इस्तेमाल 1741 में [[मराठा|मराठों]] ने छत्तीसगढ़ को अधीन करने के लिए अपने अभियान के आधार शिविर के रूप में किया था। उन्होंने ऊँचाई पर एक मोर्चाबंद शिविर भी स्थापित किया, जो अंतत: आधुनिक नगर में बदल गया। इस क़िले कल्प के चारों ओर खाई है, जिसमें छोटे-छोटे तालाब बन गए हैं। | |||
दुर्ग शहर, भुतपूर्व द्रुग, मध्य [[छत्तीसगढ़]] राज्य | |||
==उद्योग और व्यापार== | ==उद्योग और व्यापार== | ||
छत्तीसगढ़ का दुर्ग एक प्रमुख [[कृषि]] बाज़ार है, जहाँ पर विभिन्न फ़सलों से सम्बन्धित कई मिलें हैं। यहाँ [[चावल]] एवं अरहर [[दाल]] की मिलें भी हैं। दुर्ग सर्वाधिक चना उत्पादन में सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में प्रथम है। भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के बाद इस शहर का ओद्योगिक केंद्र के रूप में महत्त्व बढ़ गया। यहाँ के लघु उद्योगों में पीपल और कांसे का काम (फुलकारी उत्पादन), तेल पेराई, धान कुटाई एवं बुनाई सहकारिता उद्योग शामिल हैं। | छत्तीसगढ़ का दुर्ग एक प्रमुख [[कृषि]] बाज़ार है, जहाँ पर विभिन्न फ़सलों से सम्बन्धित कई मिलें हैं। यहाँ [[चावल]] एवं अरहर [[दाल]] की मिलें भी हैं। दुर्ग सर्वाधिक चना उत्पादन में सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में प्रथम है। भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के बाद इस शहर का ओद्योगिक केंद्र के रूप में महत्त्व बढ़ गया। यहाँ के लघु उद्योगों में पीपल और कांसे का काम (फुलकारी उत्पादन), तेल पेराई, धान कुटाई एवं बुनाई सहकारिता उद्योग शामिल हैं। | ||
Line 10: | Line 9: | ||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{छत्तीसगढ़ के नगर}} | {{छत्तीसगढ़ के नगर}} | ||
Line 20: | Line 16: | ||
[[Category:छत्तीसगढ़ राज्य के नगर]] | [[Category:छत्तीसगढ़ राज्य के नगर]] | ||
[[Category:भारत के नगर]] | [[Category:भारत के नगर]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
Latest revision as of 06:48, 6 July 2014
चित्र:Disamb2.jpg दुर्ग | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- दुर्ग (बहुविकल्पी) |
दुर्ग शहर, भुतपूर्व द्रुग, मध्य छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित है। शिवनाथ नदी के पूर्वी तट पर, दुर्ग-भिलाई नगर शहरी संकेंद्रण का हिस्सा है। दुर्ग मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग का एक महत्त्वपूर्ण स्टेशन है। ग्रेट ईस्टर्न सड़क दुर्ग से गुज़रती है। प्राचीन राज्य में यह कौशल राज्य का हिस्सा था। यहाँ मिट्टी के प्राचीन दुर्ग के अवशेष हैं, जिसका इस्तेमाल 1741 में मराठों ने छत्तीसगढ़ को अधीन करने के लिए अपने अभियान के आधार शिविर के रूप में किया था। उन्होंने ऊँचाई पर एक मोर्चाबंद शिविर भी स्थापित किया, जो अंतत: आधुनिक नगर में बदल गया। इस क़िले कल्प के चारों ओर खाई है, जिसमें छोटे-छोटे तालाब बन गए हैं।
उद्योग और व्यापार
छत्तीसगढ़ का दुर्ग एक प्रमुख कृषि बाज़ार है, जहाँ पर विभिन्न फ़सलों से सम्बन्धित कई मिलें हैं। यहाँ चावल एवं अरहर दाल की मिलें भी हैं। दुर्ग सर्वाधिक चना उत्पादन में सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में प्रथम है। भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के बाद इस शहर का ओद्योगिक केंद्र के रूप में महत्त्व बढ़ गया। यहाँ के लघु उद्योगों में पीपल और कांसे का काम (फुलकारी उत्पादन), तेल पेराई, धान कुटाई एवं बुनाई सहकारिता उद्योग शामिल हैं।
शिक्षण संस्थान
शहर में पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय से संबध्द कई महाविद्यालयों से अलावा एक पॉलीटेक्निक और अन्य तकनीकी संस्थान हैं।
पर्यटन
पर्यटक दुर्ग पर पहाड़ों, जंगलों और नदियों के सुन्दर दृश्य देख सकते हैं। दुर्ग पर पर्यटक शानदार पर्यटन स्थलों की यात्रा कर सकते हैं। मैत्रीबाग, देवबलोड़, टंडुला, धामधा और बलोड़ इसके प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। यह पर्यटन स्थल पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं। इसके अलावा पर्यटक यहां पर आदिवासी गांवों की सैर भी कर सकते हैं। गांवों की सैर के दौरान पर्यटक आदिवासियों की संस्कृति से रूबरू हो सकते हैं।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख