केसरिया, बिहार: Difference between revisions
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*[[युवानच्वांग]] के वर्णन के अनुसार [[वैशाली]] | *[[युवानच्वांग]] के वर्णन के अनुसार [[वैशाली]] वर्तमान [[बसाढ़]], ज़िला मुजफ़्फ़रपुर, बिहार से 200 [[ली]] या 30 मील पर एक प्राचीन नगर था, जिसके ये ध्वांसावशेष जान पड़ते हैं। | ||
*यह स्तूप [[बौद्ध]] अनुश्रुति के अनुसार उस स्थान पर है, जहाँ [[महात्मा बुद्ध]] ने एक बड़े जनसमूह के सम्मुख यह घोषणा की थी कि पूर्वजन्म में भिक्षुक बनने के लिए ही उन्होंने राजत्याग किया था। | *यह स्तूप [[बौद्ध]] [[अनुश्रुति]] के अनुसार उस स्थान पर है, जहाँ [[महात्मा बुद्ध]] ने एक बड़े जनसमूह के सम्मुख यह घोषणा की थी कि पूर्वजन्म में भिक्षुक बनने के लिए ही उन्होंने राजत्याग किया था। | ||
*एक अवसर पर बुद्ध ने अपने प्रिय शिष्य [[आनन्द (बौद्ध)|आनन्द]] से कहा था कि इस स्तूप को लोगों ने चक्रवर्ती राज्य के लिए ऐसे स्थान पर बनाया था, जहाँ चार मुख्य मार्ग मिलते हैं। | *एक अवसर पर बुद्ध ने अपने प्रिय शिष्य [[आनन्द (बौद्ध)|आनन्द]] से कहा था कि इस स्तूप को लोगों ने चक्रवर्ती राज्य के लिए ऐसे स्थान पर बनाया था, जहाँ चार मुख्य मार्ग मिलते हैं। | ||
*यह बात ध्यान देने योग्य है कि केसरिया के [[स्तूप]] से चौथाई मील दूर दो मुख्य प्राचीन सड़कें मिलती हैं- एक [[अशोक]] की राजकीय सड़क, जो [[पाटलिपुत्र]] के दूसरी ओर [[गंगा]] के उत्तरी तट से [[नेपाल]] की घाटी तक और दूसरी [[छपरा]] से मोतीहारी होते हुए नेपाल जाती है। | *यह बात ध्यान देने योग्य है कि केसरिया के [[स्तूप]] से चौथाई मील दूर दो मुख्य प्राचीन सड़कें मिलती हैं- एक [[अशोक]] की राजकीय सड़क, जो [[पाटलिपुत्र]] के दूसरी ओर [[गंगा]] के उत्तरी तट से [[नेपाल]] की घाटी तक और दूसरी [[छपरा]] से मोतीहारी होते हुए नेपाल जाती है। | ||
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*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 225| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार | |||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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Latest revision as of 12:48, 15 April 2019
केसरिया मोतीहारी ज़िला, बिहार का एक ग्राम है। यह ग्राम मोतीहारी से 22 मील (लगभग 35.2 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है। ग्राम से एक मील (लगभग 1.6 कि.मी.) दूर, दक्षिण में एक 62 फुट ऊँचा ढूँह है, जिस पर ईंटों का 52 फुट ऊँचा स्तूप है। इस स्तूप को ग्राम निवासी "राजा बेन का देवरा" कहते हैं।
- युवानच्वांग के वर्णन के अनुसार वैशाली वर्तमान बसाढ़, ज़िला मुजफ़्फ़रपुर, बिहार से 200 ली या 30 मील पर एक प्राचीन नगर था, जिसके ये ध्वांसावशेष जान पड़ते हैं।
- यह स्तूप बौद्ध अनुश्रुति के अनुसार उस स्थान पर है, जहाँ महात्मा बुद्ध ने एक बड़े जनसमूह के सम्मुख यह घोषणा की थी कि पूर्वजन्म में भिक्षुक बनने के लिए ही उन्होंने राजत्याग किया था।
- एक अवसर पर बुद्ध ने अपने प्रिय शिष्य आनन्द से कहा था कि इस स्तूप को लोगों ने चक्रवर्ती राज्य के लिए ऐसे स्थान पर बनाया था, जहाँ चार मुख्य मार्ग मिलते हैं।
- यह बात ध्यान देने योग्य है कि केसरिया के स्तूप से चौथाई मील दूर दो मुख्य प्राचीन सड़कें मिलती हैं- एक अशोक की राजकीय सड़क, जो पाटलिपुत्र के दूसरी ओर गंगा के उत्तरी तट से नेपाल की घाटी तक और दूसरी छपरा से मोतीहारी होते हुए नेपाल जाती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 225| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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