बर्बर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''बर्बर''' का उल्लेख महाभारत, [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=बर्बर|लेख का नाम=बर्बर (बहुविकल्पी)}}
'''बर्बर''' का उल्लेख [[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]] में हुआ है-
'''बर्बर''' का उल्लेख [[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]] में हुआ है-
<poem>‘वारुणीं दिशामागम्य यवनान् बर्बरांस्तवा, नृपान् पश्चिमभूमिस्थान् दापयामास वै करान्’<ref>[[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]] 254, 18</ref></poem>
<poem>‘वारुणीं दिशामागम्य यवनान् बर्बरांस्तवा, नृपान् पश्चिमभूमिस्थान् दापयामास वै करान्’<ref>[[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]] 254, 18</ref></poem>


अर्थात [[कर्ण]] ने तब पश्चिम दिशा में जाकर [[यवन]] तथा बर्बर राजाओं को, जो पश्चिम देश के निवासी थे, परास्त करके उनसे कर ग्रहण किया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=611|url=}}</ref>
अर्थात् [[कर्ण]] ने तब पश्चिम दिशा में जाकर [[यवन]] तथा बर्बर राजाओं को, जो पश्चिम देश के निवासी थे, परास्त करके उनसे कर ग्रहण किया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=611|url=}}</ref>
प्राचीन काल में [[अफ़्रीका]] के 'बार्बरी' प्रदेश के रहने वाले 'बारबेरियन' कहलाते थे तथा इनकी आदिम रहन-सहन की अवस्था के कारण इन्हें यूरोपीय (ग्रीक) असभ्य समझते थे, जिससे 'बाबेरियन' शब्द ही 'असभ्य' का पर्याय हो गया।
प्राचीन काल में [[अफ़्रीका]] के 'बार्बरी' प्रदेश के रहने वाले 'बारबेरियन' कहलाते थे तथा इनकी आदिम रहन-सहन की अवस्था के कारण इन्हें यूरोपीय (ग्रीक) असभ्य समझते थे, जिससे 'बाबेरियन' शब्द ही 'असभ्य' का पर्याय हो गया।
*[[महाभारत]] के उपर्युक्त उद्धरण में 'बार्बरी' या वहाँ के निवासियों का निर्देश है अथवा [[भारत]] के पश्चिमोत्तर भू-भाग या वहाँ बसे हुए सिथियन अथवा [[अनार्य]] जातीय लोगों का।
*[[महाभारत]] के उपर्युक्त उद्धरण में 'बार्बरी' या वहाँ के निवासियों का निर्देश है अथवा [[भारत]] के पश्चिमोत्तर भू-भाग या वहाँ बसे हुए सिथियन अथवा [[अनार्य]] जातीय लोगों का।

Latest revision as of 07:54, 7 November 2017

चित्र:Disamb2.jpg बर्बर एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- बर्बर (बहुविकल्पी)

बर्बर का उल्लेख महाभारत, वनपर्व में हुआ है-

‘वारुणीं दिशामागम्य यवनान् बर्बरांस्तवा, नृपान् पश्चिमभूमिस्थान् दापयामास वै करान्’[1]

अर्थात् कर्ण ने तब पश्चिम दिशा में जाकर यवन तथा बर्बर राजाओं को, जो पश्चिम देश के निवासी थे, परास्त करके उनसे कर ग्रहण किया।[2] प्राचीन काल में अफ़्रीका के 'बार्बरी' प्रदेश के रहने वाले 'बारबेरियन' कहलाते थे तथा इनकी आदिम रहन-सहन की अवस्था के कारण इन्हें यूरोपीय (ग्रीक) असभ्य समझते थे, जिससे 'बाबेरियन' शब्द ही 'असभ्य' का पर्याय हो गया।

  • महाभारत के उपर्युक्त उद्धरण में 'बार्बरी' या वहाँ के निवासियों का निर्देश है अथवा भारत के पश्चिमोत्तर भू-भाग या वहाँ बसे हुए सिथियन अथवा अनार्य जातीय लोगों का।
  • महाभारत के युद्ध की कथा में जिस धनुर्विद बर्बरीक का वृत्तांत है, वह संभवत: बर्बरदेशीय ही था।
अन्य प्रसंग
  • एक अन्य प्रसंग के अनुसार बर्बर, काठियावाड़ या सौराष्ट्र (गुजरात) में सोरठ और गुहिलवाड़ के मध्य में स्थित प्रदेश था, जिसे अब 'बाबरियाबाड़' कहते हैं। संभवत: विदेशी अनार्य जातीय बर्बरों के इस प्रदेश में बस जाने से ही इसे बर्बर कहा जाने लगा था। इसी इलाके में 'बर्बर शेर' या 'केसरी सिंह' पाया जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, वनपर्व 254, 18
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 611 |

संबंधित लेख