हनमकोण्डा: Difference between revisions
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*हनमकोण्डा के मन्दिर की स्थापना महाराज गणपति ने की थी। | *इस स्थान का उल्लेख 'प्रतापचरित्र' नामक [[ग्रंथ]] में भी हुआ है। | ||
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*[[चालुक्य वंश|चालुक्य]] कालीन मंदिरों की भाँति ही | *हनमकोण्डा के देवालयों में मूर्तियाँ नहीं हैं, किंतु कटे हुए पत्थरों की जालियों में इन [[देवता|देवताओं]] की मूर्तियाँ निर्मित हैं। | ||
*हनमकोण्डा के देवालयों में मूर्तियाँ नहीं हैं, किंतु कटे हुए पत्थरों की जालियों में इन [[देवता|देवताओं]] की मूर्तियाँ निर्मित हैं। | *मन्दिर के सामने काले पत्थर से निर्मित भगवान [[शिव]] के सेवक [[नंदी]] की मूर्ति स्थित है। यह मूर्ति एक ही पत्थर में से काटी गई है। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
* ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 1006| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार | |||
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Latest revision as of 07:44, 16 June 2013
हनमकोण्डा एक ऐतिहासिक नगर है, जो आन्ध्र प्रदेश के वारंगल ज़िले में स्थित है। यहाँ काकतीय नरेशों के समय का बना हुआ मन्दिर है, जो दक्षिण भारत के सर्वोत्कृष्ट मन्दिरों में परिगणित किया जाता है।
- हनमकोण्डा के मन्दिर की स्थापना महाराज गणपति ने की थी।
- इस स्थान का उल्लेख 'प्रतापचरित्र' नामक ग्रंथ में भी हुआ है।
- चालुक्य कालीन मंदिरों की भाँति ही यहाँ के मन्दिर का आधार ताराकार है और इसमें सूर्य, विष्णु तथा शिव के तीन देवालय हैं।
- हनमकोण्डा के देवालयों में मूर्तियाँ नहीं हैं, किंतु कटे हुए पत्थरों की जालियों में इन देवताओं की मूर्तियाँ निर्मित हैं।
- मन्दिर के सामने काले पत्थर से निर्मित भगवान शिव के सेवक नंदी की मूर्ति स्थित है। यह मूर्ति एक ही पत्थर में से काटी गई है।
- हनमकोण्डा के मन्दिर में लगे एक तेलुगु-कन्नड़ के अभिलेख से ज्ञात होता है कि इसका निर्माण 1164 ई. में हुआ था।
- अभिलेख में काकतीय नरेश गणपति की वंशावली तथा तत्कालीन घटनाओं का विवरण है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 1006| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार