नीम का पेड़ -राही मासूम रज़ा: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''नीम का पेड़''' डॉ. राही मासूम रज़ा द...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (talk | contribs) m (नीम का पेड़ (समीक्षा) -राही मासूम रज़ा का नाम बदलकर नीम का पेड़ -राही मासूम रज़ा कर दिया गया है) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
{{सूचना बक्सा पुस्तक | |||
|चित्र=Neem-ka-Ped.jpg | |||
|चित्र का नाम=नीम का पेड़ आवरण पृष्ठ | |||
|लेखक= [[राही मासूम रज़ा]] | |||
|कवि= | |||
|मूल_शीर्षक = 'नीम का पेड़' | |||
|मुख्य पात्र = | |||
|कथानक = | |||
|अनुवादक = | |||
|संपादक = | |||
|प्रकाशक = राजकमल प्रकाशन | |||
|प्रकाशन_तिथि = | |||
|भाषा = [[हिन्दी]] | |||
|देश = [[भारत]] | |||
|विषय = | |||
|शैली = | |||
|मुखपृष्ठ_रचना = | |||
|विधा = [[उपन्यास]] | |||
|प्रकार = | |||
|पृष्ठ = 91 | |||
|ISBN = 9788126706273 | |||
|भाग = | |||
|विशेष = | |||
|टिप्पणियाँ = | |||
}} | |||
'''नीम का पेड़''' [[राही मासूम रज़ा|डॉ. राही मासूम रज़ा]] द्वारा लिखा गया [[उपन्यास]] है। यह उपन्यास दो पीढ़ियों की दास्तान का दस्तावेज़ है, जिसमें राजनीति का विदु्रप चेहरा भी मुख्य रूप से दिखाई देता है। इसमें पतन का मंजर है, लेकिन उसी में आदर्श की तलाश भी ढूँढ़ने का प्रयास किया गया है। 'नीम का पेड़' में राही मासूम रज़ा ने राजनीति की तमाम बदबूदार, खोखली, धोखेबाजी और दिखावटी परतों को धारदार तरीके से उधेड़ा है। इस उपन्यास का प्रकाशन 'राजकमल प्रकाशन' द्वारा किया गया था। | '''नीम का पेड़''' [[राही मासूम रज़ा|डॉ. राही मासूम रज़ा]] द्वारा लिखा गया [[उपन्यास]] है। यह उपन्यास दो पीढ़ियों की दास्तान का दस्तावेज़ है, जिसमें राजनीति का विदु्रप चेहरा भी मुख्य रूप से दिखाई देता है। इसमें पतन का मंजर है, लेकिन उसी में आदर्श की तलाश भी ढूँढ़ने का प्रयास किया गया है। 'नीम का पेड़' में राही मासूम रज़ा ने राजनीति की तमाम बदबूदार, खोखली, धोखेबाजी और दिखावटी परतों को धारदार तरीके से उधेड़ा है। इस उपन्यास का प्रकाशन 'राजकमल प्रकाशन' द्वारा किया गया था। | ||
==पुस्तक अंश== | ==पुस्तक अंश== |
Latest revision as of 12:58, 26 March 2013
नीम का पेड़ -राही मासूम रज़ा
| |
लेखक | राही मासूम रज़ा |
मूल शीर्षक | 'नीम का पेड़' |
प्रकाशक | राजकमल प्रकाशन |
ISBN | 9788126706273 |
देश | भारत |
पृष्ठ: | 91 |
भाषा | हिन्दी |
विधा | उपन्यास |
नीम का पेड़ डॉ. राही मासूम रज़ा द्वारा लिखा गया उपन्यास है। यह उपन्यास दो पीढ़ियों की दास्तान का दस्तावेज़ है, जिसमें राजनीति का विदु्रप चेहरा भी मुख्य रूप से दिखाई देता है। इसमें पतन का मंजर है, लेकिन उसी में आदर्श की तलाश भी ढूँढ़ने का प्रयास किया गया है। 'नीम का पेड़' में राही मासूम रज़ा ने राजनीति की तमाम बदबूदार, खोखली, धोखेबाजी और दिखावटी परतों को धारदार तरीके से उधेड़ा है। इस उपन्यास का प्रकाशन 'राजकमल प्रकाशन' द्वारा किया गया था।
पुस्तक अंश
लेखक के कथनानुसार- "मैं अपनी तरफ़ से इस कहानी में कहानी भी नहीं जोड़ सकता था। इसलिए इस कहानी में आपको हदें भी दिखाई देंगी और सरहदें भी। नफरतों की आग में मोहब्बत के छींटे दिखाई देंगे। सपने दिखाई देंगे तो उनका टूटना भी।...और इन सबके पीछे दिखाई देगी, सियासत की काली स्याह दीवार। हिन्दुस्तान की आज़ादी को जिसने निगल लिया। जिसने राज को कभी सु-राज नहीं होने दिया। जिसे हम रोज़ झंडे और पहिए के पीछे ढूँढते रहे कि आख़िर उसका निशान कहाँ है? गाँव मदरसा खुर्द और लछमनपुर कलाँ महज दो गाँव-भर नहीं है और अली ज़ामिन ख़ाँ और मुसलिम मियाँ की अदावत बस दो ख़ालाज़ाद भाइयों की अदावत नहीं है। ये तो मुझे मुल्कों की अदावत की तरह दिखाई देती है, जिसमें कभी एक का पलड़ा झुकता दिखाई देता है तो कभी दूसरे का और जिसमें न कोई हारता है, न कोई जीतता है। बस, बाकी रह जाता है नफरत का एक सिलसिला...। सच-सच बताऊँ तो मैं न लछमनपुर कलाँ को जानता हूँ और न ही मदरसा खुर्द को और अली ज़ामिन खाँ, मुसलिम मियाँ नाम के उन दो ख़ालाज़ाद भाइयों को तो बिल्कुल ही नहीं। हो सकता है यह सब उस नीम के पेड़ की कोरी बकवास हो जो उसने मुझे सुनाई और मैं आपको सुनाने बैठ गया। मैं तो शुक्रगुज़ार हूँ उस नीम के पेड़ का, जिसने मुल्क को टुकड़े होते हुए भी देखा है और आज़ादी के सपनों को टूटते हुए भी देखा है। उसका दर्द बस इतना है कि वह इन सबके बीच मोहब्बत और सुकून की तलाश करता फिर रहा है।"
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख