त्रिलोचनपाल (कन्नौज का राजा): Difference between revisions
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*महमूद ग़ज़नवी के हमले के समय कन्नौज का शासक राज्यपाल था। राज्यपाल बिना लड़े ही भाग खड़ा हुआ और बाद में उसने महमूद ग़ज़नवी की अधीनता स्वीकार कर ली। | *महमूद ग़ज़नवी के हमले के समय कन्नौज का शासक राज्यपाल था। राज्यपाल बिना लड़े ही भाग खड़ा हुआ और बाद में उसने महमूद ग़ज़नवी की अधीनता स्वीकार कर ली। | ||
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*कन्नौज में [[गहड़वाल वंश]] अथवा 'राठौर वंश' का उद्भव होने पर उसने 11वीं शताब्दी के द्वितीय चतुर्थांश में बाड़ी के [[गुर्जर प्रतिहार वंश|गुर्जर-प्रतिहार वंश]] को सदा के लिए उखाड़ दिया। | *कन्नौज में [[गहड़वाल वंश]] अथवा 'राठौर वंश' का उद्भव होने पर उसने 11वीं शताब्दी के द्वितीय चतुर्थांश में बाड़ी के [[गुर्जर प्रतिहार वंश|गुर्जर-प्रतिहार वंश]] को सदा के लिए उखाड़ दिया। | ||
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चित्र:Disamb2.jpg त्रिलोचनपाल | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- त्रिलोचनपाल (बहुविकल्पी) |
त्रिलोचनपाल (1019 ई.) कन्नौज का राजा था। चन्देल राजा गण्ड ने कन्नौज के पूर्व राजा राज्यपाल की कायरता से क्रोधित होकर उसे पराजित कर मार डाला और उसके स्थान पर त्रिलोचनपाल को कन्नौज की गद्दी पर बैठाया। त्रिलोचनपाल का महमूद ग़ज़नवी से सामना होने पर उसने महमूद को यमुना पार रोकने की असफल कोशिश की थी।
- महमूद ग़ज़नवी के हमले के समय कन्नौज का शासक राज्यपाल था। राज्यपाल बिना लड़े ही भाग खड़ा हुआ और बाद में उसने महमूद ग़ज़नवी की अधीनता स्वीकार कर ली।
- राज्यपाल की इस कायरता से आस-पास के गुर्जर राजा बहुत ही नाराज़ हुए।
- महमूद ग़ज़नवी के लौट जाने पर कालिंजर के चन्देल राजा गण्ड के नेतृत्व में गुर्जर राजाओं ने कन्नौज के राज्यपाल को पराजित कर मार डाला और उसके स्थान पर त्रिलोचनपाल को गद्दी पर बैठाया।
- महमूद के दोबारा आक्रमण करने पर कन्नौज फिर से उसके अधीन हो गया। त्रिलोचनपाल बाड़ी में शासन करने लगा। उसकी हैसियत स्थानीय सामन्त जैसी रह गयी।
- कन्नौज में गहड़वाल वंश अथवा 'राठौर वंश' का उद्भव होने पर उसने 11वीं शताब्दी के द्वितीय चतुर्थांश में बाड़ी के गुर्जर-प्रतिहार वंश को सदा के लिए उखाड़ दिया।
- त्रिलोचनपाल 1027 ई. तक जीवित था। इस वर्ष का उसका एक दानपत्र प्रयाग के निकट पाया गया है।
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