इन्द्रवज्रा छन्द: Difference between revisions

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<blockquote>स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः।</blockquote>  
<blockquote>स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः।</blockquote>  


इसका अर्थ है कि इन्द्रवज्रा के प्रत्येक चरण में दो तगण, एक जगण और दो गुरु के क्रम से वर्ण रखे जाते हैं। इसका स्वरुप इस प्रकार है-
इसका अर्थ है कि इन्द्रवज्रा के प्रत्येक चरण में दो तगण, एक जगण और दो गुरु के क्रम से वर्ण रखे जाते हैं। इसका स्वरूप इस प्रकार है-


ऽऽ । &nbsp;  &nbsp;  &nbsp; &nbsp;ऽऽ ।  &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp;।ऽ । &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp;ऽऽ<br />
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Latest revision as of 13:19, 29 October 2017

इन्द्रवज्रा छन्द एक सम वर्ण वृत्त छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 11-11 वर्ण होते हैं। इसका लक्षण इस प्रकार से है-

स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः।

इसका अर्थ है कि इन्द्रवज्रा के प्रत्येक चरण में दो तगण, एक जगण और दो गुरु के क्रम से वर्ण रखे जाते हैं। इसका स्वरूप इस प्रकार है-

ऽऽ ।        ऽऽ ।        ।ऽ ।        ऽऽ
तगण    तगण    जगण    दो गुरु

उदाहरण-

ऽ ऽ ।     ऽऽ     । । ऽ ।     ऽ ऽ

विद्येव पुंसो महिमेव राज्ञः
प्रज्ञेव वैद्यस्य दयेव साधोः।
लज्जेव शूरस्य मुजेव यूनो,
सम्भूषणं तस्य नृपस्य सैव॥

यहाँ प्रत्येक पंक्ति में प्रथम पंक्ति वाले ही वर्णों का क्रम है। अतः यहाँ 'इन्द्रवज्रा छन्द' है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इन्द्रवज्रा (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 5 जनवरी, 2014।

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  1. REDIRECT साँचा:साहित्यिक शब्दावली