चौपई छन्द: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''चौपई''' एक मात्रिक छन्द है। इस छन्द में चार चरण यानि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ")
 
Line 2: Line 2:
{{tocright}}
{{tocright}}
==पहचान==
==पहचान==
[[चौपाई|चौपाई छन्द]] 16 मात्राओं के चरण का [[छन्द]] होता है। चौपाई के चरणान्त से एक लघु निकाल दिया जाय तो चरण की कुल मात्रा 15 रह जाती है और चौपाई छन्द का नाम बदल कर 'चौपई' हो जाता है।  इस तरह चौपई का चरणांत गुरु-लघु हो जाता है। यही इसकी मूल पहचान है। अर्थात चौपई 15 मात्राओं के चार चरणों का सम मात्रिक छन्द है। इस छंद का एक और नाम 'जयकरी' या 'जयकारी' छन्द भी है।
[[चौपाई|चौपाई छन्द]] 16 मात्राओं के चरण का [[छन्द]] होता है। चौपाई के चरणान्त से एक लघु निकाल दिया जाय तो चरण की कुल मात्रा 15 रह जाती है और चौपाई छन्द का नाम बदल कर 'चौपई' हो जाता है।  इस तरह चौपई का चरणांत गुरु-लघु हो जाता है। यही इसकी मूल पहचान है। अर्थात् चौपई 15 मात्राओं के चार चरणों का सम मात्रिक छन्द है। इस छंद का एक और नाम 'जयकरी' या 'जयकारी' छन्द भी है।


चौपाई की कुल 16 मात्राओं के एक चरण का विन्यास निम्नलिखित होता है<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:Topic:526818|title=चौपई छन्द|accessmonthday=28 मई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>-
चौपाई की कुल 16 मात्राओं के एक चरण का विन्यास निम्नलिखित होता है<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:Topic:526818|title=चौपई छन्द|accessmonthday=28 मई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>-

Latest revision as of 07:51, 7 November 2017

चौपई एक मात्रिक छन्द है। इस छन्द में चार चरण यानि चार पाद होते है। चौपई छन्द से मिलते-जुलते नाम वाले अत्यंत ही प्रसिद्ध सममात्रिक छन्द चौपाई से भ्रम में नहीं पड़ना चाहिये। चौपई के प्रत्येक चरण में 15 मात्राओं के साथ ही प्रत्येक चरण में समापन एक गुरु एवं एक लघु के संयोग से होता है। अपने समय में इस छन्द का प्रयोग धार्मिक साहित्य, जैसे श्लोकादि में किया जाता रहा है।

पहचान

चौपाई छन्द 16 मात्राओं के चरण का छन्द होता है। चौपाई के चरणान्त से एक लघु निकाल दिया जाय तो चरण की कुल मात्रा 15 रह जाती है और चौपाई छन्द का नाम बदल कर 'चौपई' हो जाता है। इस तरह चौपई का चरणांत गुरु-लघु हो जाता है। यही इसकी मूल पहचान है। अर्थात् चौपई 15 मात्राओं के चार चरणों का सम मात्रिक छन्द है। इस छंद का एक और नाम 'जयकरी' या 'जयकारी' छन्द भी है।

चौपाई की कुल 16 मात्राओं के एक चरण का विन्यास निम्नलिखित होता है[1]-

  1. चार चौकल
  2. दो चौकल + एक अठकल
  3. दो अठकल

उपरोक्त विन्यास में से अंत का एक लघु हटा दिया जाय तो उसका विन्यास इस प्रकार बनता है। यह चौपई छन्द का विन्यास होगा-

  1. तीन चौकल + गुरु-लघु
  2. एक अठकल + एक चौकल + गुरु-लघु

उत्तम छन्द सृजन

  • उत्तम छन्द सृजन के लिए अगर इस छन्द की रचना करते समय । । । । ऽ । । ऽ ऽ ऽ । या 4, 4, 7 का मात्रिक विन्यास रखा जाए तो लयबद्धता अधिक निखर कर आती है।

बाल-साहित्य में उपयोगी

चौपई छन्द के सम्बन्ध में एक तथ्य यह भी सर्वमान्य है कि चौपई छन्द बाल-साहित्य के लिए बहुत उपयोगी है, क्योंकि ऐसे में गेयता अत्यंत सधी होती है।[1]

हाथीजी की लम्बी नाक । सिंहराज की बैठी धाक ॥
भालू ने पिटवाया ढाक । ताक धिना-धिन धिन-धिन ताक ॥
बन्दर खाता काला जाम । खट्टा लगता कच्चा आम ॥
लिये सुमिरनी आठो जाम । तोता जपता सीता - राम ॥[2]

व्यावहारिक उदाहरण

पड़ी अचानक नदी अपार । घोड़ा कैसे उतरे पार ॥
राणा ने सोचा इस पार । तबतक चेतक था उसपार ॥[3]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 चौपई छन्द (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 28 मई, 2014।
  2. नारायण दास
  3. श्याम नारायण पाण्डेय

संबंधित लेख

  1. REDIRECT साँचा:साहित्यिक शब्दावली