जगदीश सिंह खेहर: Difference between revisions

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==शिक्षा==
==शिक्षा==
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*[[13 सितंबर]], [[2011]] को [[सुप्रीम कोर्ट]] के न्यायाधीश बनने वाले जगदीश सिंह खेहर सख्त कानूनी प्रशासक माने जाते हैं। खेहर बार-बार सुनवाई को स्थगित करने की अपील कर कोर्ट का समय खराब करने वाले लोगों के प्रति बहुत कठोर हैं। सुप्रीम कोर्ट में किसी केस के मामले में पूरी तैयारी नहीं करके आने वाले वकीलों के प्रति भी खेहर नरमी से पेश नहीं आते। एक बार तो खेहर कोर्ट रूम से इसलिए बाहर चले गए थे, क्योंकि वकीलों ने अपने कागजात सही तरीके से पेश नहीं किए थे। दरअसल, जगदीश सिंह खेहर बार को यह संदेश देना चाहते थे कि वकीलों को अपना पूरा होमवर्क करके ही कोर्ट में आना चाहिए था।
 
*न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायाधीश के. एस. राधाकृष्णन की बेंच ने सहारा के चेयरमैन सुब्रत रॉय सहारा को निवेशकों के पैसे नहीं लौटाने के कारण तिहाड़ जेल भेज दिया था। बाद में कुछ वरिष्ठ वकीलों ने आरोप लगाया कि रॉय के मामले की सही सुनवाई नहीं हुई और उनके साथ प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया। हालांकि इन आरोपों के बावजूद जगदीश सिंह खेहर ने इस मामले की दोबारा सुनवाई से इनकार कर दिया। बाद में एक नई बेंच के जिम्मे इस मामले को सौंपा गया। बावजूद इसके रॉय को दो साल से ज्यादा समय तक जेल में बिताने पड़े और उन्हें तभी परोल मिली, जब उनकी माँ का निधन हुआ।
 
*हाल ही में उपहार कांड में अंसल बंधुओं को जगदीश सिंह खेहर के गुस्से का शिकार होना पड़ा था। जगदीश सिंह खेहर ने अंसल बंधुओं के वकील से अपने मुवक्किल की तरफ़ से हलफनामा मांगा, जिसमें उनके देश छोड़कर नहीं भागने की बात हो। अंसल बंधुओं ने तुरंत ही इस पर हामी भरी थी।




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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==संबंधित लेख==
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Latest revision as of 06:17, 28 August 2018

जगदीश सिंह खेहर
पूरा नाम जगदीश सिंह खेहर
जन्म 28 अगस्त, 1952
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र न्यायपालिका
शिक्षा एल.एल.एम.
विद्यालय राजकीय कॉलेज, चंडीगढ़; पंजाब विश्वविद्यालय
प्रसिद्धि भारत के 44वें मुख्य न्यायाधीश रहे।
नागरिकता भारतीय
धर्म सिक्ख धर्म
भारत के मुख्य न्यायाधीश 4 जनवरी, 2017 से 27 अगस्त, 2017 तक।
अन्य जानकारी 13 सितंबर, 2011 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने वाले जगदीश सिंह खेहर सख्त क़ानूनी प्रशासक माने जाते हैं। वे बार-बार सुनवाई को स्थगित करने की अपील कर कोर्ट का समय खराब करने वाले लोगों के प्रति बहुत कठोर हैं।
अद्यतन‎

जगदीश सिंह खेहर (अंग्रेज़ी: Jagdish Singh Khehar, जन्म- 28 अगस्त, 1952) भारत के 44वें मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। वे सिक्ख समुदाय से देश के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त होने वाले प्रथम व्यक्ति हैं। वे मुख्य न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर के बाद इस पद पर नियुक्त हुए थे। जगदीश सिंह खेहर बेहद सख्त न्यायाधीश के रूप में जाने जाते हैं। मुख्य न्यायाधीश के रूप में इनका कार्यकाल 4 जनवरी, 2017 से 27 अगस्त, 2017 तक रहा।

शिक्षा

जगदीश सिंह खेहर ने वर्ष 1974 में चंडीगढ़ के राजकीय कॉलेज से विज्ञान विषय के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद 1977 में पंजाब विश्वविद्यालय से विधि में स्नातक और 1979 में एल.एल.एम. की उपाधि प्राप्त की। विश्वविद्यालय में अच्छे प्रदर्शन के लिए वे स्वर्ण पदक से सम्मानित किये गये थे

व्यवसायिक शुरुआत

  • वर्ष 1979 में जगदीश सिंह खेहर ने अपनी वकालत शुरू की। इस अवधि में उन्होंने पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय चंडीगढ़ ,हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय में वकालत की।
  • वर्ष 1992 में उन्हें पंजाब में अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया गया।
  • जगदीश सिंह खेहर 1995 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने।

न्यायाधीश

  1. 29 नवम्बर, 2009 से [[7 अगस्त, 2010 तक उत्तराखंड उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रहे।
  2. 8 अगस्त, 2010 से 12 सितम्बर, 2011 तक कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे।
  3. 13 सितम्बर, 2011 से 3 जनवरी, 2017 तक उच्चतम न्यायालय में भारत के न्यायाधीश रहे।
  4. 4 जनवरी, 2017 से 27 अगस्त, 2017 तक उच्चतम न्यायालय, भारत के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे।

उल्लेखनीय तथ्य

  • कलीजियम व्यवस्था को लेकर अहम फैसला सुनाने वाले जगदीश सिंह खेहर की न्यायपालिका की सर्वोच्चता के बारे में राय बिल्कुल स्पष्ट है। उनकी अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने ही सरकार की महत्वाकांक्षी 'राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग' (एन.जे.ए.सी.) कानून को खारिज कर दिया था। केन्द्र सरकार ने अगस्त, 2014 में एन.जे.ए.सी. एक्ट बनाया था। यह एक्ट संविधान संशोधन करके बनाया गया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि एन.जे.ए.सी. बनाने वाले कानून से संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन होता है और 5 जजों की संविधान पीठ ने इसे खारिज कर दिया था। पीठ में न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, जे. चेलमेश्वर, मदन बी लोकुर, कुरियन जोजेफ और ए. के. गोयल शामिल थे।[1]
  • 13 सितंबर, 2011 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने वाले जगदीश सिंह खेहर सख्त कानूनी प्रशासक माने जाते हैं। खेहर बार-बार सुनवाई को स्थगित करने की अपील कर कोर्ट का समय खराब करने वाले लोगों के प्रति बहुत कठोर हैं। सुप्रीम कोर्ट में किसी केस के मामले में पूरी तैयारी नहीं करके आने वाले वकीलों के प्रति भी खेहर नरमी से पेश नहीं आते। एक बार तो खेहर कोर्ट रूम से इसलिए बाहर चले गए थे, क्योंकि वकीलों ने अपने कागजात सही तरीके से पेश नहीं किए थे। दरअसल, जगदीश सिंह खेहर बार को यह संदेश देना चाहते थे कि वकीलों को अपना पूरा होमवर्क करके ही कोर्ट में आना चाहिए था।
  • न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायाधीश के. एस. राधाकृष्णन की बेंच ने सहारा के चेयरमैन सुब्रत रॉय सहारा को निवेशकों के पैसे नहीं लौटाने के कारण तिहाड़ जेल भेज दिया था। बाद में कुछ वरिष्ठ वकीलों ने आरोप लगाया कि रॉय के मामले की सही सुनवाई नहीं हुई और उनके साथ प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया। हालांकि इन आरोपों के बावजूद जगदीश सिंह खेहर ने इस मामले की दोबारा सुनवाई से इनकार कर दिया। बाद में एक नई बेंच के जिम्मे इस मामले को सौंपा गया। बावजूद इसके रॉय को दो साल से ज्यादा समय तक जेल में बिताने पड़े और उन्हें तभी परोल मिली, जब उनकी माँ का निधन हुआ।
  • हाल ही में उपहार कांड में अंसल बंधुओं को जगदीश सिंह खेहर के गुस्से का शिकार होना पड़ा था। जगदीश सिंह खेहर ने अंसल बंधुओं के वकील से अपने मुवक्किल की तरफ़ से हलफनामा मांगा, जिसमें उनके देश छोड़कर नहीं भागने की बात हो। अंसल बंधुओं ने तुरंत ही इस पर हामी भरी थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जस्टिस जेएस खेहर ने ली चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पद की शपथ (हिंदी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 04 जनवरी, 2017।

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