कर्मवीर -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध': Difference between revisions
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सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही, | सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही, | ||
मानते जो भी हैं सुनते हैं सदा सबकी कही, | मानते जो भी हैं सुनते हैं सदा सबकी कही, | ||
जो मदद करते हैं अपनी इस | जो मदद करते हैं अपनी इस जगत् में आप ही, | ||
भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं, | भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं, | ||
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं। | कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं। |
Latest revision as of 13:51, 30 June 2017
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देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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