कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 395: Difference between revisions
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{[[अंकोरवाट|अंकोरवाट मंदिर]] में स्थापित मूर्तियाँ हैं | {[[अंकोरवाट|अंकोरवाट मंदिर]] में स्थापित मूर्तियाँ किस की हैं? | ||
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-[[बुद्ध]] की | -[[बुद्ध]] की | ||
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-[[तीर्थंकर|तीर्थंकरों]] की | -[[तीर्थंकर|तीर्थंकरों]] की | ||
-[[कम्बोडिया]] नरेशों की | -[[कम्बोडिया]] नरेशों की | ||
||[[चित्र: | ||[[चित्र:Angkor-Wat.jpg|right|border|80px|अंकोरवाट मन्दिर]]'कम्बोडिया', जिसे पुराने लेखों में [[कम्बुज]] भी कहा गया है, यहाँ [[भारत]] के प्राचीन और शानदार स्मारक हैं। यहाँ संसार-प्रसिद्ध विशाल विष्णुमंदिर है। [[अंकोरवाट|अंकोरवाट मन्दिर]] 'अंकोरयोम' नामक नगर में स्थित है, जिसे प्राचीन काल में [[यशोधरपुर]] कहा जाता था। अंकोरवाट जयवर्मा द्वितीय के शासनकाल में [[कम्बोडिया]] की राजधानी था। यह अपने समय में संसार के महान् नगरों में गिना जाता था और इसका विशाल भव्य मन्दिर अंकोरवाट के नाम से आज भी विख्यात है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अंकोरवाट]] | ||
{ | {'जगन्नाथ मंदिर' किस राज्य में स्थित है? | ||
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-[[असम]] | -[[असम]] | ||
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+[[ओडिशा]] | +[[ओडिशा]] | ||
-[[उत्तर प्रदेश]] | -[[उत्तर प्रदेश]] | ||
||[[चित्र:Jagannath-Temple-Puri.jpg|right|border|80px|जगन्नाथ मंदिर पुरी]]'ओडिशा' [[भारत]] का प्रान्त है, जो भारत के पूर्वी तट पर बसा है। [[ओडिशा]] उत्तर में [[झारखण्ड]], उत्तर पूर्व में [[पश्चिम बंगाल]], दक्षिण में [[आंध्र प्रदेश]] और पश्चिम में [[छत्तीसगढ़]] से घिरा है तथा पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]] है। भौगोलिक लिहाज़ से इसके उत्तर में छोटा नागपुर का पठार है। रियासतों के विलय संबंधी आदेश [[1949]] के अंतर्गत [[जनवरी]] 1949 में ओडिशा की सभी रियासतों का ओडिशा राज्य में सम्पूर्ण विलय हो गया। यह प्रदेश मुख्यत: [[जगन्नाथ मंदिर पुरी|भगवान जगन्नाथ]] की भूमि के लिए प्रसिद्ध है। भगवान जगन्नाथ ओडिशा के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन से बहुत गहरे जुडे हुए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जगन्नाथ मंदिर पुरी]] | ||[[चित्र:Jagannath-Temple-Puri.jpg|right|border|80px|जगन्नाथ मंदिर पुरी]]'ओडिशा' [[भारत]] का प्रान्त है, जो भारत के [[पूर्व दिशा|पूर्वी]] तट पर बसा है। [[ओडिशा]] [[उत्तर (दिशा)|उत्तर]] में [[झारखण्ड]], उत्तर पूर्व में [[पश्चिम बंगाल]], [[दक्षिण]] में [[आंध्र प्रदेश]] और [[पश्चिम]] में [[छत्तीसगढ़]] से घिरा है तथा पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]] है। भौगोलिक लिहाज़ से इसके उत्तर में [[छोटा नागपुर]] का [[पठार]] है। [[रियासत|रियासतों]] के विलय संबंधी आदेश [[1949]] के अंतर्गत [[जनवरी]] [[1949]] में ओडिशा की सभी रियासतों का ओडिशा राज्य में सम्पूर्ण विलय हो गया। यह प्रदेश मुख्यत: [[जगन्नाथ मंदिर पुरी|भगवान जगन्नाथ]] की भूमि के लिए प्रसिद्ध है। भगवान जगन्नाथ ओडिशा के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन से बहुत गहरे जुडे हुए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जगन्नाथ मंदिर पुरी]] | ||
{[[रानी लक्ष्मीबाई|महारानी लक्ष्मीबाई]] की समाधि कहां स्थित है? | {[[रानी लक्ष्मीबाई|महारानी लक्ष्मीबाई]] की समाधि कहां स्थित है? | ||
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-[[जबलपुर]] | -[[जबलपुर]] | ||
+[[ग्वालियर]] | +[[ग्वालियर]] | ||
||[[चित्र:Rani-Laxmibai-2.jpg|right|border|80px|रानी लक्ष्मीबाई]]'रानी लक्ष्मीबाई' [[मराठा]] शासित [[झाँसी]] की रानी और [[1857]] के [[प्रथम स्वतंत्रता संग्राम|प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] की वीरांगना थीं। उनका जीवन स्वयं में वीरोचित गुणों से भरपूर, अमर देशभक्ति और बलिदान की एक अनुपम गाथा है। वह [[17 जून]], [[1858]] का दिन था, जब क्रान्ति की यह ज्योति अमर हो गयी। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के साथ हुए युद्ध में रानी ने वीरगति पाई। जिस कुटिया में उन्होंने प्राण त्यागे, उसी कुटिया में उनकी चिता लगायी गई, जिसे उनके पुत्र दामोदर राव ने मुखाग्नि दी। उनकी मृत्यु [[ग्वालियर]] में हुई थी। [[रानी लक्ष्मीबाई]] की वीरता से प्रभावित होकर ह्यूरोज को भी यह कहना पड़ा कि- "भारतीय क्रांतिकारियों में यह अकेली मर्द है।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रानी लक्ष्मीबाई]] | ||[[चित्र:Rani-Laxmibai-2.jpg|right|border|80px|रानी लक्ष्मीबाई]]'रानी लक्ष्मीबाई' [[मराठा]] शासित [[झाँसी]] की [[रानी लक्ष्मीबाई|रानी]] और [[1857]] के [[प्रथम स्वतंत्रता संग्राम|प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] की वीरांगना थीं। उनका जीवन स्वयं में वीरोचित गुणों से भरपूर, अमर देशभक्ति और बलिदान की एक अनुपम गाथा है। वह [[17 जून]], [[1858]] का दिन था, जब क्रान्ति की यह ज्योति अमर हो गयी। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के साथ हुए युद्ध में रानी ने वीरगति पाई। जिस कुटिया में उन्होंने प्राण त्यागे, उसी कुटिया में उनकी चिता लगायी गई, जिसे उनके [[पुत्र]] दामोदर राव ने मुखाग्नि दी। उनकी मृत्यु [[ग्वालियर]] में हुई थी। [[रानी लक्ष्मीबाई]] की वीरता से प्रभावित होकर ह्यूरोज को भी यह कहना पड़ा कि- "भारतीय क्रांतिकारियों में यह अकेली मर्द है।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रानी लक्ष्मीबाई]] | ||
{फिनिक्स फॉर्म कहाँ अवस्थित है? | {फिनिक्स फॉर्म कहाँ अवस्थित है? |
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