नेताजी एक्सप्रेस: Difference between revisions

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'''नेताजी एक्सप्रेस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Netaji Express'') भारतीय रेलवे द्वारा संचालित रेलगाड़ी है जो [[भारत]] के पूर्वी राज्य [[पश्चिम बंगाल]] की राजधानी [[कोलकाता]] के निकट स्थित हावड़ा को एक अन्य राज्य [[हरियाणा]] के पंचकुला स्थित कालका रेलवे स्टेशन से जोड़ती है, जो एक समय भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी [[शिमला]] जाने वाली रेलवे लाइन का प्रारंभिक स्टेशन भी है। पहले इस रेल का नाम 'कालका मेल' था, जिसे भारतीय रेल मंत्रालय ने [[23 जनवरी]], [[2021]] को बदलकर 'नेताजी एक्सप्रेस' कर दिया है।
'''नेताजी एक्सप्रेस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Netaji Express'') भारतीय रेलवे द्वारा संचालित रेलगाड़ी है जो [[भारत]] के पूर्वी राज्य [[पश्चिम बंगाल]] की राजधानी [[कोलकाता]] के निकट स्थित हावड़ा को एक अन्य राज्य [[हरियाणा]] के पंचकुला स्थित कालका रेलवे स्टेशन से जोड़ती है, जो एक समय भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी [[शिमला]] जाने वाली रेलवे लाइन का प्रारंभिक स्टेशन भी है। पहले इस रेल का नाम 'कालका मेल' था, जिसे भारतीय रेल मंत्रालय ने [[23 जनवरी]], [[2021]] को बदलकर 'नेताजी एक्सप्रेस' कर दिया है।
==इतिहास==
==इतिहास==

Latest revision as of 09:31, 18 May 2022

thumb|250px|नेताजी एक्सप्रेस नेताजी एक्सप्रेस (अंग्रेज़ी: Netaji Express) भारतीय रेलवे द्वारा संचालित रेलगाड़ी है जो भारत के पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के निकट स्थित हावड़ा को एक अन्य राज्य हरियाणा के पंचकुला स्थित कालका रेलवे स्टेशन से जोड़ती है, जो एक समय भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला जाने वाली रेलवे लाइन का प्रारंभिक स्टेशन भी है। पहले इस रेल का नाम 'कालका मेल' था, जिसे भारतीय रेल मंत्रालय ने 23 जनवरी, 2021 को बदलकर 'नेताजी एक्सप्रेस' कर दिया है।

इतिहास

कालका मेल सन 1866 में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) और दिल्ली के बीच चलनी शुरू हुई और 1891 में इसे दिल्ली से लेकर कालका तक बढ़ाया गया। यह रेलगाड़ी मुख्य रूप से ब्रिटिश सिविल सेवकों को राजधानी कलकत्ता से ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला ले जाने के लिए चलाई गयी थी। ईस्ट इंडियन रेलवे ने 1 जनवरी 1866 को हरी झंडी दिखाकर हावड़ा-कालका मेल को वन अप व टू डाउन नाम से शुरू किया था। तब हावड़ा-कालका मेल को कोलकाता से दिल्ली तक चलाया गया था। तब इस ट्रेन में अंग्रेजी हुकूमत के उच्च अधिकारी सफर करते थे। अन्य यात्रियों के लिए इस ट्रेन में यात्रा संभव नहीं थी। शिमला में गर्मी की छुट्टियां बिताने के लिए अंग्रेजों ने 1891 में रेलवे लाइन का विस्तार कर इसे कालका तक बढ़ाया। तब से यह ट्रेन गौरवमयी सेवा दे रही है। 1 जनवरी 2016 को हावड़ा में कालका मेल के गौरवमयी 150 वर्ष पूरे होने जश्न मनाया गया। केक काटकर हावड़ा से ट्रेन को चलाया गया।

ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेज़ी हुकूमत की कलकत्ता स्थित राजधानी को गर्मी के दिनों में शिमला पहुचने और गर्मी ख़त्म होने पर वायसराय के साथ पूरी राजधानी कलकत्ता वापस लाने के लिए यही ट्रेन एकमात्र साधन थी। वायसराय अपने वहां से सीधे ट्रेन के कोच तक पहुच सकें, इसके लिए होवर और कालका, दोनों ही स्टेशन पर इंटरनल कैरेज की व्यवस्था की गई थी। कालका में तो नहीं, पर हावड़ा में प्लेटफोर्म 8 और 9 के बीच आज भी यह सुविधा मौजूद है, अब इसका उपयोग आम लोग करते हैं।

रेलवे के मुताबिक, कालका मेल का नाम नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के साथ भी जुड़ा है। धनबाद और गया के बीच स्थित गोमो स्टेशन पर नेताजी इसी ट्रेन में 18 जनवरी, 1941 को सवार होकर अंग्रेज़ी हुकूमत की आँखों में धूल झोंककर गायब हो गए थे।

नाम परिवर्तन

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की यादों से जुड़ी होने के कारण ही भारतीय रेलवे ने कालका मेल का नाम बदलकर नेताजी एक्सप्रेस कर दिया है। हावड़ा कालका मेल अभी स्पेशल ट्रेन बनकर चल रही है। कालका मेल ट्रेन अपने पुराने नंबर के साथ ही 12311 अप और 12312 डाउन नेताजी एक्सप्रेस बनकर चलेगी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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