विजयादित्य: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
|||
Line 2: | Line 2: | ||
*उसके समय में [[चालुक्य साम्राज्य]] की शक्ति अक्षुण्ण बनी रही। | *उसके समय में [[चालुक्य साम्राज्य]] की शक्ति अक्षुण्ण बनी रही। | ||
*विनयादित्य के बाद उसका पुत्र विजयादित्य और फिर [[विक्रमादित्य द्वितीय]] (733--744) वातापी के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुए। | *विनयादित्य के बाद उसका पुत्र विजयादित्य और फिर [[विक्रमादित्य द्वितीय]] (733--744) वातापी के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुए। | ||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
Line 14: | Line 11: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{चालुक्य साम्राज्य}} | {{चालुक्य साम्राज्य}} | ||
[[Category:इतिहास_कोश]] | [[Category:इतिहास_कोश]] | ||
[[Category:दक्षिण भारत के साम्राज्य]] | [[Category:दक्षिण भारत के साम्राज्य]] | ||
[[Category:चालुक्य साम्राज्य]] | [[Category:चालुक्य साम्राज्य]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 13:49, 14 February 2011
- विक्रमादित्य प्रथम की मृत्यु के बाद उसका पुत्र विनयादित्य वातापी साम्राज्य का स्वामी बना।
- उसके समय में चालुक्य साम्राज्य की शक्ति अक्षुण्ण बनी रही।
- विनयादित्य के बाद उसका पुत्र विजयादित्य और फिर विक्रमादित्य द्वितीय (733--744) वातापी के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुए।
|
|
|
|
|