Difference between revisions of "परिक्रमा"
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*सामान्य स्थान या व्यक्ति के चारों ओर उसकी दाहिनी तरफ़ से घूमने को परिक्रमा कहते हैं। | *सामान्य स्थान या व्यक्ति के चारों ओर उसकी दाहिनी तरफ़ से घूमने को परिक्रमा कहते हैं। | ||
*इसको प्रदक्षिणा करना भी कहते हैं, जो षोडशोपचार पूजा का एक अंग है। | *इसको प्रदक्षिणा करना भी कहते हैं, जो षोडशोपचार पूजा का एक अंग है। | ||
− | *प्राय: सोमवती [[अमावास्या]] को महिलाएँ पीपल वृक्ष की '''108 परिक्रमाएँ''' करती हैं। | + | *प्राय: सोमवती [[अमावास्या]] को महिलाएँ [[पीपल]] वृक्ष की '''108 परिक्रमाएँ''' करती हैं। |
*इसी प्रकार [[दुर्गा]] देवी की परिक्रमा की जाती है। | *इसी प्रकार [[दुर्गा]] देवी की परिक्रमा की जाती है। | ||
*पवित्र धर्मस्थानों, [[अयोध्या]], [[मथुरा]] आदि पुण्यपुरियों की पंचकोशी (25 कोस की), [[ब्रज]] में [[गोवर्धन पूजा]] की सप्तकोसी, ब्रह्ममंडल की [[ब्रज चौरासी कोस की यात्रा|चौरासी कोस]], [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] जी की [[अमरकंटक]] से समुद्र तक छ:मासी और समस्त [[भारत]] खण्ड की वर्षों में पूरी होने वाली - इस प्रकार की विविध '''परिक्रमाएँ''' भूमि में पद-पद पर दण्डवत लेटकर पूरी की जाती है। यही 108-108 बार प्रति पद पर आवृत्ति करके वर्षों में समाप्त होती है। | *पवित्र धर्मस्थानों, [[अयोध्या]], [[मथुरा]] आदि पुण्यपुरियों की पंचकोशी (25 कोस की), [[ब्रज]] में [[गोवर्धन पूजा]] की सप्तकोसी, ब्रह्ममंडल की [[ब्रज चौरासी कोस की यात्रा|चौरासी कोस]], [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] जी की [[अमरकंटक]] से समुद्र तक छ:मासी और समस्त [[भारत]] खण्ड की वर्षों में पूरी होने वाली - इस प्रकार की विविध '''परिक्रमाएँ''' भूमि में पद-पद पर दण्डवत लेटकर पूरी की जाती है। यही 108-108 बार प्रति पद पर आवृत्ति करके वर्षों में समाप्त होती है। |
Revision as of 12:43, 11 April 2011
- samany sthan ya vyakti ke charoan or usaki dahini taraf se ghoomane ko parikrama kahate haian.
- isako pradakshina karana bhi kahate haian, jo shodashopachar pooja ka ek aang hai.
- pray: somavati amavasya ko mahilaean pipal vriksh ki 108 parikramaean karati haian.
- isi prakar durga devi ki parikrama ki jati hai.
- pavitr dharmasthanoan, ayodhya, mathura adi punyapuriyoan ki panchakoshi (25 kos ki), braj mean govardhan pooja ki saptakosi, brahmamandal ki chaurasi kos, narmada ji ki amarakantak se samudr tak chh:masi aur samast bharat khand ki varshoan mean poori hone vali - is prakar ki vividh parikramaean bhoomi mean pad-pad par dandavat letakar poori ki jati hai. yahi 108-108 bar prati pad par avritti karake varshoan mean samapt hoti hai.
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tika tippani aur sandarbh