नरसा नायक: Difference between revisions

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Revision as of 14:59, 9 June 2011

  • नरसा नायक विजयनगर साम्राज्य के सालुव वंश का एक सेनानायक था।
  • वह सालुव वंश के दूसरे और अन्तिम अल्प वयस्क शासक इम्माडि नरसिंह का संरक्षक था।
  • नरसा नायक ने उस बाल शासक को एक प्रकार से बन्दी बना लिया और शासन संचालन की समस्त शक्ति को अपने हाथों में ले लिया।
  • यह कार्य उसने बहुत ही चतुरता एवं कठोरता से किया था।
  • इम्माडि नरसिंह को नरसा ने पेनकोंडा के क़िले में क़ैद कर दिया।
  • अपने 12-13 वर्ष के शासन काल में नरसा नायक ने रायचूर, दोआब के अनेक क़िलों पर अधिकार कर लिया।
  • इसके अतिरिक्त नरसा नायक बीजापुर, बीदर, मदुरा, श्रीरंगपट्टम के शासकों के विरुद्ध किये गये अपने अभियान में सफल रहा।
  • उसने बीजापुर के शासक प्रतापरुद्र देव (गजपति) को भी परास्त किया।
  • नरसा नायक ने चोल, पाण्ड्य एवं चेर शासकों को भी विजयनगर साम्राज्य की अधीनता स्वीकार करने के लिए विवश किया।
  • 1503 ई. में नरसा नायक की मृत्यु हो गई।
  • उसकी मृत्यु के उपरान्त उसका पुत्र वीर नरसिंह ही इम्माडि नरसिंह का संरक्षक बना।
  • 1505 ई. में इम्माडि नरसिंह की हत्या वीर नरसिंह ने कर दी और वह स्वयं शासक बन बैठा।
  • इम्माडि नरसिंह की हत्या के साथ ही सालुव वंश का अन्त हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 217।

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