शम्मी कपूर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
Line 1: Line 1:
शम्मी कपूर (जन्म-21 अक्टूबर 1931 - मृत्यु-14 अगस्त, 2011) हिंदी सिनेमा के 1950-60 के दशक में सदाबहार अभिनेता थे। शम्मी का वास्तविक नाम शमशेर राज कपूर था। अपनी विशिष्ट याहू शैली के कारण बेहद लोकप्रिय रहे हिंदी फ़िल्मों के पहले सिंगिंग-डांसिग स्टार शम्मी कपूर [[रंगमंच]] के जाने-माने अदाकार और फ़िल्म अभिनेता [[पृथ्वीराज कपूर]] के दूसरे बेटे थे।  
शम्मी कपूर (जन्म- [[21 अक्टूबर]] 1931 [[मुंबई]] - मृत्यु- [[14 अगस्त]], 2011) हिंदी सिनेमा के 1950-60 के दशक में सदाबहार अभिनेता थे। '''शम्मी का वास्तविक नाम शमशेर राज कपूर था।''' अपनी विशिष्ट याहू शैली के कारण बेहद लोकप्रिय रहे हिंदी फ़िल्मों के पहले सिंगिंग-डांसिग स्टार शम्मी कपूर [[रंगमंच]] के जाने-माने अदाकार और फ़िल्म अभिनेता [[पृथ्वीराज कपूर]] के दूसरे बेटे थे।  
====जीवन परिचय====
====जीवन परिचय====
====जन्म====
====जन्म====

Revision as of 12:43, 15 August 2011

शम्मी कपूर (जन्म- 21 अक्टूबर 1931 मुंबई - मृत्यु- 14 अगस्त, 2011) हिंदी सिनेमा के 1950-60 के दशक में सदाबहार अभिनेता थे। शम्मी का वास्तविक नाम शमशेर राज कपूर था। अपनी विशिष्ट याहू शैली के कारण बेहद लोकप्रिय रहे हिंदी फ़िल्मों के पहले सिंगिंग-डांसिग स्टार शम्मी कपूर रंगमंच के जाने-माने अदाकार और फ़िल्म अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के दूसरे बेटे थे।

जीवन परिचय

जन्म

शम्मी कपूर का जन्म 21 अक्टूबर 1931 को मुंबई में हुआ था। वह महान फिल्म अभिनेता और थिएटर कलाकार पृथ्वीराज कपूर और रामसरनी 'रमा' मेहरा के दूसरे पुत्र थे। पृथ्वीराज कपूर के दो और बेटे शशि कपूर और राजकपूर थे। शम्मी कपूर के परिवार में पत्नी नीला देवी, बेटा आदित्य राज और बेटी कंचन देसाई हैं।

अभिनय पारी

शम्मी कपूर ने वर्ष 1953 में फिल्म 'ज्योति जीवन' से अपनी अभिनय पारी की शुरुआत की। वर्ष 1957 में नासिर हुसैन की फिल्म 'तुमसा नहीं देखा' में जहां अभिनेत्री अमीता के साथ काम किया वहीं वर्ष 1959 में आई फिल्म 'दिल दे के देखो' में आशा पारेख के साथ नजर आए। बॉलीवुड के लिहाज से हालांकि वह बहुत सुंदर अभिनेता तो नहीं थे बावजूद इसके शम्मी कपूर अपने अभिनय क्षमता के बल पर सबके चहेते बने। वर्ष 1961 में आई फिल्म (जंगली) ने शम्मी कपूर को शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया। इस फिल्म के बाद ही वह सभी प्रकार की फिल्मों में एक नृत्य कलाकार के रूप में अपनी छवि बनाने में कामयाब रहे। 'जंगली' फिल्म का गीत 'याहू' दर्शकों को खूब पसंद आया। उन्होंने चार फिल्मों में आशा पारेख के साथ काम किया जिसमें सबसे सफल फिल्म वर्ष 1966 में बनी 'तीसरी आंख' रही। वर्ष 1960 के दशक के मध्य तक शम्मी कपूर 'प्रोफेसर', 'चार दिल चार राहें', 'रात के राही', 'चाइना टाउन', 'दिल तेरा दिवाना', 'कश्मीर की कली' और 'ब्लफमास्टर' जैसी सफल में दिखाई दिए। फिल्म 'ब्रह्मचारी' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला था।[1]

शुरुआती असफलता के बाद सफलता

'भारत के एल्विस प्रेसली' कहे जाने वाले शम्मी कपूर रुपहले पर्दे पर तब अपने अभिनय की शुरूआत की, जब उनके बड़े भाई राज कपूर के साथ ही देव आनंद और दिलीप कुमार छाए हुए थे। पारिवारिक पृष्ठभूमि होने के बावजूद शम्मी का फिल्म जगत में प्रवेश 'रेल का डिब्बा' में मधुबाला, 'शमा परवाना' में सुरैया और 'हम सब चोर हैं' में नलिनी जयवंत के साथ अभिनय करने के बावजूद शुरुआत में सफल नहीं रहा। उनकी शुरुआती फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रहीं। उन्होंने पचास के दशक में 'डक-टेल' शैली में अपने बाल कटवाकर 'तुमसा नहीं देखा' के साथ खुद को नए लुक में पेश किया। उसके बाद उन्हें सफलता मिलती गई। 1961 में फिल्म 'जंगली' की सफलता के साथ ही पूरा दशक उनकी फिल्मों के नाम रहा। दर्शकों के बीच उनकी अपील 'सुकू सुकू', 'ओ हसीना जुल्फों वाली', 'आज कल तेरे-मेरे प्यार के चर्चे' और 'आ जा आ जा मैं हूं प्यार तेरा' जैसे गानों के चलते थी, जिनमें उन्होंने बड़ी ही मस्तमौला शैली में थिरकते हुए अदायगी दी। हालांकि, 'कश्मीर की कली', 'राजकुमार', 'जानवर' और 'एन इवनिंग इन पेरिस' जैसी कुछ फिल्मों में उनकी अभिनय क्षमता पर सवाल उठे लेकिन 'जंगली', 'बदतमीज', 'ब्लफ मास्टर', 'पगला कहीं का', 'तीसरी मंजिल' और 'ब्रह्मचारी' की बेहतरीन सफलता के जरिए शम्मी ने अपने आलोचकों के मुंह बंद कर दिए।[2]

रॉकस्टार शम्मी

शम्मी कपूर ने अपनी फ़िल्मों में बग़ावती तेवर और रॉकस्टार वाली छवि से उस दौर के नायकों को कई बंधनों से आज़ाद कर दिया था। हिंदी सिनेमा को ये उनकी बड़ी देन थ। ये बात और है कि उनके जैसे किरदार दूसरा कोई नहीं निभा पाया। शम्मी कपूर बड़े शौकीन मिजाज़ थे। इंटरनेट की दुनिया में आगे रहते थे, तरह-तरह की गाड़ियाँ चलाने का शौक वे रखते थे, शाम को गोल्फ़ खेलना, समय के साथ चलना वे बख़ूबी जानते थे। फ़िल्मों में शम्मी कपूर जितने ज़िंदादिल किरदार निभाया करते थे, उतनी ही ज़िंदादिली उनके निजी जीवन में दिखती थी। उनके जीवन में कई मुश्किल दौर भी आए ख़ासकर तब जब 60 के दशक में उनकी पत्नी गीता बाली का निधन हो गया। तब वे अपने करियर के बेहद हसीन मकाम पर थे। शम्मी कपूर के क़दम तब कुछ ठिठके ज़रूर थे पर फ़िल्मी पर्दे के रंगरेज़ शम्मी अपने उसी अंदाज़ में अभिनय से लोगों को मदमस्त करते रहे।[3]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सबके दिलों पर राज करते थे शम्मी (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) दैनिक भास्कर डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 15 अगस्त, 2011।
  2. बॉलिवुड के जिंदादिल ऐक्टर शम्मी कपूर का निधन (हिन्दी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 15 अगस्त, 2011।
  3. हिंदुस्तान को जवानी का मज़ा चखाया शम्मी कपूर ने (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) बी.बी.सी. हिन्दी। अभिगमन तिथि: 15 अगस्त, 2011।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख