कुषाणकालीन मूर्तिकला: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "सिक्के" to "सिक़्क़े")
m (Text replace - "सिक़्क़े" to "सिक्के")
Line 5: Line 5:
[[कनिष्क|कनिष्क प्रथम]], जो कुषाण राज परिवार का तीसरा सदस्य था, ने अपने शासन काल में पूर्ण रूप से आधिपत्य स्थापित किया और उसके शासनकाल में [[बौद्ध धर्म]] और कला, सांस्कृति गतिविधियों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार और विकास हुआ। कुषाण शासनकाल में कुषाण कला के दो मुख्य क्षेत्र थे। कलात्मक गतिविधियों का केंद्र उत्तर-पश्चिम की काबुल घाटी के क्षेत्र का [[गांधार]], अंचल और [[पेशावर]] के आस-पास का ऊपरी [[सिंध प्रांत|सिंधु]] क्षेत्र [[मथुरा]] में जहाँ हेलनी और ईरानी कला का विकास हुआ और [[उत्तर भारत]] में कुषाणों की शीतकालीन राजधानी भी भारतीय शैली की कला का प्रचलन रहा।  
[[कनिष्क|कनिष्क प्रथम]], जो कुषाण राज परिवार का तीसरा सदस्य था, ने अपने शासन काल में पूर्ण रूप से आधिपत्य स्थापित किया और उसके शासनकाल में [[बौद्ध धर्म]] और कला, सांस्कृति गतिविधियों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार और विकास हुआ। कुषाण शासनकाल में कुषाण कला के दो मुख्य क्षेत्र थे। कलात्मक गतिविधियों का केंद्र उत्तर-पश्चिम की काबुल घाटी के क्षेत्र का [[गांधार]], अंचल और [[पेशावर]] के आस-पास का ऊपरी [[सिंध प्रांत|सिंधु]] क्षेत्र [[मथुरा]] में जहाँ हेलनी और ईरानी कला का विकास हुआ और [[उत्तर भारत]] में कुषाणों की शीतकालीन राजधानी भी भारतीय शैली की कला का प्रचलन रहा।  
==ऐतिहासिक तथ्य==
==ऐतिहासिक तथ्य==
कुषाण कला की जो सबसे प्रमुख बात रही, वह यह थी कि उसने सम्राट को एक देवीय शक्ति के रूप में ही प्रतिपादित किया। कई संदर्भों से इस बात को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उनमें एक उदाहरण तो कुषाण शासन काल के सिक़्क़े हैं। इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण आश्रम हैं, जिनसे पता चलता है कि सम्राट को किस तरह दैवीय शक्ति के रूप में प्रचालित किया जाता था। पहले [[बौद्ध]] कलाकर अपनी कलाकृतियों में [[बुद्ध]] के अस्तित्व और उनकी उपस्थिति का ही मुख्य रूप से रेखांकन करते थे, वहीं कुषाण शासनकाल में बुद्ध को एक मानवीय रूप में प्रस्तुत किया गया। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि बुद्ध की पहली मूर्ति कहाँ बनी। अधिकांश भारतीय शिक्षाशास्त्रियों की राय हैं कि बुद्ध की पहली मूर्ति मूल रूप से [[मथुरा]] में ही बनायी गयी न कि [[गांधार]] में जैसा कहा जाता है।
कुषाण कला की जो सबसे प्रमुख बात रही, वह यह थी कि उसने सम्राट को एक देवीय शक्ति के रूप में ही प्रतिपादित किया। कई संदर्भों से इस बात को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उनमें एक उदाहरण तो कुषाण शासन काल के सिक्के हैं। इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण आश्रम हैं, जिनसे पता चलता है कि सम्राट को किस तरह दैवीय शक्ति के रूप में प्रचालित किया जाता था। पहले [[बौद्ध]] कलाकर अपनी कलाकृतियों में [[बुद्ध]] के अस्तित्व और उनकी उपस्थिति का ही मुख्य रूप से रेखांकन करते थे, वहीं कुषाण शासनकाल में बुद्ध को एक मानवीय रूप में प्रस्तुत किया गया। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि बुद्ध की पहली मूर्ति कहाँ बनी। अधिकांश भारतीय शिक्षाशास्त्रियों की राय हैं कि बुद्ध की पहली मूर्ति मूल रूप से [[मथुरा]] में ही बनायी गयी न कि [[गांधार]] में जैसा कहा जाता है।


{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Revision as of 11:03, 3 March 2013

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

कुषाण साम्राज्य में निर्मित मूर्तियाँ मूर्तिकला का अद्भुत उदहारण है। साम्राज्यवाद का कुषाण युग, इतिहास का एक महानतम आंदोलन रहा है, यह उत्तर पूर्वी भारत तथा पश्चिमी पाकिस्तान, (वर्तमान अफगानिस्तान) तक फैला था। ईसवीं की पहली शताब्दी से तीसरी शताब्दी के बीच कुषाण एक राजनीतिक सत्ता के रूप में विकसित हुए और उन्होंने इस दौरान अपने राज्य में कला का बहुमुखी विकास किया। भारतीय कला जगत का परिपक्व युग यहीं से प्रारंभ होता है।

कुषाण कला के मुख्य क्षेत्र

कनिष्क प्रथम, जो कुषाण राज परिवार का तीसरा सदस्य था, ने अपने शासन काल में पूर्ण रूप से आधिपत्य स्थापित किया और उसके शासनकाल में बौद्ध धर्म और कला, सांस्कृति गतिविधियों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार और विकास हुआ। कुषाण शासनकाल में कुषाण कला के दो मुख्य क्षेत्र थे। कलात्मक गतिविधियों का केंद्र उत्तर-पश्चिम की काबुल घाटी के क्षेत्र का गांधार, अंचल और पेशावर के आस-पास का ऊपरी सिंधु क्षेत्र मथुरा में जहाँ हेलनी और ईरानी कला का विकास हुआ और उत्तर भारत में कुषाणों की शीतकालीन राजधानी भी भारतीय शैली की कला का प्रचलन रहा।

ऐतिहासिक तथ्य

कुषाण कला की जो सबसे प्रमुख बात रही, वह यह थी कि उसने सम्राट को एक देवीय शक्ति के रूप में ही प्रतिपादित किया। कई संदर्भों से इस बात को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उनमें एक उदाहरण तो कुषाण शासन काल के सिक्के हैं। इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण आश्रम हैं, जिनसे पता चलता है कि सम्राट को किस तरह दैवीय शक्ति के रूप में प्रचालित किया जाता था। पहले बौद्ध कलाकर अपनी कलाकृतियों में बुद्ध के अस्तित्व और उनकी उपस्थिति का ही मुख्य रूप से रेखांकन करते थे, वहीं कुषाण शासनकाल में बुद्ध को एक मानवीय रूप में प्रस्तुत किया गया। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि बुद्ध की पहली मूर्ति कहाँ बनी। अधिकांश भारतीय शिक्षाशास्त्रियों की राय हैं कि बुद्ध की पहली मूर्ति मूल रूप से मथुरा में ही बनायी गयी न कि गांधार में जैसा कहा जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख