प्रियप्रवास षष्ठ सर्ग: Difference between revisions
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आवासों में सुपरिसर में द्वार में बैठकों में। | आवासों में सुपरिसर में द्वार में बैठकों में। | ||
बाज़ारों में विपणि सब में मंदिरों में मठों में। | |||
आने ही की न ब्रजधन के बात फैली हुई थी। | आने ही की न ब्रजधन के बात फैली हुई थी। | ||
कुंजों में औ पथ अ-पथ में बाग में औ बनों में॥5॥ | कुंजों में औ पथ अ-पथ में बाग में औ बनों में॥5॥ |
Revision as of 10:16, 14 May 2013
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धीरे-धीरे दिन गत हुआ पद्मिनीनाथ डूबे। |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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