आक्रन्द: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 2: Line 2:
|हिन्दी=ज़ोर से विलाप, रुदन, ज़ोर की आवाज़, घोष, कोलाहल, शोर
|हिन्दी=ज़ोर से विलाप, रुदन, ज़ोर की आवाज़, घोष, कोलाहल, शोर
|व्याकरण=[संस्कृतभाषा आ धातु क्रन्द्+घञ्] पुल्लिंग- ऊँचे स्वर से की गयी पुकार
|व्याकरण=[संस्कृतभाषा आ धातु क्रन्द्+घञ्] पुल्लिंग- ऊँचे स्वर से की गयी पुकार
|उदाहरण=हनुमान जी के द्वारा पूँछ से लंका में आग लगाने के कारण लंका के लोग आक्रन्द करने लगे।
|उदाहरण=[[हनुमान]] जी के द्वारा [[लंका]] में अपनी पूँछ से आग लगाने के कारण लंका के लोग आक्रन्द करने लगे।
|विशेष=तासाम आक्रन्द शब्देन सहसॊद्गतचेतने <br />कौसल्या च सुमित्राच तयक्तनिद्रे बभूवतुः <ref>{{cite web |url=http://www.sacred-texts.com/hin/rys/rys2059.htm |title=आक्रन्द |accessmonthday=10 जुलाई |accessyear=2010 |authorlink= |format=एचटीएम |publisher= |language=संस्कृत}}</ref>
|विशेष=तासाम आक्रन्द शब्देन सहसॊद्गतचेतने <br />कौसल्या च सुमित्राच तयक्तनिद्रे बभूवतुः <ref>{{cite web |url=http://www.sacred-texts.com/hin/rys/rys2059.htm |title=आक्रन्द |accessmonthday=10 जुलाई |accessyear=2010 |authorlink= |format=एचटीएम |publisher= |language=संस्कृत}}</ref>
|पर्यायवाची=आर्तनाद, करुण, पुकार, क्रोश, चिल्लाहट, चीख़, रोना धोना, विलाप, शोर, आडंबर, गर्जन, दहाड़, आवाहन, आराव, आवाज़
|पर्यायवाची=आर्तनाद, करुण, पुकार, क्रोश, चिल्लाहट, चीख़, रोना धोना, विलाप, शोर, आडंबर, गर्जन, दहाड़, आवाहन, आराव, आवाज़

Revision as of 10:52, 10 July 2010

शब्द संदर्भ
हिन्दी ज़ोर से विलाप, रुदन, ज़ोर की आवाज़, घोष, कोलाहल, शोर
-व्याकरण    [संस्कृतभाषा आ धातु क्रन्द्+घञ्] पुल्लिंग- ऊँचे स्वर से की गयी पुकार
-उदाहरण   हनुमान जी के द्वारा लंका में अपनी पूँछ से आग लगाने के कारण लंका के लोग आक्रन्द करने लगे।
-विशेष    तासाम आक्रन्द शब्देन सहसॊद्गतचेतने
कौसल्या च सुमित्राच तयक्तनिद्रे बभूवतुः [1]
-विलोम   
-पर्यायवाची    आर्तनाद, करुण, पुकार, क्रोश, चिल्लाहट, चीख़, रोना धोना, विलाप, शोर, आडंबर, गर्जन, दहाड़, आवाहन, आराव, आवाज़
संस्कृत आक्रन्दः [आ+क्रन्द्+घञ्] रोना, चिल्लाना, पुकारना, आह्वान करना, शब्द, चिल्लाहट, मित्र रक्षक, भाई, रोने का स्थान
अन्य ग्रंथ वास्तु विचार नारद पुराण में बताया गया है कि घर के छ: भेद होते है,इनमें एक शाला, द्विशाला, त्रिशाला, चतुष्शाला, सप्तशाला और दसशाला है। इन दसों शालाओं में प्रत्येक के १६ भेद होते है। ध्रुव, धान्य, जय, नन्द, खर, कान्त, मनोरम, सुमुख, दिर्मुख, क्रूर, शत्रुद, स्वर्णद, क्षय, आक्रन्द, विपुल और विजय [2]
संबंधित शब्द
संबंधित लेख

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश

बाहरी कड़ियाँ

  1. आक्रन्द (संस्कृत) (एचटीएम)। । अभिगमन तिथि: 10 जुलाई, 2010।
  2. आक्रन्द (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 जुलाई, 2010।