त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल: Difference between revisions

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Revision as of 10:22, 23 August 2016

त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल
पूरा नाम त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल
जन्म 22 अक्टूबर, 1903
जन्म भूमि गुजरात
मृत्यु 3 जून, 1994
अभिभावक के. बी. पटेल
संतान छ: पुत्र तथा एक पुत्री।
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र दुग्ध उत्पादन
पुरस्कार-उपाधि 'रेमन मैग्सेसे पुरस्कार'
प्रसिद्धि उद्यमी
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख वर्गीज़ कुरियन
अन्य जानकारी वर्गीज़ कुरियन तथा त्रिभुवनदास पटेल ने मिलकर दूध के पाउडर, कंडेस्ड मिल्क तथा बच्चों के लिए मिल्क फूड का भारत में पहला प्लांट खड़ा किया था। यह दुनिया में एक अनोखा अकेला प्लांट था, जो भैंस के दूध को पाउडर में बदल सकता था।
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त्रिभुवनदास पटेल (अंग्रेज़ी: Tribhuvandas Kishibhai Patel, जन्म: 22 अक्टूबर 1903; मृत्यु: 3 जून 1994) भारत में दुग्ध क्रान्ति, जिसे 'श्वेत क्रान्ति' भी कहा जाता है, के जनक माने जाते हैं। भारत को दुनिया का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बनाने के लिए श्वेत क्रांति लाने वाले त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल को देश में सहकारी दुग्ध उद्योग के मॉडल की आधारशिला रखने का श्रेय जाता है।[1]

प्रारम्भिक जीवन

त्रिभुवनदास पटेल का जन्म 22 अक्टूबर 1903 को गुजरात में हुआ था। इनके पिता के. बी. पटेल में और आरे परिवार में राजनैतिक वातावरण था। त्रिभुवनदास पटेल ने अपनी जीविका अपने देशबंधु प्रिटिंग प्रेस से शुरू की लेकिन उनका प्रारम्भिक जीवन गाँधी जी तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ स्वतंत्रता आन्दोलनों में बीता। वर्ष 1930, 1935 तथा 1942 में पटेल तीन बार जेल गए। स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1964 में उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार प्रदान किया गया। वह गाँधीवादी होने के नाते काँग्रेस पार्टी से जुड़े हुए थे और वह दो बार 1967-1968 तथा 1968-1974 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे। त्रिभुवनदास पटेल छह पुत्रों तथा एक पुत्री के पिता बने। श्वेत क्रांति के मूल प्रोजक्ट के अलावा इन्होंने काइरा जिले में सात सामुदायिक निवास के प्रोजेक्ट चलाए तथा उनसे सक्रियता से जुड़े रहे।

अमूल की स्थापना

कुरियन तथा त्रिभुवनदास पटेल ने दूध के उत्पादन का प्लांट लगाया और इस तरह 'अमूल' की स्थापना हुई। इस व्यवस्था से गुजरात में पूरे साल दूध का उत्पादन होने लगा और इसका जुड़ाव मुम्बई की आरे कॉलोनी के संयंत्र से हो गया, जहाँ पूरे वर्ष दूध की खपत होती रहती है। इससे काइरा यूनियन की स्थापना को मुम्बई सरकार, यूनीसेफ (UNICEF) तथा बहुत से देशों से आर्थिक सहायता मिलनी शुरू हुई। विकास के अगले क्रम में कुरियन तथा त्रिभुवनदास पटेल ने मिलकर दूध के पाउडर, कंडेस्ड मिल्क तथा बच्चों के लिए मिल्क फूड का भारत में पहला प्लांट खड़ा किया। यह दुनिया में एक अनोखा अकेला प्लांट बना, जो भैंस के दूध को पाउडर में बदल सकता था। उत्पादन के बाद त्रिभुवनदास पटेल तथा कुरियन के उद्यम ने गुजरात को- अपारेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) की स्थापना की, जो काइरा यूनियन के उत्पादों की वितरण व्यवस्था सम्भालने लगा और आज भी 'अमूल' के उत्पादों की बिक्री और वितरण-विस्तार का काम सम्भाल रहा है। सामुदायिक नेतृत्व के लिए त्रिभुवनदास पटेल को 1963 मेंं रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला।

निधन

त्रिभुवनदास पटेल का निधन 3 जून, 1994 को हुआ।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मैग्सेसे पुरस्कार विजेता भारतीय |अनुवादक: अशोक गुप्ता |प्रकाशक: नया साहित्य, 1590, मदरसा, रोड, कशमीरी गेट दिल्ली-110006 |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 23-25 |

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख