अरुण शौरी
अरुण शौरी
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जन्म | 2 नवम्बर, 1941 |
जन्म भूमि | जालन्धर, पंजाब |
अभिभावक | पिता- हरिदेव शौरी, माता- दयावंती |
पति/पत्नी | अनीता शौरी |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | पत्रकार, लेखक और राजनेता |
पार्टी | कांग्रेस |
शिक्षा | अर्थशास्त्र में आनर्स की डिग्री, डॉक्टरेट की उपाधि |
विद्यालय | 'सेन्ट स्टीफेंस कॉलेज', 'दिल्ली विश्वविद्यालय', 'साइराकस यूनिवर्सिटी' (न्यूयार्क) |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी |
पुरस्कार-उपाधि | 'मेग्सेसे पुरस्कार' (1982), 'पद्मभूषण' (1990), 'दादाभाई नौरोजी पुरस्कार', 'फ़्रीडम टू पब्लिक अवार्ड', 'एस्टर पुरस्कार' और 'इंटरनेशनल एडिटर ऑफ़ द ईयर अवार्ड' |
अन्य जानकारी | अरुण शौरी जयप्रकाश नारायण के जन-आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े थे और इस दौरान उन्होंने दस महत्त्वपूर्ण लेखों के माध्यम से राजनीतिक शक्तियों के भ्रष्टाचार तथा लोकतंत्र की अवमानना जैसे विषयों पर अपने विचार प्रकट किये थे, जो सेमिनार, मेन स्ट्रीम तथा इण्डिया टुडे जैसी महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। |
अद्यतन | 10:23, 2 नवम्बर 2017 (IST)
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अरुण शौरी (अंग्रेज़ी: Arun Shourie, जन्म- 2 नवम्बर, 1941, पंजाब) भारत के अदम्य निर्भीकता वाले पत्रकार, बुद्धिजीवी, प्रसिद्ध लेखक और राजनेता हैं। 1968 से 1972 और फिर 1975 से 1977 तक एक अर्थशास्त्री के रूप में इन्होंने विश्व बैंक में अपनी महत्त्वपूर्ण सेवाएँ दी हैं। भारत के योजना आयोग में सलाहकार के पद पर भी वे काम कर चुके हैं। प्रसिद्ध अंग्रेज़ी समाचार पत्र 'इंडियन एक्सप्रेस' और 'द टाइम्स ऑफ़ इंडिया' के सम्पादक भी अरुण शौरी रहे हैं। सन 1998-2004 तक भारत सरकार में मंत्री के पद को भी अरुण शौरी सुशोभित किया है।
जन्म तथा शिक्षा
अरुण शौरी का जन्म 2 नवम्बर, 1941 में जालन्धर (पंजाब) में हुआ था। वह अपने पिता हरिदेव शौरी और माता दयावंती की प्रथम संतान थे। इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली से और 'सेन्ट स्टीफेंस कॉलेज', 'दिल्ली विश्वविद्यालय' से अर्थशास्त्र में आनर्स की डिग्री प्राप्त की थी। 1966 में न्यूयार्क, साइराकस यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। अरुण शौरी का विवाह अनीता शौरी के साथ हुआ था, जिनसे ये एक पुत्र के पिता भी बने। पत्रकारिता में पूरी तरह से उतरने से पहले एक अर्थशास्त्री के रूप में विश्व बैंक तथा अन्य महत्त्वपूर्ण संस्थानों में कार्य किया।
लेखन कार्य
अरुण शौरी ने हिन्दू धर्म के ग्रन्थों का अध्ययन किया। वह जयप्रकाश नारायण के जन-आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े और इस दौरान उन्होंने दस महत्त्वपूर्ण लेखों के माध्यम से राजनीतिक शक्तियों के भ्रष्टाचार तथा लोकतंत्र की अवमानना जैसे विषयों पर अपने विचार प्रकट किये, जो सेमिनार, मेन स्ट्रीम तथा इण्डिया टुडे जैसी महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। इन आलेखों का पुस्तक रूप में भी प्रकाशन हुआ, जो 'सिंप्टम्स ऑफ़ फ़ॉसिज्म' तथा 'वाशिंगटन एसेज़' शीर्षक से सामने आईं।
पुरस्कार
अरुण शौरी को उनकी पत्रकारिता के लिए 1982 का 'मेग्सेसे पुरस्कार' प्रदान किया गया। वह तीन बार राज्य सभा के सदस्य भी रहे। सन 1990 में उन्हें 'जर्नलिस्ट ऑफ़ द ईयर' चुना गया था। इसी वर्ष (1990) में उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए 'पद्मभूषण' सम्मान भी प्राप्त हुआ। सन 2002 में बिजनेस वीक ने उन्हें "स्टार ऑफ़ इण्डिया' से सम्मानित किया तथा 'द इकॉनोमिक टाइम्स' ने उन्हें 'द बिजनेस लीडर ऑफ द ईयर' चुना। अरुण शौरी को 'दादाभाई नौरोजी पुरस्कार', 'फ़्रीडम टू पब्लिक अवार्ड', 'एस्टर पुरस्कार' और 'इंटरनेशनल एडिटर ऑफ द ईयर अवार्ड' से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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