पदार्थ: Difference between revisions
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पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार अनिश्चित एवं आयतन निश्चित हो 'द्रव' कहलाता है। | पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार अनिश्चित एवं आयतन निश्चित हो 'द्रव' कहलाता है। | ||
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पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों अनिश्चित हो 'गैस' कहलाता है। | पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों अनिश्चित हो 'गैस' कहलाता है। | ||
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*पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज़्मा एवं पाँचवी अवस्था '''बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट''' है। | *पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज़्मा एवं पाँचवी अवस्था '''बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट''' है। | ||
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तत्त्व वह शुद्ध पदार्थ है, जिसे किसी भी ज्ञात भौतिक एवं रासायनिक विधियों से न तो दो या दो से अधिक पदार्थो में विभाजित किया जा सकता है, और न ही अन्य सरल पदार्थों के योग से बनाया जा सकता है। | तत्त्व वह शुद्ध पदार्थ है, जिसे किसी भी ज्ञात भौतिक एवं रासायनिक विधियों से न तो दो या दो से अधिक पदार्थो में विभाजित किया जा सकता है, और न ही अन्य सरल पदार्थों के योग से बनाया जा सकता है। | ||
==यौगिक== | ====<u>यौगिक</u>==== | ||
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वह शुद्ध पदार्थ जो रासायनिक रूप से दो या दो से अधिक तत्त्वों के एक निश्चित अनुपात में [[रासायनिक संयोग]] से बने हैं, यौगिक कहलाते हैं। | वह शुद्ध पदार्थ जो रासायनिक रूप से दो या दो से अधिक तत्त्वों के एक निश्चित अनुपात में [[रासायनिक संयोग]] से बने हैं, यौगिक कहलाते हैं। | ||
==मिश्रण== | ====<u>मिश्रण</u>==== | ||
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वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्त्वों या यौगिकों के किसी भी [[अनुपात]] में मिलाने से प्राप्त होता है, मिश्रण कहलाता है। इसे तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है:- | वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्त्वों या यौगिकों के किसी भी [[अनुपात]] में मिलाने से प्राप्त होता है, मिश्रण कहलाता है। इसे तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। मिश्रण के दो प्रकार होते है:- | ||
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==मिश्रण को अलग करने की कुछ प्रमुख विधियाँ== | ==मिश्रण को अलग करने की कुछ प्रमुख विधियाँ== | ||
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किसी विशेष दाब पर वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव जमता है, हिमांक कहलाता है। | किसी विशेष दाब पर वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव जमता है, हिमांक कहलाता है। | ||
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*क्रिस्टलीय पदार्थों में से अधिकांश पदार्थ गलने पर आयतन में बढ़ जाते हैं, ऐसी दशा में ठोस अपने ही गले हुए द्रव में डूब जाता है। | *क्रिस्टलीय पदार्थों में से अधिकांश पदार्थ गलने पर आयतन में बढ़ जाते हैं, ऐसी दशा में ठोस अपने ही गले हुए द्रव में डूब जाता है। | ||
*ढला हुआ लोहा, बर्फ, एण्टीमनी, बिस्मथ, पीतल आदि गलने पर आयतन में सिकुड़ते हैं। अतः इस प्रकार के ठोस अपने ही गले द्रव में प्लवन करते रहते हैं। इसी विशेष गुण के कारण बर्फ का टुकड़ा गले हुए पानी में प्लवन करता है। | *ढला हुआ लोहा, बर्फ, एण्टीमनी, बिस्मथ, पीतल आदि गलने पर आयतन में सिकुड़ते हैं। अतः इस प्रकार के ठोस अपने ही गले द्रव में प्लवन करते रहते हैं। इसी विशेष गुण के कारण बर्फ का टुकड़ा गले हुए पानी में प्लवन करता है। | ||
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द्रव से वाष्प में परिणत होने कि क्रिया 'वाष्पीकरण' कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है- | द्रव से वाष्प में परिणत होने कि क्रिया 'वाष्पीकरण' कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है- | ||
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Revision as of 11:53, 1 September 2010
दुनिया की कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती हो, जिसका द्रव्यमान होता हो और जो अपनी संरचना में परिवर्तन का विरोध करती हो, पदार्थ कहलाते है। उदाहरण- जल, हवा, बालू आदि।
भारत के महान ॠषि कणाद के अनुसार सभी पदार्थ अत्यन्त सूक्ष्मकणों से बने हैं, जिसे परमाणु कहा गया है। प्रारंभ में भारतीयों और यूनानियों का अनुमान था कि प्रकृति की सारी वस्तुएँ पाँच तत्त्वों के संयोग से बनी हैं, ये पाँच तत्त्व हैं-
पदार्थों का वर्गीकरण
ठोस
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों निश्चित हो, ठोस कहलाता है।
द्रव
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार अनिश्चित एवं आयतन निश्चित हो 'द्रव' कहलाता है।
गैस
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों अनिश्चित हो 'गैस' कहलाता है।
विशेष टिप्पणी
- गैसों का कोई पृष्ठ नहीं होता है, इसका विसरण बहुत अधिक होता है तथा इसे आसानी से संपीड़ित (Compress) किया जा सकता है।
- ताप एवं दाब में परिवर्तन करके किसी भी पदार्थ को बदला जा सकता है। परन्तु इसके अपवाद भी हैं, जैसे- लकड़ी, पत्थर। ये केवल ठोस अवस्था में ही रहते हैं।
- जल तीनों भौतिक अवस्था में रह सकता है।
- पदार्थ की तीनों भौतिक अवस्थाओं में निम्न रूप से साम्य होता है:- ठोस→द्रव→गैस। उदाहरण- जल।
- पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज़्मा एवं पाँचवी अवस्था बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट है।
तत्त्व
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
तत्त्व वह शुद्ध पदार्थ है, जिसे किसी भी ज्ञात भौतिक एवं रासायनिक विधियों से न तो दो या दो से अधिक पदार्थो में विभाजित किया जा सकता है, और न ही अन्य सरल पदार्थों के योग से बनाया जा सकता है।
यौगिक
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
वह शुद्ध पदार्थ जो रासायनिक रूप से दो या दो से अधिक तत्त्वों के एक निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग से बने हैं, यौगिक कहलाते हैं।
मिश्रण
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्त्वों या यौगिकों के किसी भी अनुपात में मिलाने से प्राप्त होता है, मिश्रण कहलाता है। इसे तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। मिश्रण के दो प्रकार होते है:-
मिश्रण को अलग करने की कुछ प्रमुख विधियाँ
रवाकरण
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
इस विधि के द्वारा अकार्बनिक ठोस मिश्रण को अलग किया जाता है।
आसवन विधि
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
जब दो द्रवों के क़्वथनांकों में अन्तर अधिक होता है, तो उसके मिश्रण को आसवन विधि से पृथक् करते हैं।
ऊर्ध्वपातन
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
स विधि द्वारा दो ऐसे ठोसों के मिश्रण को अलग करते है, जिसमें एक ठोस ऊर्ध्वपातित हो, दूसरा नहीं।
आंशिक आसवन
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
इस विधि से वैसे मिश्रित द्रवों को अलग करते है, जिसमें क़्वथनांकों में अन्तर बहुत कम होता है।
वर्णलेखन
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों की अवशोषण (absorption) क्षमता भिन्न-भिन्न होती है।
भाप आसवन
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
इस विधि से कार्बनिक मिश्रण को शुद्ध किया जाता है।
पदार्थ की अवस्था परिवर्तन
द्रवणांक
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
गर्म करने पर ठोस पदार्थ द्रव अवस्था में परिवर्तित होते हैं, तो उनमें से अधिकांश में यह परिवर्तन एक विशेष दाब पर तथा एक नियत ताप पर होता है। यह नियत ताप वस्तु का द्रवणांक कहलाता है।
हिमांक
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
किसी विशेष दाब पर वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव जमता है, हिमांक कहलाता है।
आयतन परिवर्तन
- क्रिस्टलीय पदार्थों में से अधिकांश पदार्थ गलने पर आयतन में बढ़ जाते हैं, ऐसी दशा में ठोस अपने ही गले हुए द्रव में डूब जाता है।
- ढला हुआ लोहा, बर्फ, एण्टीमनी, बिस्मथ, पीतल आदि गलने पर आयतन में सिकुड़ते हैं। अतः इस प्रकार के ठोस अपने ही गले द्रव में प्लवन करते रहते हैं। इसी विशेष गुण के कारण बर्फ का टुकड़ा गले हुए पानी में प्लवन करता है।
- साँचे में केवल वे पदार्थ ढ़ाले जा सकते हैं, जो ठोस बनने पर आयतन में बढ़ते है, क्योंकि तभी वे साँचे के आकार को पूर्णतया प्राप्त कर सकते हैं।
- मुद्रण धातु ऐसे पदार्थ के बने होते हैं, जो जमने पर आयतन में बढ़ते हैं।
- चाँदी या सोने की मुद्राएँ ढाली नहीं जातीं, केवल मुहर लगाकर बनायी जाती हैं।
- मिश्र धातुओं का द्रवणांक उन्हें बनाने वाले पदार्थों के गलनांक से कम होता है क्योंकि अशुद्धियाँ डाल देने पर पदार्थ का गलनांक घट जाता है।
हिमकारी मिश्रण
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किसी ठोस को उसके द्रवणांक पर गलने के लिए ऊष्मा की आवश्यकता होगी जो उसकी गुप्त ऊष्मा होगी। हिमकारी मिश्रण का बनना इसी सिद्धांत पर आधारित है।
वाष्पीकरण
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
द्रव से वाष्प में परिणत होने कि क्रिया 'वाष्पीकरण' कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है-