Difference between revisions of "अरविन्द अडिग"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('thumb|200px|अरविन्द अडिग '''अरविन्द अडिग''' अथ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
Line 1: Line 1:
 
[[चित्र:Aravind-Adiga.jpg|thumb|200px|अरविन्द अडिग]]
 
[[चित्र:Aravind-Adiga.jpg|thumb|200px|अरविन्द अडिग]]
'''अरविन्द अडिग''' अथवा 'अरविन्द अडिग' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Aravind Adiga'', जन्म- [[23 अक्टूबर]], [[1974]], [[चेन्नई]], [[तमिलनाडु]]) प्रसिद्ध भारतीय लेखक हैं, जो अपने [[उपन्यास]] [[अंग्रेज़ी]] में लिखते हैं। उन्हें अपने पहले ही उपन्यास 'द व्हाइट टाइगर' (श्वेत बाघ) के लिए वर्ष [[2008]] में '[[मैन बुकर पुरस्कार]]' से सम्मानित किया गया है। उनकी यह पुस्तक एक ऐसे व्यक्ति की [[कहानी]] है, जो सफल होने के लिए किसी भी रास्ते को ग़लत नहीं मानता है।
+
'''अरविन्द अडिग''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Aravind Adiga'', जन्म- [[23 अक्टूबर]], [[1974]], [[चेन्नई]], [[तमिलनाडु]]) प्रसिद्ध [[लेखक‍|भारतीय लेखक]] हैं, जो अपने [[उपन्यास]] [[अंग्रेज़ी]] में लिखते हैं। उन्हें अपने पहले ही उपन्यास 'द व्हाइट टाइगर'<ref>श्वेत बाघ </ref>के लिए [[वर्ष]] [[2008]] में '[[मैन बुकर पुरस्कार]]' से सम्मानित किया गया है। उनकी यह पुस्तक एक ऐसे व्यक्ति की [[कहानी]] है, जो सफल होने के लिए किसी भी रास्ते को ग़लत नहीं मानता है।
 
==जन्म व शिक्षा==
 
==जन्म व शिक्षा==
अरविन्द अडिग का जन्म 23 अक्टूवर, 1974 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा [[ऑस्ट्रेलिया]] और न्यूज़ीलैंड में हुई, जिसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड और कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़ाई की। उन्होंने दो साल तक 'टाइम पत्रिका' के लिए [[भारत]] में काम किया और कई अन्य अख़बारों के लिए लिखते रहे।
+
अरविन्द अडिग का जन्म 23 अक्टूवर, 1974 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा [[ऑस्ट्रेलिया]] और न्यूज़ीलैंड में हुई, जिसके बाद उन्होंने [[ऑक्सफोर्ड]] और '''कोलंबिया विश्वविद्यालय''' में पढ़ाई की। उन्होंने दो साल तक 'टाइम पत्रिका' के लिए [[भारत]] में काम किया और कई अन्य [[अख़बार|अख़बारों]] के लिए लिखते रहे।
 
==पुरस्कार==
 
==पुरस्कार==
अरविन्द को अपने उपन्यास 'द व्हाइट टाइगर' के लिए वर्ष [[2008]] के 'मैन बुकर पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार भारत की एक नई तस्वीर उकेरने के लिए दिया गया, जिसने निर्णायक समिति के सदस्यों को स्तब्ध भी किया और उनका मनोरंजन भी किया। बुकर पुरस्कारों की शार्ट लिस्ट में छह लेखक थे, जिसमें अडिग के अलावा भारतीय मूल के अमिताभ घोष, सेबास्टियन बैरी, स्टीव टोल्ट्ज, लिंडा ग्रांट और फिलिप हेनशर थे।<ref>{{cite web |url= https://www.bbc.com/hindi/entertainment/2009/06/090628_adiga_booker_awa_tc2|title=अरविंद अडिगा को मिला बुकर पुरस्कार|accessmonthday=15 जनवरी|accessyear= 2020|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=bbc.com |language=हिंदी}}</ref>
+
अरविन्द को अपने उपन्यास 'द व्हाइट टाइगर' के लिए वर्ष [[2008]] के 'मैन बुकर पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार [[भारत]] की एक नई तस्वीर उकेरने के लिए दिया गया, जिसने निर्णायक समिति के सदस्यों को स्तब्ध भी किया और उनका मनोरंजन भी किया। बुकर पुरस्कारों की शार्ट लिस्ट में छह लेखक थे, जिसमें अडिग के अलावा भारतीय मूल के अमिताभ घोष, सेबास्टियन बैरी, स्टीव टोल्ट्ज, लिंडा ग्रांट और फिलिप हेनशर थे।<ref>{{cite web |url= https://www.bbc.com/hindi/entertainment/2009/06/090628_adiga_booker_awa_tc2|title=अरविंद अडिगा को मिला बुकर पुरस्कार|accessmonthday=15 जनवरी|accessyear= 2020|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=bbc.com |language=हिंदी}}</ref>
  
 
बुकर पुरस्कार के जजों के चेयरमैन और पूर्व राजनेता माइकल पोर्टिलो का कहना था कि- ''कई मायनों में यह एक संपूर्ण उपन्यास था।'' अरविन्द अडिग का कहना था- ''मैं यह पुरस्कार [[नई दिल्ली]] के लोगों को समर्पित करना चाहूंगा, क्योंकि यही वो जगह है, जहां मैं रहा और यह किताब लिख पाया। तीन सौ साल पहले [[दिल्ली]] दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में था और मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि दिल्ली एक बार फिर दुनिया के महत्वपूर्ण शहरों में गिना जाएगा।''
 
बुकर पुरस्कार के जजों के चेयरमैन और पूर्व राजनेता माइकल पोर्टिलो का कहना था कि- ''कई मायनों में यह एक संपूर्ण उपन्यास था।'' अरविन्द अडिग का कहना था- ''मैं यह पुरस्कार [[नई दिल्ली]] के लोगों को समर्पित करना चाहूंगा, क्योंकि यही वो जगह है, जहां मैं रहा और यह किताब लिख पाया। तीन सौ साल पहले [[दिल्ली]] दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में था और मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि दिल्ली एक बार फिर दुनिया के महत्वपूर्ण शहरों में गिना जाएगा।''
 
=='द व्हाइट टाइगर'==
 
=='द व्हाइट टाइगर'==
[[उपन्यास]] 'द व्हाइट टाइगर' की [[कहानी]] [[बिहार]] के गया ज़िले से आए एक ड्राइवर बलराम हलवाई की है जो चीनी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी सफलता की कहानी सुनाता है। पुस्तक में [[भारत]] के दो रूप दिखाए गए हैं, एक जो ड्राइवर का सच है यानि ग़रीब लोगों का और दूसरा जो ड्राइवर के पीछे बैठता है यानी अमीर लोगों का जीवन। कहानी में भारत की ग़रीबी-अमीरी, जाति प्रथा के साथ-साथ [[कोयला]] माफ़िया, ज़मींदारी, कॉल सेंटर, नवनिर्मित मॉलों की संस्कृति सभी का ज़िक्र है।
+
[[उपन्यास]] 'द व्हाइट टाइगर' की [[कहानी]] [[बिहार]] के [[गया ज़िला|गया ज़िले]] से आए एक ड्राइवर बलराम हलवाई की है जो चीनी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी सफलता की कहानी सुनाता है। पुस्तक में [[भारत]] के दो रूप दिखाए गए हैं, एक जो ड्राइवर का सच है यानि ग़रीब लोगों का और दूसरा जो ड्राइवर के पीछे बैठता है यानी अमीर लोगों का जीवन। कहानी में भारत की ग़रीबी-अमीरी, जाति प्रथा के साथ-साथ [[कोयला]] माफ़िया, ज़मींदारी, कॉल सेंटर, नवनिर्मित मॉलों की संस्कृति सभी का ज़िक्र है।
  
 
इस उपन्यास कहानी उसके मुख्य पात्र बलराम हलवाई के इर्द गिर्द घूमती है। वो किस तरह एक [[चाय]] की दुकान में काम करता हुआ ड्राईवर बनता है और फिर किस तरह वह अंत में अपना स्वयं का व्यापार शुरू करता है और इसके लिए उसे क्या ग़लत और सही रास्ते चुनने पड़ते हैं।
 
इस उपन्यास कहानी उसके मुख्य पात्र बलराम हलवाई के इर्द गिर्द घूमती है। वो किस तरह एक [[चाय]] की दुकान में काम करता हुआ ड्राईवर बनता है और फिर किस तरह वह अंत में अपना स्वयं का व्यापार शुरू करता है और इसके लिए उसे क्या ग़लत और सही रास्ते चुनने पड़ते हैं।

Revision as of 11:18, 19 January 2020

thumb|200px|aravind adig aravind adig (aangrezi: Aravind Adiga, janm- 23 aktoobar, 1974, chennee, tamilanadu) prasiddh bharatiy lekhak haian, jo apane upanyas aangrezi mean likhate haian. unhean apane pahale hi upanyas 'd vhait taigar'[1]ke lie varsh 2008 mean 'main bukar puraskar' se sammanit kiya gaya hai. unaki yah pustak ek aise vyakti ki kahani hai, jo saphal hone ke lie kisi bhi raste ko galat nahian manata hai.

janm v shiksha

aravind adig ka janm 23 aktoovar, 1974 ko chennee, tamilanadu mean hua. unaki praranbhik shiksha-diksha aaustreliya aur nyoozilaiand mean huee, jisake bad unhoanne aauksaphord aur kolanbiya vishvavidyalay mean padhaee ki. unhoanne do sal tak 'taim patrika' ke lie bharat mean kam kiya aur kee any akhabaroan ke lie likhate rahe.

puraskar

aravind ko apane upanyas 'd vhait taigar' ke lie varsh 2008 ke 'main bukar puraskar' se sammanit kiya gaya hai. unhean yah puraskar bharat ki ek nee tasvir ukerane ke lie diya gaya, jisane nirnayak samiti ke sadasyoan ko stabdh bhi kiya aur unaka manoranjan bhi kiya. bukar puraskaroan ki shart list mean chhah lekhak the, jisamean adig ke alava bharatiy mool ke amitabh ghosh, sebastiyan bairi, stiv toltj, lianda graant aur philip henashar the.[2]

bukar puraskar ke jajoan ke cheyaramain aur poorv rajaneta maikal portilo ka kahana tha ki- kee mayanoan mean yah ek sanpoorn upanyas tha. aravind adig ka kahana tha- maian yah puraskar nee dilli ke logoan ko samarpit karana chahooanga, kyoanki yahi vo jagah hai, jahaan maian raha aur yah kitab likh paya. tin sau sal pahale dilli duniya ke sabase mahatvapoorn shaharoan mean tha aur mujhe lagata hai ki ab samay a gaya hai ki dilli ek bar phir duniya ke mahatvapoorn shaharoan mean gina jaega.

'd vhait taigar'

upanyas 'd vhait taigar' ki kahani bihar ke gaya zile se ae ek draivar balaram halavaee ki hai jo chini pradhanamantri ko patr likhakar apani saphalata ki kahani sunata hai. pustak mean bharat ke do roop dikhae ge haian, ek jo draivar ka sach hai yani garib logoan ka aur doosara jo draivar ke pichhe baithata hai yani amir logoan ka jivan. kahani mean bharat ki garibi-amiri, jati pratha ke sath-sath koyala mafiya, zamiandari, k aaul seantar, navanirmit m aauloan ki sanskriti sabhi ka zikr hai.

is upanyas kahani usake mukhy patr balaram halavaee ke ird gird ghoomati hai. vo kis tarah ek chay ki dukan mean kam karata hua draeevar banata hai aur phir kis tarah vah aant mean apana svayan ka vyapar shuroo karata hai aur isake lie use kya galat aur sahi raste chunane p date haian.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

  1. shvet bagh
  2. araviand adiga ko mila bukar puraskar (hiandi) bbc.com. abhigaman tithi: 15 janavari, 2020.

sanbandhit lekh