हुमायूँ: Difference between revisions
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बाबर के बेटों में हुमायूँ सबसे बड़ा था। वह वीर, उदार और भला था; लेकिन [[बाबर]] की तरह कुशल सेनानी और निपुण शासक नहीं था। वह सन 1530 में अपने पिता की मृत्यु होने के बाद बादशाह बना और 10 | बाबर के बेटों में हुमायूँ सबसे बड़ा था। वह वीर, उदार और भला था; लेकिन [[बाबर]] की तरह कुशल सेनानी और निपुण शासक नहीं था। वह सन 1530 में अपने पिता की मृत्यु होने के बाद बादशाह बना और 10 वर्ष तक राज्य को दृढ़ करने के लिए शत्रुओं और अपने भाइयों से लड़ता रहा। उसे शेरखाँ नाम के पठान सरदार ने शाहबाद ज़िले के चौसा नामक जगह पर सन 1539 में हरा दिया था। पराजित हो कर हुमायूँ ने दोबारा अपनी शक्ति को बढ़ा [[कन्नौज]] नाम की जगह पर शेरखाँ की सेना से 17 मई, सन 1540 में युध्द किया लेकिन उसकी फिर हार हुई और वह इस देश से भाग गया। इस समय [[शेरशाह सूरी|शेर खाँ सूर]] और उसके वंशजों ने भारत पर शासन किया। | ||
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भागा हुआ हुमायूँ लगभग 14 वर्ष तक [[काबुल]] में रहा। सिकंदर सूर की व्यवस्था बिगड़ने का समाचार सुन उसका लाभ उठाने के लिए उसने सन 1554 में भारत पर आक्रमण किया और लाहौर तक अधिकार कर लिया। उसके बाद तत्कालीन बादशाह सिंकदर ने सूर पर आक्रमण किया और उसे हराया। 23 जुलाई, सन 1554 में दोबारा भारत का बादशाह बना लेकिन 7 माह राज्य करने के बाद 24 जनवरी, सन 1555 (लगभग) में पुस्तकालय की सीढ़ी से गिरकर उसकी मृत्यु हो गई। उसका मक़बरा [[दिल्ली]] में बना हुआ है। हुमायूँ की मृत्यु के समय उसका पुत्र [[अकबर]] 13−14 | भागा हुआ हुमायूँ लगभग 14 वर्ष तक [[काबुल]] में रहा। सिकंदर सूर की व्यवस्था बिगड़ने का समाचार सुन उसका लाभ उठाने के लिए उसने सन 1554 में भारत पर आक्रमण किया और लाहौर तक अधिकार कर लिया। उसके बाद तत्कालीन बादशाह सिंकदर ने सूर पर आक्रमण किया और उसे हराया। 23 जुलाई, सन 1554 में दोबारा भारत का बादशाह बना लेकिन 7 माह राज्य करने के बाद 24 जनवरी, सन 1555 (लगभग) में पुस्तकालय की सीढ़ी से गिरकर उसकी मृत्यु हो गई। उसका मक़बरा [[दिल्ली]] में बना हुआ है। हुमायूँ की मृत्यु के समय उसका पुत्र [[अकबर]] 13−14 वर्ष का बालक था। हुमायूँ के बाद उसका पुत्र अकबर उत्तराधिकारी घोषित किया गया और उसका संरक्षक बैरमखां को बनाया गया, तब [[हेमू|हेमचंद्र]] सेना लेकर [[दिल्ली]] आया और उसने मु्ग़लों को वहाँ से भगा दिया। हेमचंद्र की पराजय 6 नवंबर सन 1556 में पानीपत के मैदान में हुई थी। उसी दिन स्वतंत्र हिन्दू राज्य का सपना टूट बालक अकबर के नेतृत्व में मुग़लों का शासन जम गया। | ||
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Revision as of 17:50, 31 March 2010
हुमायूँ / Humayun
बाबर के बेटों में हुमायूँ सबसे बड़ा था। वह वीर, उदार और भला था; लेकिन बाबर की तरह कुशल सेनानी और निपुण शासक नहीं था। वह सन 1530 में अपने पिता की मृत्यु होने के बाद बादशाह बना और 10 वर्ष तक राज्य को दृढ़ करने के लिए शत्रुओं और अपने भाइयों से लड़ता रहा। उसे शेरखाँ नाम के पठान सरदार ने शाहबाद ज़िले के चौसा नामक जगह पर सन 1539 में हरा दिया था। पराजित हो कर हुमायूँ ने दोबारा अपनी शक्ति को बढ़ा कन्नौज नाम की जगह पर शेरखाँ की सेना से 17 मई, सन 1540 में युध्द किया लेकिन उसकी फिर हार हुई और वह इस देश से भाग गया। इस समय शेर खाँ सूर और उसके वंशजों ने भारत पर शासन किया।
हुमायूँ द्वारा पुन: राज्य−प्राप्ति
भागा हुआ हुमायूँ लगभग 14 वर्ष तक काबुल में रहा। सिकंदर सूर की व्यवस्था बिगड़ने का समाचार सुन उसका लाभ उठाने के लिए उसने सन 1554 में भारत पर आक्रमण किया और लाहौर तक अधिकार कर लिया। उसके बाद तत्कालीन बादशाह सिंकदर ने सूर पर आक्रमण किया और उसे हराया। 23 जुलाई, सन 1554 में दोबारा भारत का बादशाह बना लेकिन 7 माह राज्य करने के बाद 24 जनवरी, सन 1555 (लगभग) में पुस्तकालय की सीढ़ी से गिरकर उसकी मृत्यु हो गई। उसका मक़बरा दिल्ली में बना हुआ है। हुमायूँ की मृत्यु के समय उसका पुत्र अकबर 13−14 वर्ष का बालक था। हुमायूँ के बाद उसका पुत्र अकबर उत्तराधिकारी घोषित किया गया और उसका संरक्षक बैरमखां को बनाया गया, तब हेमचंद्र सेना लेकर दिल्ली आया और उसने मु्ग़लों को वहाँ से भगा दिया। हेमचंद्र की पराजय 6 नवंबर सन 1556 में पानीपत के मैदान में हुई थी। उसी दिन स्वतंत्र हिन्दू राज्य का सपना टूट बालक अकबर के नेतृत्व में मुग़लों का शासन जम गया।