क्राइसोबेरिल रत्न: Difference between revisions
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Revision as of 11:59, 10 January 2011
- क़ीमती पत्थर को रत्न कहा जाता है अपनी सुंदरता की वजह से यह क़ीमती होते है।
- रत्न आकर्षक खनिज का एक टुकड़ा होता है जो कटाई और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य अलंकरण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बहुत से रत्न ठोस खनिज के होते है, लेकिन कुछ नरम खनिज के भी होते है।
- रत्न अपनी चमक और अन्य भौतिक गुणों के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है।
- ग्रेडिंग, काटने और पॉलिश से रत्नों को एक नया रुप और रंग दिया जाता है और इसी रूप और रंग की वजह से यह रत्न गहनों को और भी आकर्षक बनाते है।
- रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।
प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार उच्च कोटि में 84 प्रकार के रत्न आते हैं। इनमें से बहुत से रत्न अब अप्राप्य हैं तथा बहुत से नए-नए रत्नों का आविष्कार भी हुआ है। रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज़्यादा पहने जाते हैं। वर्तमान समय में प्राचीन ग्रंथों में वर्णित रत्नों की सूचियाँ प्रामाणिक नहीं रह गई हैं।
क्राइसोबेरिल
प्राचीनकाल से ही क्राइसोबेरिल का उपयोग किया जा रहा है। इसकी ज़्यादातर खानें ब्राज़ील, श्रीलंका, म्यांमार, रोडेशिया तथा रूस में पाई जारी हैं। 41 कैरेट का होप नामक क्राइसोबेरिल विशेष गुणों वाला रत्न है। यह कई रत्नों जैसे प्रतीत होता है। इससे सुनहरा बेरियल, एन्डालूसाइट, नीलम, पेरिडॉट, सिन्हेलाइट, स्पाइनेल, स्केपोलाइट, पुखराज, तुरमली, तथा ज़िरकॉन आदि का भ्रम उत्पन्न होत है।
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